महाराष्ट्र में चुनाव में हार का जख्म अभी भरा भी नहीं था कि इंडिया गठबंधन की गांठ भी कमजोर पड़ने लगी है। एक ओर जहां उद्धव के एक करीबी के बयान के बाद एमवीए से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने अपना नाता तोड़ लिया है वहीं यूपी में जिस तरह से सपा नेता कांग्रेस पर हमलावर हैं उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की जिम्मेदारी कांग्रेस के बजाय किसी अन्य दल के नेता के पास जा सकती है। यहां तक कि सपा नेता कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में भी नहीं शामिल हो रहे हैं। संसद में तो उन्होंने कांग्रेस से किनारा भी कर लिया है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े किए हैं। रामगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अगर अच्छा प्रदर्शन करती तो आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री न बन पाते। चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का कांग्रेस कहीं अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में चार सीटें हार गई। कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार है वहां भी आधी सीटें हार गए।
संसद में अडानी मुद्दे को जहां कांग्रेस की ओर से उठाया जा रहा है तो वहीं समाजवादी पार्टी खुलकर इस मुद्दे पर उसके साथ खड़ी नहीं दिख रही है। यूपी उपचुनाव में ही दोनों के बीच कड़वाहट देखने को मिली थी। अब संभल मुद्दे पर सपा को कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा है। यही हाल अन्य सहयोगी दलों का भी है। टीएमसी सवाल खड़े कर रही है तो अरविंद केजरीवाल भी पुरानी राह पर लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा हुई, लेकिन गठबंधन नहीं हुआ। जब नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो कांग्रेस पर सवाल उठे। कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के दूसरे दलों ने नसीहत दी कि अगर साथी दलों को मिलाकर लड़े होते तो नतीजे कुछ बेहतर होते। पहले हरियाणा अब महाराष्ट्र में कांग्रेस की करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से पहले ही यह ऐलान कर दिया गया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा और पार्टी अकेले लड़ेगी।
दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गठबंधन के नेतृत्व को लेकर हाल ही में अपना दावा ठोका है। जिससे कांग्रेस असहज हो गई है। एनसीपी शरद गुट और समाजवादी पार्टी ने ममता का समर्थन किया है जिसके बाद से सियासी गलियारे में हलचल मच गई है। मौजूदा राजनीति की बात करें हैं तो साफ तौर से दिखाई देता है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में नूरा कुश्ती सा माहौल शुरू हो चुका है। शायद यही वजह है कि अब राम गोपाल यादव भी अपनी आवाज बुलंद कर गठबंधन में दरार की बात कर रहे हैं।
पिछले दिनों संसद में भी राहुल गांधी अडानी के मुद्दे को उठा रहे थे, जबकि इंडिया ब्लॉक की मजबूत सहयोगी समाजवादी पार्टी संभल हिंसा को लेकर मुखर थी। हालांकि इसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी संभल यात्रा के लिए निकले, लेकिन जाने की अनुमति नहीं मिली। इस पर भी रामगोपाल यादव ने कहा था कि अब जाने की क्या जरूरत थी। समाजवादी पार्टी तो पहले ही मुलाकात कर चुकी है। इसके बाद संसद में सीटिंग प्लान को लेकर भी सपा नाराज है। यही नहीं शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट ने सपा को महाराष्ट्र में बीजेपी की बी टीम बताकर आग में घी डालने का काम किया है। ऐसे में देखने वाली बात है कि जब लोकसभा में मिलकर सरकार को घेरना था तब विपक्षी एकता आपस में ही लड़ती हुई दिखाई दे रही है जो गठबंधन में खटपट के संकेत दे रही है।