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जन आंदोलन के बावजूद एनआईटी के शिफ्ट होने की आशंकाएं बढ़ीं 

उत्तराखंड में लोग आंदोलित हैं कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनआईटी) को राज्य से बाहर न ले जाया जाए, लेकिन उनकी यह मुहिम सफल होने की संभावनाएं क्षीण हैं। कारण कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी मिनिस्ट्री) ने राज्य सरकार के सामने स्थाई कैंपस को लेकर जो शर्तें रखी हैं, उन्हें पूरा कर पाना राज्य सरकार के लिए फिलहाल काफी चुनौतीपूर्ण है। अगर राज्य सरकार ने एनआईटी के स्थाई कैंपस के लिए जल्दी ही उचित जगह तय नहीं की तो बहुत संभव है कि राज्य से एनआईटी किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी मिनिस्ट्री) की ओर से उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा गया है जिसमें स्थाई कैंपस की जगह को लेकर कुछ महत्वपूर्ण शर्तें रखी गई हैं। एचआरडी मिनिस्ट्री ने कहा है कि श्रीनगर में जहां एनआईटी का अस्थाई कैंपस है, वहां राज्य सरकार छात्रावास के लिए करीब डेढ़ एकड़ भूमि उपलब्ध कराए। इसी के साथ राज्य सरकार को यह भी बता दिया गया है कि सुमाड़ी में तय की गई जगह स्थाई कैंपस के लिए उचित नहीं है।
मानव संसाधन मंत्रालय ने राज्य सरकार के सामाने शर्त रखी है कि कैंपस की भूमि ऐसी जगह पर हो जहां इंडस्ट्री के साथ एसोसिएशन हो सके, ताकि छात्रों को पढ़ाई के साथ ही इंडस्ट्री का व्यवहारिक अनुभव भी मिल जाए। इसके अलावा यह भूमि एयरपोर्ट के पास हो ताकि फैकल्टी में बाहर से आने वाले गेस्ट लेक्चरर के लिए सुविधा रहे। एक शर्त यह भी है कि कैंपस की भूमि ऐसी जगह पर हो जिसके आस -पास दूसरे जॉब्स के विकल्प हों ताकि यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के परिजनों को भी रोजगार के अवसर मिल सकें।
अब राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह कितनी जल्दी एचआरडी मिनिस्ट्री की शर्तों को पूरा कर पाती है। बहरहाल मिनिस्ट्री ने उसे स्पष्ट कर दिया है कि वह उसके लिए ज्यादा इंतजार नहीं करेगी।

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