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गहलोत-पायलट के बीच मिटेगी दूरी, आज दोनों भरेंगे सियासी उड़ान

राजस्थान में कांग्रेस का रण सबके सामने हैं । प्रदेश कांग्रेस के दो धुरंधर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा शीत युद्ध पार्टी के बड़े नेताओं के लिए अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है । पिछले डेढ़ साल में यह पहली बार होगा जब आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट एक साथ हेलीकॉप्टर में उड़ान भरेंगे।

हालांकि, इस उड़ान को सियासी उड़ान के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन साथ ही कयासबाजियो का भी दौर शुरू हो गया है। कहा जाने लगा है कि अब गहलोत की पायलट को साथ लेकर चलने की मजबूरी हो गई है। कारण यह है कि आगामी दिनों में होने वाले चार विधानसभा उपचुनाव गहलोत पायलट के बिना नहीं जीत सकेंगे। आज दोनों का साथ चलना कितना कारगर होगा यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

पूर्व में कोरोना काल के दौरान दोनों नेताओं के बीच चला नूराकुश्ती का खेल सामने आया था । जिसमें उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहते सचिन पायलट ने बगावती रुख अख्तियार कर लिया था। तब यह भी चर्चा जोरों से चली थी वह ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही भाजपा की तरफ रुख कर जाएंगे। लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के दखल के बाद सचिन पायलट अपने बगावती रुख से यू टर्न ले गए थे।

हालांकि, इस दौरान पायलट से डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस के मुखिया का पद छीन लिया गया। इसके बाद सचिन पायलट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं । पिछले दिनों कांग्रेस युवराज राहुल गांधी के सामने एक रैली में उन्हें मंच से उतार दिया गया था। इसके बाद उन्होंने किसान पंचायत कर अपना राजनीतिक वजूद दिखाया। जिसमें भारी भीड़ के पहुंचने से प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चिंता बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कभी नहीं चाहते कि राजस्थान में सचिन पायलट मजबूत नेता के रूप में उभरे। इसके चलते ही गहलोत पायलट की काट करते रहते हैं। फिलहाल गहलोत को राजस्थान में सचिन पायलट की जरूरत है । क्योंकि यहां चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। यह विधानसभा सीटें हैं वल्लभनगर , राजसमंद, सहाड़ा और सुजानगढ़ । इन चारों ही विधानसभा सीटों को जीतना फिलहाल गहलोत के लिए चुनौती बना हुआ है ।

गहलोत यह बखूबी जानते हैं कि सचिन पायलट के बिना वह यह जीत हासिल नहीं कर पाएंगे। इसके चलते ही अब गहलोत ने पायलट की तरफ हाथ बढ़ाता बढ़ाया है। हालांकि यह हाथ सामाजिक एवं राजनीतिक ज्यादा लग रहा है।

क्योंकि गहलोत पायलट के साथ लगकर चारों विधानसभा सीट जीतना चाहते हैं। जिसका आज से वह चुनावी अभियान शुरू कर रहे हैं। चुनावी अभियान की शुरुआत गहलोत और पायलट के एक साथ उड़ान भरने से होगी।

आज दोनों हेलीकॉप्टर में जयपुर से चितौडगढ के मातृकुड़िया और चूरू के बिदासर में रैली को संबोधित करने जाएंगे। इससे कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं कि गहलोत और पायलट की दूरियां कम होंगी । लेकिन यह दूरी कितनी कम होगी वह तो समय ही बताएगा।

इसके साथ ही दोनों का मिलकर चलना विधानसभा उपचुनाव जीतने की मजबूरी है या यह दोनों हाथ मिलकर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जीत दिलाएंगे, यह देखना होगा। यहां यह भी बताना जरूरी है कि आज जब गहलोत और पायलट एक ही हेलीकॉप्टर में उड़ान भरेंगे तो यह लोकसभा चुनाव के पहली बार होगा।

लोकसभा चुनाव के बाद दोनों में दरार आ गई थी जो पिछले साल खाई के रूप में सामने आई थी। हालांकि, पार्टी हाईकमान ने दोनों के बीच आई इस खाई को पाटने के लिए प्रदेश प्रभारी तक बदल दिए थे। फिलहाल रणदीप सिंह सुरजेवाला प्रदेश प्रभारी के तौर पर दोनों के बीच की दूरी को कम करने के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इन प्रयासों का क्या रिजल्ट आएगा यह चार विधानसभा के उपचुनाव के परिणामों के बाद ही पता चलेगा।

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