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भगवानों का भी बंटवारा शुरू

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अन्ततः अपने ‘हिन्दुत्व’ के एजेंडे को देश के अधिकांश हिस्सों में फैलाने में सफल हो ही गया है। उसके गर्भ से निकली राजनीतिक पार्टी भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र और अधिकांश राज्यों में काबिज है। इतना ही नहीं जहां कहीं भी सत्ता से दूर है, वहां भी धर्म के आधार पर वह चुनाव जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। नतीजा कभी खुद को धर्मनिरपेक्ष कहलाने में गर्व महसूसने वाले गैर भाजपाई नेताओं को भी अपने दांव- पेंच बदलने में मजबूर होना पड़ रहा है। दूसरी सबसे जीवंत तस्वीर पश्चिम बंगाल है जहां तृणमूल नेता ममता बनर्जी इन दिनों मां दुर्गा मां काली और मां सरस्वती का जयकारा लगाते मंदिर-मंदिर शीश नवां रही हैं। ममता इन देवियों का आह्नाहन भाजपा के प्रिय भगवान श्री राम और श्री हनुमान की काट के तौर पर कर रही हैं।

हालात यह बन चुके हैं कि भगवान राम और हनुमान उत्तरी भारत के विशेष भगवान बताए जा रहे हैं तो तीनों देवियां बंगाल की। भाजपा दीदी के इस अंदाज से सकपका कर अब तीनों देवियों के मंदिरों में शीश नवां खुद को असल हिंदू साबित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। इतना ही नहीं भाजपा के दिग्गज नेता पश्चिम बंगाल के सभी प्रसिद्ध आश्रमों- रामकृष्ण मिशन, भारत सेवा आश्रम संघ, कपिल मुनि आश्रम आदि का भी लगातार दौरा करते नजर आ रहे हैं। 22 फरवरी को केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल कालीघाट मंदिर पहुंचे तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर मंदिर मंे अपनी पूजा अर्पित कर डाली। सूत्रों की मानें तो भाजपा ने प्रदेश भर के सौ महत्वपूर्ण मंदिरों, मट्ठों और आश्रमों की सूची तैयार कर राज्य के 23 जिलों में फैले इन धर्मस्थलों को अपने फोकस पर रखा है वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार के दौरान इन स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। भाजपा की यह चुनावी रणनीति काम करती नजर आने भी लगी है। काली मां के भक्त अब जय श्री राम का नारा लगाते देखे जा रहे हैं। भद्र समाज का बुद्धिजीवी वर्ग भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा ‘जय मां काली, जय मां दुर्गा’ के नारों से प्रभावित होता दिख रहा है। भाजपा की पश्चिम बंगाल में जडं़े मजबूत करने के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा 1998 के बाद राज्य में बड़े स्तर पर स्थापित किए गए ‘एकल विद्यालय’, ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ एवं ‘क्रीड़ा भारतीय’ संस्थानों का महत्वपूर्ण योगदान है। कूच बिहार के आदिवासियों के मध्य संघ पिछले कई दशकों से सक्रिय रहा है। उसकी सक्रियता का परिणाम इन आदिवासी बाहुल्य इलाकों में हिदू त्योहारों को मनाया जाना, विवाहित महिलाओं द्वारा मंगलसूत्र पहनना और मांग भरना आदि इन चुनावों में भाजपा के लिए एक विशाल वोट बैंक में तब्दील हो सकता है।

भाजपा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे बंगाल में चंदा एकत्रित करने का महाअभियान भी शुरू कर चुकी है। इस अभियान के जरिए उसका लक्ष्य प्रदेश भर में पार्टी का प्रचार करना है। तृणमूल कांग्रेस में इस सबके चलते भारी खलबली देखने को मिल रही है। अपने एग्रेसिव तेवरों के लिए मशहूर ममता बनर्जी ने इसकी काट करने के लिए बेहद आक्रमक नीति बना डाली है। ममता बंगालियों को याद दिला रही हैं कि आज जो भाजपा नेता मां दुर्गा और मां काली के जयकारे लगाते नजर आ रहे हैं, इन चुनावों से पहले उन्हें केवल भगवान राम ही नजर आते थे। ममता अपनी हर चुनावी सभा में ‘जय मां काली-जय मां दुर्गा’ का नारा अब लगाने लगी हैं। कुल मिलाकर इन चुनावों में देवी-देवताओं को भी पार्टी लाइन में बांटने की कवायद परवान चढ़ने लगी है।

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