देश में कोरोना वायरस संकट के दौरान डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हैं। रोहतक में भी यही हुआ। पीजीआई में एक बीडीएस इंटर्न डॉक्टर ने कल मंगलवार की शाम को हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। डॉक्टर का नाम कनिका सेठी था और वह पानीपत की रहने वाली थी। वह जीआई रोहतक से बीडीएस कर रही थीं। पुलिस मामले की जांच कर रही है। डॉक्टर की आत्महत्या के पीछे के मकसद का पता नहीं चल पाया है। हालांकि, जांच टीम को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला।
कनिका ने हॉस्टल के कमरा नंबर 144 में फांसी लगा ली। खबरों के अनुसार, कनिका ने एक कमरे के पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के कारण का अभी पता नहीं चल पाया है और पुलिस उसकी जाँच कर रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पीजीआई एसएचओ और एफएसएल विशेषज्ञ डॉ. सरोज दहिया की टीम को भी मौके पर बुलाया गया। डॉ. सरोज दहिया की टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। लगभग एक साल पहले, ओमकार नाम के एक डॉक्टर ने इसी तरह के एक छात्रावास में आत्महत्या कर ली थी और इसी तरह की घटना एक बार फिर हुई है।
पुलिस को छात्रावास के कमरे में एक सुसाइड नोट भी मिला। पुलिस के अनुसार, सुसाइड नोट अंग्रेजी में लिखा गया था। इसमें लिखा है, “मैं अपनी मां और पिता से बहुत प्यार करती हूं। मैं फरवरी से बहुत अस्वस्थ हूं और मैं अपनी मौत के लिए जिम्मेदार हूं। हालांकि, कनिका ने सुसाइड नोट में खुदकुशी की वजह नहीं बताई। रोहतक के पुलिस उपनिरीक्षक राजेंद्र बूरा ने कहा कि पुलिस को शाम करीब 5 बजे सूचना मिली थी और आत्महत्या करने वाले डॉक्टर का परिवार रोहतक नहीं आया था।
बता दें कि 11 मई को चंडीगढ़ पीजीआई की एक नर्स ने जहर का इंजेक्शन लगाकर सुसाइड कर लिया था। पीजीआई की ओपीडी में तैनात नर्सिग ऑफिसर ने अपने साथ काम करने वाली चार सीनियर ड्यूटी स्टाफ कर्मचारियों से तंग आकर इतना बड़ा कदम उठाया था। दविंदर कौर की लाश के पास पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था। जिसमें उन्होंने पीजीआई की चार महिला कर्मचारियों को मौत का जिम्मेदार ठहराया था।