भाजपा आलाकमान की ओर से पर्यवेक्षक बनाकर उत्तराखंड भेजे गए छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह व प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम के दिल्ली लौटने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत गुट के नेताओं में लगा था कि मुख़्यमंत्री उनके लिए ठीक हो गया है ,लेकिन राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं फिर तेज हो चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड बीजेपी के कोर ग्रुप की अचानक हुई बैठक के बाद दोनों केंद्रीय नेताओं रमन सिंह और दुष्यंत गौतम के विधायकों व सांसदों से हुई बातचीत के बारे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में ख़ास है कि राज्य में विधायक असंतुष्ट हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को दिल्ली बुलाये जाने के गहरे मायने निकले जा रहे हैं।
उत्तराखंड के लिए भेजे गए ऑब्जर्वरों ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। उधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण का अपना दौरा रद्द कर दिया है। अब वह पार्टी आलाकमान से मिलने के लिए देहरादून से दिल्ली पहुंचे हैं।
प्रदेश की नई ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में राज्य विधानसभा का महत्वपूर्ण बजट सत्र चल रहा था। अचानक उत्तराखंड पहुंची कोर टीम की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को गैरसैंण से तुरंत देहरादून वापस आना पड़ा। आनन-फानन में बजट पारित करा कर सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और बीजेपी विधायकों को भी गैरसैंण से तत्काल देहरादून बुला लिया गया। दो घंटे से भी ज्यादा समय तक चली कोर ग्रुप की बैठक में राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, टिहरी से लोकसभा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक सहित राज्य संगठन के भी अहम नेता मौजूद रहे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि रमन सिंह ने कोर ग्रुप की बैठक में मौजूद हर सदस्य से अलग-अलग बातचीत की। बाद में रमन सिंह मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में भी गए जहां पार्टी के करीब 40 विधायक मौजूद थे। कोर ग्रुप की बैठक के बाद सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय भी गए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को भी कोर ग्रुप की बैठक में सम्मिलित होना था , लेकिन किसी कारणवश वह नहीं पहुंच पाए। हालांकि, रमन सिंह के दिल्ली लौटने से पहले यहां जौलीग्रांट हवाई अडडे पर निशंक ने उनसे मुलाकात की। इतनी तेजी से घटे घटनाक्रम ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दे दी। ऐसी सुगबुगाहट है कि केंद्रीय नेतृत्व रावत के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने उनसे रावत के विकल्प के बारे में भी पूछा। प्रदेश बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि रावत की कार्यप्रणाली और शासन में उनकी बात ना सुने जाने की केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत की गई थी। पर्यवेक्षकों ने इस पर भी विधायकों से रायशुमारी की है। दिल्ली में पार्टी के सूत्रों ने बताया कि चूंकि पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं, ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस पर भी विचार करेगा कि उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन से किस तरह का असर पड़ेगा। लेकिन सूत्रों ने ये भी कहा कि 10 मार्च को रावत से जुड़े एक कथित भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
अचानक केंद्रीय पर्यवेक्षकों के देहरादून पहुंचने और विधायकों से रायशुमारी किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर बंशीधर भगत ने कहा, ‘18 मार्च को प्रदेश सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 70 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले कार्यक्रमों के बारे में चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।’ उन्होंने कहा कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है और पार्टी विधायकों में कहीं कोई मनमुटाव नहीं है।