क्रिकेट और राजनीति का पुराना नाता रहा है । क्रिकेट के धुरंधर खिलाड़ी जब खेल का मैदान छोड़ते हैं तो वह राजनीतिक पारी खेलने के लिए राजनीतिक दलों की ओर रुख करते हैं । अब से पहले कई ऐसे धुरंधर खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने खेल से राजनीतिक तक का सफर तय किया है। चाहे पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू रहे हो या दिवंगत यूपी के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान । कीर्ति आजाद हो या वर्तमान में भाजपा के पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर । सभी का राजनीतिक मोह सामने आ चुका है। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम के एक धुरंधर खिलाड़ी भी अपना पोलिटिकल कैरियर बनाने की ओर मुखातिब होते दिख रहे है । वह है महेंद्र सिंह धोनी।
जी हां, वही महेंद्र सिंह धोनी जिन्होंने 15 अगस्त के दिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम से सन्यास लेने की घोषणा की है। वही महेंद्र सिंह धोनी जिन्हें सन्यास लेने के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही भावुक पत्र लिखा और साथ ही शुभकामनाएं भी दी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह है कि प्रधानमंत्री मोदी की धोनी को यह शुभकामनाएं उनका पोलिटिकल कैरियर शुरू करने की थी । बाद में धोनी ने एक ट्वीट करके मोदी का आभार भी व्यक्त किया।
An Artist,Soldier and Sportsperson what they crave for is appreciation, that their hard work and sacrifice is getting noticed and appreciated by everyone.thanks PM @narendramodi for your appreciation and good wishes. pic.twitter.com/T0naCT7mO7
— Mahendra Singh Dhoni (@msdhoni) August 20, 2020
हालांकि, इसमें दो राय नहीं कि पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी और बीजेपी की गहरी नज़दीकियां रही है । यहां तक की वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर के साथ ही महेंद्र सिंह धोनी का नाम भी अपने स्टार प्रचारकों में शामिल कर लिया था । तब बहुत जोरों से चर्चा चली थी कि धोनी क्रिकेट से अलविदा कर जल्दी ही भाजपा की राजनीति ज्वाइन करने वाले हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद क्रिकेट का विश्व कप था । जो धोनी की अगुवाई में होना जरूरी था। बताया जाता है कि इसके मद्देनजर ही धोनी का राजनीति में जाना का सपना पूरा नहीं हो सका था।
लेकिन धोनी का वह सपना शायद अब पूरा होने जा रहा है। क्योंकि अब उनके कंधे पर भारतीय क्रिकेट टीम को जिताने की जिम्मेदारी नही है। हालांकि पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की ओर से राजनीतिक ज्वाइन करने का अभी कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन कहा जाता है कि उनकी चुप्पी में ही कई सवालो के जवाब छुपे होते हैं। धोनी की खामोशी को बेहद गंभीर माना जाता रहा है।
भाजपा पहले से ही महेंद्र सिंह धोनी को झारखंड की राजनीति का नया सितारा के रूप में देखती रही है। फिलहाल , भाजपा नेताओं की बात करें तो पूर्व में भी धोनी को भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं खूब जोर शोर से चली थी। जुलाई 2019 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता संजय पासवान ने दावा किया था कि धोनी जल्द ही क्रिकेट से संन्यास लेकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। पासवान ने यह भी दावा किया था कि उनकी इस संबंध में धोनी से कई बार मुलाकात और बातचीत हो चुकी है। तब पासवान ने एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए यह दावा किया है।
यही नहीं बल्कि रांची से भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा है कि धोनी चाहेंगे तो उनसे रांची आने पर बात की जाएगी। धोनी पर ही सबकुछ निर्भर है। इसके साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने धोनी को राजनीति में आने का ऑफर दिया था। स्वामी ने तो यहां तक कहा था कि धोनी को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में हाथ आजमाना चाहिए। साथ ही स्वामी का यह भी कहना है कि उनकी क्रिकेट के मैदान में बाधाओं से लड़ने और टीम के प्रेरक नेतृत्व वाली काबिलियत की सार्वजनिक जीवन में जरूरत है।
याद रहे कि वर्ष 2018 में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने ‘संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान के तहत महेंद्र सिंह धोनी से मुलाकात की थी। तब भी बडे जोर से कयास लगने शुरू हुए थे कि धोनी 2019 के आम चुनाव में भाजपा के टिकट पर रांची से मैदान में उतर सकते हैं।
भाजपा का क्रिकेट खिलाड़ियों से प्रेम काफी पुराना है। वह समय समय पर क्रिकेट के सितारों को अपनी पार्टी का चेहरा बनाती रही है। यह पहली बार नहीं है, जब कोई क्रिकेट खिलाड़ी भाजपा में शामिल होगा। पिछले साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी गौतम गंभीर को भाजपा में शामिल कराया गया और उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से पार्टी के टिकट पर संसद का चुनाव लडाया गया था।
जहां वह विजयी हुए थे। यही नहीं बल्कि पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजीत सिंह सिद्धू भी भाजपा में रह चुके हैं। हालांकि, फिलहाल वह इस समय कांग्रेस में हैं और पंजाब सरकार में मंत्री हैं। इनसे पहले क्रिकेटर चेतन चौहान और कीर्ति आजाद ने भी खेल को अलविदा कहने के बाद राजनीतिक पारी की शुरुआत भाजपा से ही की थी।
क्रिकेटर चेतन चौहान उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री थे । कुछ दिन पहले ही उनकी कोरोना महामारी की चपेट में आ जाने से मौत हुई है । जबकि कीर्ति आजाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1993 में बीजेपी विधायक के रूप में दिल्ली की गोल मार्केट विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर की थी। बाद में वह दरभंगा से भाजपा के सांसद भी रहे। हालांकि फिलहाल वह कांग्रेस में है।