भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर मोदी सरकार के 7 वर्ष मनाने के लिए पार्टी ‘सेवा ही संगठन’ नामक एक समान अभियान चला रही है। ऐसे में देश में भाजपा के नेता गांव-गांव डगर डगर है । इस दौरान भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पोस्टर – बैनर के साथ ही कोरोना बीमारी पर नियंत्रण करने की पहल शुरू की है। जिसमें पार्टी के सांसद से लेकर विधायक, अध्यक्ष और संगठन के अलावा पार्टी के कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में भाजपा के समानांतर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की अलग ही सरकार चल रही है । यह सरकार सत्ता की नहीं बल्कि कोरोना काल में प्रदेश में अपना वजूद स्थापित करने की है। जिसके तहत वसुंधरा समर्थकों ने भाजपा के अभियान में साथ ना देकर वसुंधरा राजे नाम से जन रसोई शुरू कर दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस जन रसोई के पोस्टर और बैनर में कहीं भी भाजपा के शीर्ष नेताओं की तस्वीर नहीं लगी हुई है। इससे प्रदेश में एक बार फिर भाजपा दो खेमों में बटती हुई नजर आ रही है।
कहा जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वसुंधरा राजे का यह शक्ति परीक्षण है। यह शक्ति परीक्षण भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन गया है। कारण यह है कि वसुंधरा राजे की जन रसोई को लेकर पार्टी और वसुंधरा के समर्थक आमने – सामने आ गए हैं।
21 मई को शुरू हुई रसोई
वंसुधरा राजे जन रसोई 21 मई को शुरू हुई थी । पूर्व मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे के क़रीबी और पूर्व कैबिनेट मंत्री यूनुस ख़ान ने उस दिन 300 लोगों को फ़ूड पैकेट बांटे थे। उसके बाद राज्य के कई हिस्सों में ऐसे कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
भाजपा के वसुंधरा विरोधी नेताओं को जवाब है जन रसोई
वसुंधरा विरोधी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एकजुट हैं। बताया जा रहा है कि यह वह कुछ नाम है जो वसुंधरा राजे को संगठन की गतिविधियों से दूर रखने में जुटे हैं। इन नेताओं को जवाब देने के लिए पूर्व सीएम समर्थक नेताओं ने अब वसुंधरा जन रसोई शुरू की है।
जन रसोई से करा रहे वसुंधरा की ताकत का एहसास
कोरोना काल में जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करवाने के लिए पूरे प्रदेश में वसुंधरा जन रसोई शुरू की गई है। वसुंधरा के विश्वस्त पूर्व मंत्री युनूस खान, कालीचरण सराफ, प्रताप सिंह सिंघवी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी नेताओं के साथ मिलकर इस रसोई का संचालन कर रहे हैं। जन रसोई के माध्यम से वसुंधरा समर्थक अपनी ताकत का अहसास करवा रहे हैं।
भाजपा के लिए चिंता की वजह
भाजपा की राजस्थान इकाई के लिए चिंता की बात यह है कि ‘वसुंधरा जन रसोई’ के कार्यक्रमों में पार्टी के कई मौजूदा सांसद, पूर्व मंत्री, विधायक भी भाग ले रहे हैं।
सेवा संगठन के नाम पर होनी चाहिए थी लेकिन नेता के नाम पर नही
राजस्थान में भाजपा के एक वर्ग का कहना है कि वसुंधरा राजे को चाहने वाले हर जिले, कस्बे और गांव में यह रसोई चला रहे हैं। प्रदेश भाजपा के कई नेताओं ने वसुंधरा जन रसोई पर आपत्ति जताई है। इन नेताओं का कहना है कि संगठन के स्तर पर सामाजिक सेवा होनी चाहिए, नेता विशेष के नाम से नहीं है।
जन रसोई पर सवाल पूछ रहे भाजपा नेता
भाजपा के प्रदेश महामंत्री और वसुंधरा विरोधी खेमे के नेता मदन दिलावर इस बाबत कहते है कि कार्यक्रम तो पार्टी के बैनर तले ही होना चाहिए। एक तरफ वसुंधरा समर्थक जन रसोई चला रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में पार्टी की ओर से सेवा ही संगठन कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
वसुंधरा राजे टीम 2023 से शुरू हुआ सोशल मीडिया अभियान
गौरतलब है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पिछले साल उस समय चर्चा में आई थी जब उनके नाम से एक अलग ही सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू कर दी गई थी। इस मुहिम को शुरू करने वाले भी भाजपा के ही लोग बताए गए । यह सब वसुंधरा समर्थक थे । इस मुहिम का नाम ‘वसुंधरा राजे टीम 2023’ था। यहां यह भी बताना जरूरी है कि पिछले कुछ महीनों से प्रदेश में वसुंधरा राजे समर्थक भाजपा के कार्यकर्ता सक्रिय है। वह फेसबुक पर समय समय पर वंसुधरा राजे सिंधिया को राजस्थान भाजपा का सीएम चेहरा बनाने की मांग करता रहता है।
देव दर्शन यात्रा के जरिए भी दिखाई थी सियासी ताकत
वसुंधरा राजे ने इस साल मार्च के महीने में दो दिन की देवदर्शन यात्रा निकालकर पार्टी आलाकमान को अपनी सियासी ताक़त दिखाई थी। इस यात्रा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, 8 सांसदों, 20 विधायकों कई पूर्व विधायकों ने हिस्सा लिया था।