मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सियासत भारी बारिश के बावजूद नए पीसीसी चीफ के मुद्दे पर तप रही है। संगठन और सरकार का तवा इतना गरम है कि दिग्विजय सिंह से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम के छींटे मारो तो छनाछन की आवाज आ रही है। विवादों के बीच सबको संभालने और समझने वालों में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का नाम अध्यक्ष के लिए आता है। इसी बीच सिंधिया समर्थक स्वर्गीय माधव राव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक प्रदेश कांग्रेस की कमान से दूर रखने के लिए दिग्गी राजा को ही निशाने पर लेते हैं।
दिग्गी भी राजनीती के कम खिलाडी नहीं है उन्होंने ना केवल अपना नाम अध्यक्ष पद के दावेदारों की लिस्ट से हटवाने की घोषणा की बल्कि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आगे बढ़ते देख राजनीती का नया दांव खेल दिया है। दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी का नाम अध्यक्ष पद के लिए उछाल दिया है। राजनीती के मैदान में उनकी जीतू पटवारी के रूप में फैंकी गई गेंद को ” वाइड बॉल ” कहा जा रहा है।
एक जमाने में अर्जुन सिंह के बाद माधवराव को मुख्यमंत्री बनाने लगभग तय हो गया था लेकिन अर्जुन की चाणक्य बुद्धि के चलते उनकी जगह मोतीलाल वोरा की ताजपोशी हो गई थी। इसके बाद पिछले साल ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे और कमान मिल गई कमलनाथ को। अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मामले में भी अगर सिंधिया की अनदेखी होती है तो अल्पमत की नाथ सरकार बगावत के चलते अनाथ भी हो सकती है।
असल में पहले पिता और अब उनके साथ लगातार प्रदेश नेतृत्व के मुद्दे पर नाइंसाफी ज्योतिरादित्य कैंप सहन करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में संभव है बगावत हुई तो जिस तरह डीपी मिश्र की कांग्रेस सरकार को सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने गिराया था मुमकिन है राजनीति बगावत के उसी मुहाने पर खड़ी दिखाई दे। सब लोग दम साधे कांग्रेस में नए अध्यक्ष की ताजपोशी और उसके बाद के हालात की प्रतीक्षा में हैं।

लेकिन एन मौके पर इस दिलचस्प कहानी में दिग्गी राजा की भी एंट्री भी हो गई, जिन्होंने जीतू पटवारी का नाम प्रमुखता से आगे बढ़ाया है। कहानी का अंत होने से पहले ही दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के शिक्षा एवं युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी का नाम सामने लाकर इस कहानी को फिर दिलचस्प मौढ़ पर लाकर खड़ा कर दिया है।
जीतू पटवारी का नाम आज प्रदेश के कद्द्द्वर नेता में शुमार है और उनकी गिनती भी राहुल गांधी के विश्वास पात्र सिपासलारों में होती है। यही कारण है कि हारे हुए नेता ज्योदिरादित्य सिंधिया, जोकि बड़ी तेजी से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी की ओर बढ़ रहे थे, अब जीतू पटवारी उनके रास्ते का पत्थर बन गए है। अब अध्यक्ष पद के लिए जंग जीतू पटवारी बनाम सिंधिया हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा की कौन इस जंग को जीतता है?