केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को लॉकडाउन के तीसरे चरण में बढ़ोतरी करते हुए उसे 14 दिन के लिए आगे कर दिया था। जबकि इससे दो दिन पहले ही पंजाब सरकार ने अपने राज्य में लॉकडाउन को 17 मई तक घोषित कर दिया था। आखिर पंजाब में ऐसी क्या नौबत आ गई थी कि केंद्र सरकार के आदेश का इंतजार करने से पहले ही वह अपने प्रदेश में दो सप्ताह का लॉकडाउन बढ़ा चुके थे।
इसकी तह में जाते हैं तो एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आती है। दरअसल, पंजाब सरकार अपने एक देरी से लिए गए फैसले से अब घिरती हुई नजर आ रही है। कहा जा रहा है कि पंजाब सरकार ने जो फैसला 24 मार्च को करना था वह एक माह बाद किया। पंजाब सरकार अगर इस मामले में सक्रियता दिखाती और समय रहते श्रद्धालुओ को 24 मार्च में ही घर वापसी करा लेती तो आज यह दिन देखने नही पडते।
25 मार्च को जब लॉकडाउन का प्रथम चरण शुरू हुआ था तो प्रदेश के करीब 3700 श्रद्धालु महाराष्ट्र के नांदेड़ में गए हुए थे। नांदेड़ में श्री हजूर साहिब के दर्शनार्थ गए यह श्रद्धालु लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद वहीं फंसे रहे। जबकि श्रद्धालूओ ने 24 मार्च को ही पंजाब और महाराष्ट्र सरकार से उन्हें घर वापसी की अपील की थी। लेकिन दोनों प्रदेशों की सरकारों ने उनकी इस अपील पर ध्यान नही दिया।
इसी दौरान पंजाब में राजनीति शुरू हो गई। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर विपक्ष तरह-तरह के आरोप लगाने लगा कि वह प्रदेश के साढ़े तीन हजार से अधिक श्रद्धालुओं को राज्य में नहीं ला रहे हैं।
जब एक सप्ताह पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोटा में फंसे प्रदेश के करीब 300 छात्रों को यह घर वापसी कराई तो कैप्टन के लिए महाराष्ट्र से अपने प्रदेश के श्रद्धालुओं को लाना का रास्ता खुलता हुआ नजर आया। इसके बाद आनन-फानन में श्रद्धालुओं को पंजाब लाने की मुहिम शुरू कर दी गई।
छह दिन पहले महाराष्ट्र के नांदेड़ से श्रद्धालुओं की घर वापसी की योजना को अमलीजामा भी पहना दिया गया। लेकिन इसी दौरान पंजाब सरकार ने सबसे बड़ी भूल कर दी। वह यह कि सरकार जिन श्रद्धालुओं को महाराष्ट्र के नांदेड़ से वापिस पंजाब लाई उनकी गहनता से जांच नहीं की गई।
इसी के साथ श्रद्धालुओं को वातानुकूलित बसों में लाया गया। श्रद्धालुओं को घर वापसी कराते समय सोशल डिस्टेंस का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया। इन्हीं तीन गलतियों की वजह से आज पंजाब कोरोना विस्फोट के मुहाने पर पहुंच चुका है।
फिलहाल पंजाब में कोरोना वायरस के 832 केस पॉजिटिव है। जिनमें 432 अकेले महाराष्ट्र के नांदेड़ से आए श्रद्धालुओं के हैं। इसका मतलब यह है कि आधे से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव के केस सिर्फ महाराष्ट्र से आयातित हुए।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा पिछले छह दिन में डबल हुआ है। छह दिन पहले तक पूरे प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या 400 से भी कम थी। लेकिन अचानक नांदेड़ से आए श्रद्धालुओं ने कोरोना संक्रमित केसों की संख्या में दुगनी बढ़ोतरी कर दी है।
अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार इस मामले में घिरते हुए नजर आ रही हैं। हालांकि, विपक्ष अभी भी हमलावर है। वह विपक्ष जो पहले श्रद्धालुओं को महाराष्ट्र से न लाने पर सरकार की खिंचाई कर रहा था। वहीं विपक्ष अब श्रद्धालुओं को गृह प्रदेश लाने में हुई चूक को बड़ा मुद्दा बनाए हुए हैं।
बताया जा रहा है कि जिस तरह से बसों में श्रद्धालुओं को लाया गया उस दौरान कोरोना से बचने का कोई खास इंतजाम नहीं किया गया। बताया यह भी जा रहा है कि बसों को क्वारेनटाइन भी नहीं किया गया और न ही उनमें सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखा गया।
इसी के साथ रही सही कसर बसों के ड्राइवरों ने पूरी कर दी। बताया जा रहा है कि वातानुकूलित बसों से आए श्रद्धालुओं को कोरोना पॉजिटिव करने के लिए ज्यादातर बसों में चलाए गए एसी दोषी है। बताया यह भी जा रहा है कि जिन ढाबो पर भोजन आदि के लिए बसें रोकी गयी वहां से तथा उनके टायलेट से भी लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ हो।
कहा जा रहा है कि वातानुकूलित बसों में जब एसी चला दिए गए तो उनके हवा से लोग संक्रमित हो गए। बताया जा रहा है कि कोरोना पॉजिटिव लोग जब एसी वाली बस में खासते या छीकते थे तो उनके वायरस हवा में फैल जाते हैं। वहीं वायरस पूरी बस में फेल कर श्रद्धालुओं में कोविड 19 का संक्रमण फैला गए।
फिलहाल पंजाब में नादेड साहिब से आए श्रद्धालूओ के कोरोना संक्रमित पाए जाने के मामले रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी जो आकड़े सामने आ चुके है उनके अनुसार अमृतसर में 199, तरन तारन में 15, मोहाली में 21, लुधियाना में 56, कपूरथला में 10, होशियापुर में 37, गुरदासपुर में 3, फरीदकोट में 3, पटियाला में 27, संगरुर में 3, भटिंडा में 2, रोपड़ में 2, मोगा में 19, जालंधर में 2, नवांशहर में 1, फिरोजपुर में 19, मुक्तसर में 3, फतेहगढ़ साहिब में 6 और फजिल्का में 4 श्रद्धालु पॉजिटव पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि अभी भी हजारों लोगों की जांच रिपोर्ट सामने नही आई हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद यह आकड़ा बढ़ सकता है।