पुलिस की लापरवाही के कारण मंगलवार को एक बुजुर्ग की मौत हो गई। बुजुर्ग को उनका बेटा छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ बॉर्डर तक लाया था। क्योंकि उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं थी। लेकिन पुलिस की लापरवाही से उस बुज़ुर्ग की जान चली गई।
मृतक के बेटे का कहना है कि पिता की तबियत खराब थी इसलिए उनके पास ई-पास होने के बाद भी बॉर्डर पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें डेढ़ घंटे तक रोका रखा। बेटे का नाम नीलेश मिश्रा है। नीलेश मिश्रा अपने पिता को मध्य प्रदेश के उमारिया से बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल ले जा रहे थे। क्योंकि उनके पिता को गांव में हार्ट अटैक आया था। उन्होंने बताया कि उनके पाई वैद्य ई-पास भी था।
नीलेश का कहना है कि जैसे वे लोग मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर पहुंचे उन्हें पुलिस ने रोक लिया। नीलेश ने कहा, “हम पुलिस को अपना ई-पास दिखाते रह गए लेकिन पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। किसी ने कहा यह नहीं चलेगा तो किसी ने कहा कि यह हमें पढ़ना नहीं आता।”
नीलेश ने बताया जब चेक पोस्ट पर देर होने लगी तो उनके 78 वर्षीय पिता कैशव मिश्रा जैसे-तैसे गाड़ी से निकले और पुलिस के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मुझे जाने दीजिए। समय ज्यादा लगने के कारण उनकी तबीयत और बिगढ़ने लगी।
नीलेश के मुताबिक, ज्यादा समय लगने से मेरे पिता टेंशन में आ गए उनके सीने में दर्द होने लगा और उन्होंने सड़क पर दम तोड़ दिया। अगर पुलिस हमें नहीं रोकती तो आज पिताजी हमारे साथ होते। उनका कहना है कि पुलिस की लापरवाही के चलते ही उनके पिता की जान गई है।
वहीं मौके पर पहुंचे एसडीएम कोरिया आर.पी. चौहान ने नीलेश के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि यह घटना बेहद दुखद है। इन लोगों को जाने की परमिशन मिल गई थी। लेकिन इनको (कैशव मिश्रा) को हार्ट अटैक आ गया, वह पहले से ही बीमार चल रहे थे।
डेढ़ घंटे रोके जाने की बात जब पूछी गई तो एसडीएम का साफ कहा कि यहां पुलिस, प्रशासन की टीम बैठी है जिन्हें सभी नियमों की जानकारी है। इन लोगों को मुश्किल से 7-8 मिनट रोका गया। लगभग इतना ही टाइम इस पूरी प्रक्रिया में लगता है।