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  • विकाश कुमार, प्रशिक्षु

बहुजन समाज पार्टी के भीतर पार्टी सुप्रीमो मायावती के उत्तराधिकारी के मसले पर अनचाहा संकट खड़ा होने की आशंका है। समझा जा रहा है कि उत्तराधिकारी के मसले पर मायावती और सतीश मिश्रा में दूरिया बढ़ने लगी है। दरअसल ब्राह्मण समाज को आकर्षित करने के लिए बसपा में सतीश मिश्रा एक प्रमुख चेहरा हैं। लेकिन उन्हें ज्यादा तवज्जो मिलने पर बसपा के परंपरागत वोटरों को प्रभावित कर सकने वाले नेताओं में हलचल होने लगी है। शायद इसी वजह से मायावती को कहना पड़ा कि- ‘‘मेरा स्वास्थ्य ठीक है, मुझे किसी को अपना उत्तराधिकारी बनाने की जरूरत नहीं है। लेकिन जब मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा तब मैं जरूर अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दूंगी। जब मैं अपना  उत्तराधिकारी घोषित करूंगी तो मेरा उत्तराधिकारी केवल दलित समाज से रहेगा। ये बात मैं पहले भी कई बार कह चुकी हूं। आज मैं फिर से दोहराना चाहती हूं।’  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कुछ ही माह दूर हैं। ऐसे में राज्य का राजनीतिक तापमान तेजी से गर्माने लगा है। 1990 के दशक में ‘मंडल’ के सहारे बसपा ने प्रदेश में अपनी जमीन तैयार की थी, तो भाजपा ने भी इसी समय ‘कमंडल’ के सहारे अपना आधार प्रदेश में तैयार किया था। प्रदेश की तीन दफा मुख्यमंत्री रही बसपा प्रमुख मायावती ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सवर्ण जातियों के खिलाफ दलित जातियों को एकजुट करके की थी।

‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ के नारे के सहारे सत्ता का स्वाद चखने वाली मायावती 2007 के आते-आते ब्राह्मण प्रेम में तब्दील हो गई। तब दूसरे राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा से नाराज सवर्ण मतदाता, विशेषकर ब्राह्मण समाज को मायावती ने अपने खास सलाहकार सतीश मिश्रा के जरिये पार्टी में जोड़ बहुमत पाने में सफलता पाई थी। आज एक बार फिर से मायावती ब्राह्मण समाज को रिझाने का पुरजोर प्रयास करती नजर आने लगी हैं। इस बार फिर से उन्होंने सतीश मिश्रा को आगे कर प्रदेश भर में ब्राह्मण समाज को एकजुट करने का दायित्व दिया है।

लेकिन एकाएक ही सतीश मिश्रा का नाम बतौर मायावती के उत्तराधिकारी की चर्चाओं के चलते उनका मिशन डिरेल होता नजर आने लगा है। बसपा के भीतर सतीश मिश्रा के बढ़ते कद से नाराज नेता इसे बहन जी बनाम सतीश मिश्रा बनाने की मुहिम में नजर आ रहे हैं। इससे घबराए सतीश मिश्रा तो बैकफुट पर आ ही गए स्वयं मायावती ने कह डाला कि उत्तराधिकारी दलित समाज से ही होगा। बसपा के भीतर मायावती के बाद कौन को लेकर नाना प्रकार की चर्चाओं का बाजार गर्म है। कहा जा रहा है की बहन जी अपनी विरासत आकाश आनंद को सौंपने का मन बना रही हैं। गौरतलब है कि आकाश आनंद मायावती के उन्हीं भाई आनंद के बेटे हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भाजपा लगाती रही है। आकाश आनंद को मीडिया से परहेज रखने को कहा गया है लेकिन मायावती के बाद पार्टी का चेहरा रहे सतीश मिश्रा को मीडिया के तीखे सवालों से दो- चार होना पड़ रहा है। हालांकि मिश्रा उत्तराधिकारी मुद्दे को लेकर स्थिति सपष्ट करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन खबर है की यकायक उठी इन कयासबाजियों के चलते बहन जी और सतीश मिश्रा के मध्य दूरियां बढ़ने लगी हैं।

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