शराब घोटाले में गिरफ्तार किये गए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से पहले अरविंद केजरीवाल कैबिनेट के चार मंत्री मनी लॉन्ड्रिंग , रेप,फर्जी डिग्री, घरेलू हिंसा, रिश्वत लेने के मामले में जेल जा चुके हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरह आम आदमी पार्टी के एक के बाद एक नेता और मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो रहे हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी पर आई यह आपदा यहीं थमने वाली नहीं है।
महज एक दशक पहले अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी ने जितने कम समय में सफलताएं अर्जित की उतनी ही तेजी से पार्टी पर भ्रष्टाचार के दाग लगते जा रहे हैं । इनमें खुद पार्टी के मंत्री भी शामिल हैं और अभी तक पांच मंत्री जेल जा चुके हैं। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन से पहले तीन मंत्री राशन कार्ड के बदले रेप,फर्जी डिग्री, घरेलू हिंसा, रिश्वत लेने के मामले में जेल जा चुके हैं। वहीं पंजाब में भी पार्टी के दो मंत्री राज्य में सरकार बनने के पहले ही साल में गिरफ्तार हो चुके हैं और कई मंत्रियों पर घोटालों के आरोप हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरह आम आदमी पार्टी के एक के बाद एक नेता और मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो रहे हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी पर आई यह आपदा यहीं थमने वाली नहीं है।
गत सप्ताह दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा ,वित्तीय, आबकारी सहित 18 विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि आबकारी मंत्री रहते उन्होंने शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने वाली नीति बनाई और इसके बदले पार्टी को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मिली। सीबीआई और ईडी ने शराब घोटाले में सिसोदिया को आरोपी बनाया है और उनके ठिकानों पर छापेमारी भी की है। जांच एजेंसियों का दावा है कि उनके पास सिसोदिया को दोषी साबित करने के लिए कई पुख्ता सबूत है।
इस पूरे मामले में अभी तक आम आदमी पार्टी के 36 नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। सिसोदिया ने भी गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे दिया है। 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर सिसोदिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया । वहीं, सत्येंद्र जैन ने कई महीने की गिरफ्तारी के बाद अपना इस्तीफा सौंपा है। सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मई 2022 से जेल में बंद हैं।
दावा किया जा रहा है कि सिसोदिया के कंप्यूटर से मिले सुरागों की वजह से ही सीबीआई ने एक मजबूत केस तैयार किया है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी से पूछताछ के दौरान एजेंसी को सिसोदिया के कार्यालय से कंप्यूटर का सुराग मिला है। सीबीआई ने बाद में 15 जनवरी को सिसोदिया के कार्यालय से कंप्यूटर जब्त कर लिया। इस कंप्यूटर से अधिकांश फाइलें हटा दी गई थीं, लेकिन एजेंसी ने अपनी फोरेंसिक टीम की मदद से रिकॉर्ड को फिर से हासिल कर लिया। पता चला कि ये फाइलें बाहर से जनरेट की गई थीं और व्हाट्सएप के जरिए प्राप्त की गईं। सीबीआई ने तब 1996 बैच के दानिक्स अधिकारी, जो सिसोदिया के सचिव थे, उनको उस फाइल पर पूछताछ के लिए बुलाया। अधिकारी ने कहा, “सिसोदिया ने मुझे अरविंद केजरीवाल के आवास पर बुलाया, जहां मार्च 2021 के मध्य में सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे और उन्होंने मसौदा (जीओएम) रिपोर्ट की एक प्रति दी।”
इस ड्राफ्ट कॉपी में ’12 प्रतिशत प्रॉफिट मार्जिन शर्त ‘ शामिल थी। इस मार्जिन को कैसे तय किया गया , इस बारे में कोई भी चर्चा या फ़ाइल रिकॉर्ड नहीं है। सीबीआई ने फरवरी के पहले सप्ताह में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के समक्ष दानिक्स अधिकारी का बयान दर्ज किया ताकि उसे अभियोजन पक्ष का गवाह बनाया जा सके। सिसोदिया के कार्यालय से जब्त सबूत और उनके सचिव के बयान ने सीबीआई को सिसोदिया को गिरफ्तार करने का अवसर दे दिया। पूछताछ के दौरान सिसोदिया ने जीओएम के उक्त मसौदे की प्रति के बारे में विवरण देने से इनकार कर दिया। सीबीआई का यह भी कहना है कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। और वह कई सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं।
क्या है शराब घोटाला
नवंबर 2021 में दिल्ली सरकार द्वारा बड़े जोर-शोर से नई आबकारी नीति जारी कर दी गई । इससे दिल्ली में शराब काफी सस्ती मिलने लगी और रिटेलर्स को डिस्काउंट देने की छूट भी मिली। हालांकि, बीजेपी ने आरोप लगाए कि शराब लाइसेंस बांटने में धांधली हुई। चुनिंदा डीलर्स को फायदा पहुंचाया गया। अब सवाल उठता है कि दिल्ली सरकार को ये नीति लाने की जरूरत क्यों पड़ी, जिससे सिसोदिया मुश्किल में पड़ गए। इस सवाल के जवाब में सिसोदिया का कहना है कि पुरानी नीति में कुछ विसंगतियां थीं, जिन्हें दूर करना था। नई नीति लाने से दिल्ली को मिलने वाला राजस्व बढ़ जाता। पहले दिल्ली सरकार को शराब से सालाना छह हजार करोड़ रुपये की कमाई होती थी। अगर नई नीति पूरी तरह से लागू होती तो सरकार को 9500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता। पुरानी नीति में सरकारी शराब की दुकानें भी थीं। इससे फायदा होने की बजाय नुकसान ही हुआ। दूसरा, दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या तर्कसंगत नहीं थी। इसका मतलब यह हुआ कि कुछ इलाकों में एक साथ कई दुकानें थीं तो कुछ इलाकों में दूर-दूर तक एक भी दुकान नहीं थी। ऐसे में सोचा गया कि हर वार्ड में तीन-तीन दुकानें खोल दी जाएं। इसका परिणाम शराब की एक समान वितरण प्रणाली के रूप में होता। सरकार के इस कदम का फायदा लोगों को मिलना शुरू हो गया है। निजी दुकानें खुलीं तो उनमें होड़ सी मच गई। नतीजा यह हुआ कि दिल्ली में एक के साथ एक बोतल मुफ्त मिलने लगी
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कहां फंसा नीति में पेंच
यह पेंच तब सामने आया जब खुद दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग (विजिलेंस डिपार्टमेंट) ने इस मामले में जांच रिपोर्ट तैयार की। मुख्य सचिव ने यह रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को सौंप दी । यह रिपोर्ट ‘लीक’ हो गई। इसके बाद दिल्ली सरकार ने खुद नई शराब नीति को खत्म कर एक सितंबर से पुरानी नीति लागू करने का फैसला किया। तभी दिल्ली के एलजी ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की। जांच में अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया।
क्या है नई शराब नीति
केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री, लाइसेंस जारी करने और ठेके-बार के संचालन के लिए नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी। इस नीति के जरिए दिल्ली सरकार शराब खरीदने का अनुभव बदलना चाहती थी और नई नीति में दिल्ली को 32 जोन में बांटकर लाइसेंस जारी किए गए थे। इस नीति के कारण दिल्ली सरकार पर बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे जबकि छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचने की बात कही गई।
नई शराब नीति में होटलों के बार, क्लब और रेस्तरां को रात 3 बजे तक खुला रखने की छूट दी गई थी। इन्हें छत, गैलरी, बाहरी स्पेस समेत किसी भी जगह शराब परोसने की छूट दी गई थी। जबकि पुरानी नीति में खुले में शराब परोसने पर रोक थी। इतना ही नहीं, बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्फ लाइफ पर पाबंदी हटा ली गई थी।
क्यों उठे शराब नीति पर सवाल
- 1. थोक लाइसेंस धारकों का कमीशन बढ़ाकर 12 फीसदी करना।
2. बड़ी कंपनियों की मोनॉपोली बढ़ाना। - 3. नई पॉलिसी के तहत किसी भी शराब की दुकान पर सरकार का मालिकाना हक नहीं रखने का प्रावधान।
- 4. शराब दुकानदार द्वारा भारी रियायत पर शराब बेची जानी।
- 5. पहले से अधिक और बड़ी दुकानें खोलना।
इन बिंदुओं पर जताई गई थी आपत्ति
1- पुरानी नीति में 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी थीं और 40 प्रतिशत ही निजी हाथों में थीं, लेकिन नई नीति के तहत 100 फीसदी दुकानों को निजी हाथों में दिया गया।
2- नई नीति में दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र सीमा 25 साल से घटाकर 21 साल कर दी गई। इसे शराब को बढ़ावा देने के नजरिए से भी देखा गया।
3- इंटरनेशनल एयरपोर्ट की ओपन शाॅप और होटलों में 24 घंटे बिक्री हो रही है। यह सीमा सुबह के 3 बजे तक कर दी गई।
4- शराब की दुकानें पहले 150 वर्गफीट एरिये में होती थीं नई नीति में उनके लिए सशर्त 500 वर्ग फीट की जगह तय की गई। इससे छोटे दुकानदारों को दिक्कत हुई क्योंकि दुकानें बड़ी दिखने का असर भी कस्टमर पर पड़ता है।
5- लाइसेंसधारक मोबाइल ऐप या सर्विस वेबसाइट के जरिए से ऑर्डर लेकर शराब की होम डिलीवरी कर रहे हैं।
6- विपक्षी दल खासकर भाजपा ने आरोप ने आरोप लगाया था कि नई शराब नीति के जरिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार किया है।
7- यह भी आपत्ति जताई गई कि नई नीति के जरिए बाजार में केवल 16 कारोबारियों को इजाजत दी जा सकती है और इससे मोनोपॉली को बढ़ावा मिलेगा।
8- दिल्ली में शराब की बिक्री करने वाले कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके हैं। वो आरोप लगा चुके हैं कि बड़े कारोबारी अपने यहां भारी छूट देते रहे हैं। ऐसे में कारोबार कर पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
अब तक क्या – क्या हुआ
17 अगस्त, 2022 | सीबीआई ने एफआईआर में सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया। |
19 अगस्त, 2022 | मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई ने छापा मारा था। |
30 अगस्त, 2022 | मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकरों की तलाशी ली गई। |
17 अक्टूबर, 2022 | मनीष सिसोदिया से 9 घंटे तक सीबीआई द्वारा पूछताछ । |
25 नवंबर, 2022 | सीबीआई की ओर से चार्जशीट दाख़िल की गई । |
15 जनवरी, 2023 | सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के दफ़्तर से उनका कंप्यूटर ज़ब्त कर लिया । |
18 फरवरी , 2023 | मनीष सिसोदिया को सीबीआई का समन जारी हुआ। |
19 फरवरी , 2023 | सिसोदिया की मांग पर सीबीआई ने समय दिया। |
26 फरवरी 2023 | मनीष सिसोदिया को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। |