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आज भी जारी है दलितों से भेदभाव , पानी की टंकी में मिलाया गया मानव मल

एक ओर जहां देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ आज भी छुआछूत व जातिगत भेदभाव की ख़बरें सामने आ रही हैं। आए-दिन दलितों के साथ भेदभाव के मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला तमिलनाडु के एक गांव इरायुर से सामने आया है जहाँ अनुसूचित जाति समुदाय के लिए बनी पानी की टंकी में मानव मल पाया गया। इस गांव के दौरे के दौरान कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों ने पाया कि यहां कि एक 10 हजार लीटर पानी की टंकी में भारी मात्रा में मानव अपशिष्ट पाया गया है। जिस टंकी से दलित समुदाय को पीने का पानी वितरण होता है जिसके कारण गांव के कई दलित बच्चे बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान डॉक्टर ने बीमार लोगों के परिजनों को इसका कारण पीने का पानी बताया है। जब पानी की टंकी की जांच की गई तो पाया गया कि टंकी का ढक्कन खुला था जिसमें काफी मात्रा में मानव मल पड़ा हुआ था जिसके कारण पानी का रंग भी पीला पड़ चुका था।

 

पहले भी आये हैं कई ऐसे मामले सामने

 

रिपोर्ट के आधार पर इस गाँव में जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव का यह पहला मामला नहीं है। यहाँ जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। जिसमें यह पाया गया था कि इस गांव में आज भी चाय की दुकान में टू ग्लास सिस्टम है मतलब अनुसूचित जाति को अलग गिलास में और सवर्ण जाति के लोगों को अलग गिलास में चाय दी जाती है। साथ ही दलितों को मंदिर परिसर में भी जाने की अनुमति नहीं है।
पिछले दिनों सामने आई एक खबर के अनुसार इस गांव के इलाकों में जातिगत भेदभाव बहुत ज्यादा गहरा गया है। गांव की तीन पीढ़ियों से, उन्हें गांव के किसी भी मंदिर में जाने की अनुमति प्रदान नहीं की गई। इस बात की स्पष्टता की जांच करने के लिए गाँव के कलेक्टर जब दलितों को मंदिर में ले गए तो वहां पहुंचते ही एक महिला ने चिल्लाना शुरू कर दिया कि मंदिर में निचली जाति का प्रवेश वर्जित है। कथित तौर पर उस महिला पर देवता का साया बताया जाता है। जिसके बाद पुलिस ने महिला के नाम पर केस दर्ज कर लिया है।

वहीं ऐसा ही एक दूसरा मामला तमिलनाडु के एक होटल से सामने आया है। जहाँ होटल चलाने वाले एक दंपत्ति को पुलिस ने इस आधार पर गिरफ्तार कर लिया कि वे अपने होटल में जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दे रहे थे। इनके होटल में दलितों को भोजन करवाने के लिए अलग बर्तन तो सुवर्ण जाति के लोगों को अलग बर्तन में खाना खिलाया जाता था। जो किसी भी व्यक्ति की भावना को आहत कर सकता है।

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