केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद देशभर में लालबत्ती कल्चर को खत्म कर खूब बहवाही जरूर लूटी थी लेकिन पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार जिस तरह से किसी भी राजनेता को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहय्या करा रही है उसे लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार केंद्रीय सुरक्षा बलों का दुरुपयोग कर उन्हें ‘रेवड़ियों’ की तरह बाट रही है।
देश में पहले यह सुरक्षा अहम पद पर विराजमान नेताओं को मिलती थी या फिर उन्हें मिलती थी जिन्हें आतंकी संगठनों की जान का खतरा हो। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि हर उस नेता को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिल रही है, जो किसी विरोधी पार्टी से दलबदल करके भाजपा के साथ आया हो या आने वाला हो। ताजा मामला ओमप्रकाश राजभर का है, जो अभी भाजपा में शामिल भी नहीं हुए हैं। उन्होंने सिर्फ समाजवादी पार्टी का विरोध कर सपा गठबंधन से अलग हो राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया। जैसे ही उन्होंने मुर्मू का समर्थन किया उनको वाई श्रेणी की सुरक्षा मिल गई। ऐसे में विपक्षी दलों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजभर को खुश करने के लिए वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है । इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं बनाया, बल्कि उनके साथ शिवसेना से बगावत करने वाले विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा भी दे दी है। इसके साथ 12 बांगी सांसदों को केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा वाई श्रेणी की सुरक्षा दी है।
इतना ही नहीं इससे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान कवि कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर एक टिप्पणी की थी उसके तुरंत बाद केंद्र सरकार ने उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा मुहय्या करा दी थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद तो केंद्र सरकार ने कमाल ही कर दिया था। तब वंहा भाजपा के लगभग 70 विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी थी। उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार को गिराने के बाद उस समय बागी विधायकों को केंद्र की भाजपा सरकार ने वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी। इतना ही नहीं उनके आवास पर भी सुरक्षा उपलब्ध कराया था हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, प्रदीप बत्रा, शैलारानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, उमेश शर्मा उर्फ काऊ वर्ष 2016 में रणनीति के तहत भाजपा विधायकों के साथ दिल्ली रवाना हो गए थे।
ऐसे कई मामले है जब केंद्र की भाजपा सरकार ने विपक्षी पार्टी से आने वाले नेताओं को वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई है। सबसे हैरान करने वाली बात यह कि केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ वीआईपी कल्चर खत्म करने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ केंद्रीय सुरक्षा बलों में जवानों की कमी के बावजूद नेताओं को वाई श्रेणी की सुरक्षा ऐसे मुहय्या कर रही है जैसे ‘रेवड़ी’ बाट रही हो। इससे राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच अविश्वास भी बढ़ रहा है और टकराव की आशंका पैदा हो रही है।
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