प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे का आज दूसरा दिन है। सबसे पहले मोदी ने जशोरेश्वरी मंदिर में काली मां के दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने गोपालगंज जिले के तुंगीपारा में बंगबंधु स्मारक पहुंचकर राष्ट्रबंधु के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वे मतुआ समुदाय के ओरकांडी मंदिर पहुंचे और वहां पूजा-अर्चना की। ओराकांडी वहीं जगह है, जहां मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिशचंद्र ठाकुर का जन्म हुआ था। मतुआ समुदाय बंगाल चुनाव के लिहाज से भी काफी मायने रखता है। प्रधानमंत्री के बांग्लादेश दौरे को कुछ लोग बंगाल की राजनीति से जोड़कर देख रहे है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते प्रधानमंत्री ने अपने सभी दौरे रद्द किए हुए है। राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि प्रधानमंत्री ऐसे समय में बांग्लादेश जा रहे है जिस समय बंगाल में चुनाव हो रहा है। बंगाल में बीजेपी ने ममता बनर्जी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।
मोदी के बांग्लादेश दौरे के दौरान वहां पर हिफाजत-ए-इस्लाम नामक संगठन ने मोदी का विरोध किया। विरोध प्रदर्शन इतना ज्यादा हिंसक हो गया कि इसमें पांच लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए है। मौतें तब हुई जब चटगांव में मदरसे के छात्रों और इस्लामी लोगों की पुलिस के साथ झड़प हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैंस के गोले और रबड़ की गोली का इस्तेमाल किया। जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई।
इस्लामी ग्रुप ने सरकारी बिल्डिगों पर हमला किया, जिसमें पुलिस स्टेशन और लैंड ऑफिस शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने इलाके में कार्रवाई की। इतना ही नहीं प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ट्रेन सेवा को भी बाधित किया, और रेलवे के दफ्तरों में आग लगा दी। लेफ्टिनेंट कर्नल फैज़ुर रहमान ने शनिवार को एएफपी समाचार एजेंसी को बताया कि गृह मंत्रालय के निर्देशों और नागरिक प्रशासन की सहायत से देश के विभिन्न् जिलों में भारी संख्या में बीजीबी (Border Guard Bangladesh) को तैनात किया गया है। बीजीबी की तैनाती के बाद घटना की कोई और रिपोर्ट नहीं आई।
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान एक ऐसा बयान दिया, जिसके चर्चा भारतीय राजनीतिक गलियारों में होने लगी। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार 26 मार्च को बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ग जयंती और बांग्लादेश के बंगबधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शतााब्दी के अवसर पर ढाका में आयोजित मुख्य समारोह पर 1971 के युद्ध को याद किया। मोदी ने अपने बयान में कहा कि यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए, उनकी तस्वीरें विचलित करती थीं और भारत में लोगों को कई-कई दिन तक सोने नहीं देती थीं। मोदी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।’’ उन्होंने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान का सब सम्मान करते है इस देश के गठन में उनका प्रयास न भूलने वाला है। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद भारतीय राजनेताओं ने पीएम को जमकर कोसा। कांग्रेस नेता और केरल से सांसद शशि थरुर ने प्रधानमंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान, हमारे प्रधानमंत्री बांग्लादेश को फर्जी खबर का स्वाद चखा रहे है। हर कोई जानता है कि बांग्लादेश को किसने आजाद करवाया। शशि थरूर के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी पर निशाना साधते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संपूर्ण राजनीतिक विज्ञान करार दिया।
कांग्रेस नेताओं को जवाब देते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बांग्लादेश द्दारा अटल बिहारी वाजपेयी को दिए प्रशस्ति पत्र को शेयर करते हुए ट्वीट किया कि “क्या प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश की मान्यता के लिए जनसंघ द्वारा आयोजित सत्याग्रह का हिस्सा थे? हाँ वह थे। बांग्लादेश द्वारा वाजपेयी जी को दिया गया एक प्रशस्ति पत्र रैली की बात करता है। पीएम मोदी ने 1978 में लिखी एक किताब में बांग्लादेश सत्याग्रह के दौरान तिहाड़ जाने के बारे में भी लिखा था।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बांग्लादेश दौरे से पहले बांग्लादेश के प्रसिद्ध अखबार द डेली स्टार के लिए एक लेख भी लिखा था। अपने लेख में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को भारत में भी बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है और उनकी सोच को सराहा जाता है। यही कारण है कि आज इस जश्न के मौके पर भारत के लोग भी बांग्लादेश के साथ हैं। अगर बांग्लादेश के संघर्ष को देखें, तो विचार किया जा सकता है कि अगर बंगबंधु की हत्या ना की जाती तो आज उपमहाद्वीप किस तरह दिखता। बांग्लादेश आज जंग के गम को भुलाकर विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है।