मध्य प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। कमलनाथ की सरकार गिरने और शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने बाद लग रहा था कि मध्यप्रदेश की राजनीति संकट खत्म हो जाएगा पर ऐसा नहीं है। अब सियासत की तलवार चाणक्य के रूप में प्राण प्रतिष्ठित दिग्विजय सिंह पर लटक गई है।
पिछली बार मुख्यमंत्री पद से उन्हें हाथ धोना पड़ गया था। अब उनकी राज्यसभा की सीट भी खतरे में है। असल में मध्य प्रदेश से दलित नेता फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेजने की मांग की जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि 6 महीने बाद जब मध्य प्रदेश में चुनाव होगा तब फिर से कांग्रेस की सरकार होगी।
क्या है कांग्रेस का दलित फार्मूला?
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 6 महीने बाद मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उप-चुनाव होना है। यह उप-चुनाव कोई सामान्य चुनाव नहीं होगा। इस चुनाव से फाइनल होगा कि मध्य प्रदेश में बाकी 3 साल किसकी सरकार होगी। ऐसे में यदि कांग्रेस पार्टी 24 में से 17 सीटें जीत लेती है तो मध्य प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार होगी। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यदि फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेजा जाए तो दलित वोट कांग्रेस की ओर प्रभावित होगा और एक बार फिर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी।
क्या दिग्विजय पार्टी के लिए बलिदान देंगे?
यह तो सुनिश्चित है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के विधायक उसी को वोट देंगे जिसे दिग्विजय सिंह चाहेंगे। कांग्रेस हाईकमान इस मामले में दखल नहीं देगा। क्योंकि कांग्रेस हाईकमान मध्य प्रदेश की किसी भी मामले में दखल नहीं देता। मध्य प्रदेश में सभी फैसला दिग्विजय सिंह करते हैं। अपनी बात सोनिया गांधी तक पहुंचाने के लिए कभी कमलनाथ तो कभी कोई और नेता माध्यम बनाते आए हैं। फूल सिंह बरैया को राज्यसभा का कैंडिडेट दिग्विजय सिंह ने ही बनाया था। उसके पीछे उनकी लालसा दलित वोट ही रहा था।