विश्व में अवसाद के मामले जिस तरह दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। उसी तरह रोजाना इससे जुड़े अध्ययन सामने आते रहते हैं। इस गंभीर विषय पर आए एक सर्वे, स्टडी और खोज के अनुसार देखा गया है कि मांसाहारी व्यक्तियों की तुलना में शाकाहारी व्यक्ति अधिक अवसाद से ग्रसित हो रहे हैं। जिसके कई कारण सर्वे में बताये गए हैं। हालांकि मांसाहारी भोजन खाने वाले व्यक्तियों में कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होने की चेतावनी भी दी जाती रहीं हैं, लेकिन अवसाद के लिए यह काफी कारगर साबित हुआ है।
दरअसल, ब्राजील के एक नए सर्वेक्षण में आये आंकड़ों के अनुसार शाकाहारियों में मांसाहारियों की तुलना में लगभग दोगुने अवसाद की संख्या को देखा गया है। लेकिन एक वर्ष पहले आये सर्वे में मांस खाने वालों में अवसाद की उच्च दर पाई गई थी। हालांकि, नए अध्ययन में इसके विपरीत परिणाम देखे गए हैं। इस अध्ययन में बताया गया है कि शाकाहारी व्यक्ति के शरीर में ज़रूरी पोषण तत्वों की कमी होने के कारण उनके शरीर में अवसाद से लड़ने की छमता कम हो जाती है। जिस कारण वह शाकाहारियों की तुलना में अधिक अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं।
हालांकि दूसरे सर्वे ‘जर्नल ऑफ इफेक्टिव डिसऑर्डर’ में प्रकाशित नए विश्लेषण के अनुसार शाकाहारियों में कुल कैलोरी सेवन, प्रोटीन सेवन, सूक्ष्म पोषक तत्वों का सेवन और खाद्य प्रसंस्करण के स्तर सहित पोषण संबंधी कारकों की एक विस्तृत श्रृंखला को ध्यान में रखा गया। जिससे पूर्व पोषक तत्वों को हम शाकाहारी खाने से भी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन हमारी आज कल की व्यस्त ज़िन्दगी में पोषण तत्वों का विलाप रहता है जो हमारे शरीर को नहीं मिल पाते और अवसाद से लड़ने की छमता भी कम हो जाती है। अवसाद से लड़ने के लिए हमें मांसाहारी होने की ज़रूरत नहीं बल्कि अपने भोजन में सभी पौष्टिक आहारों का होना अनिवार्य है।
अवसाद क्या है ?
अवसाद के कई कारण हो सकते हैं, कभी-कभी जब लोग उदास महसूस करते हैं तो वे कहते हैं कि वे “उदास” हैं। लेकिन अवसाद उदास महसूस करने से कहीं ज्यादा है जैसे- अपनी मनपसंद चीज़ों को नापसंद करना, हर समय उदास या सुन्न महसूस करना, आसानी से या बिना किसी कारण के रोना, बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस करना, बेकार या दोषी महसूस करना, भूख में बदलाव; वजन में अनपेक्षित परिवर्तन, चीजों को याद रखने, ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में परेशानी, सिरदर्द, पीठ दर्द या पाचन संबंधी समस्याएं, सोने में समस्या, या हर समय सोने की इच्छा होना, हर समय थकान महसूस होना, मृत्यु या आत्महत्या के बारे में विचारों का आना आदि।
अवसाद के कारण
आपके शरीर में ऐसे रसायन होते हैं जो आपके मूड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जब आपके पास इन रसायनों की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है या जब आपका मस्तिष्क इनका ठीक से जवाब नहीं देता है, तो आप उदास महसूस करने लगते हैं। अवसाद अनुवांशिक हो सकता है (जिसका अर्थ है कि यह परिवारों में चल सकता है)। नशीली दवाओं या शराब का सेवन करने से भी अवसाद हो सकता है। कुछ चिकित्सीय समस्याएं और दवाएं अवसाद का कारण बन सकती हैं। अवसाद होने की कोई निश्चित उम्र नहीं है लेकिन यह युवावस्था से वृद्धावस्था तक कभी भी हो सकता है। ज़िन्दगी के हर पड़ाव में अलग-अलग समस्याओं का सामना करते समय में उदास महसूस करना सामान्य है। लेकिन अगर ये भावनाएँ बनी रहती हैं और आपको अपनी सामान्य गतिविधियों से दूर रखती हैं, तो यह अवसाद बन जाती हैं।
अवसाद के कारण लोग खुद को मुजरिम समझने लगते हैं जिसके कारण लोगों में अपराध बोध की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। जो जानवरों के प्रति प्रेम और दया की भावनाएं उत्पन्न करती हैं, जिससे लोगों के शाकाहारी बनने की संभावना बढ़ जाती है। शाकाहारी होने के बाद शरीर को पोषक तत्वों की मात्रा नहीं मिल पाती और अवसाद बढ़ने लगता है। यह वास्तविक है कि अवसाद में लोग उन विचारों पर चिंतन करने की अधिक संभावना रखते हैं जिससे वह किसी दूसरे व्यक्ति या जानवर को तकलीफ पहुंचाने से डरते हैं।
दूसरी संभावना यह भी हैं कि किस व्यक्ति को किस तरह का खाना पसंद है। यदि कोई व्यक्ति शाकाहारी खाने में अधिक संतुष्टि और पोषक तत्वों को ग्रहण करता है तो वह उसके लिए लाभकारी साबित हो सकता है न की शाकाहारी भोजन। लेकिन यदि कोई व्यक्ति शाकाहारी भोजन से अधिक संतुष्टि और पौष्टिक तत्वों का ग्रहण करता है तो वह उसके लिए लाभकारी साबित होगा। यानी प्रति व्यक्ति की संतुष्टि, ख़ुशी और पौष्टिक मात्रा अलग-अलग तरह से रियेक्ट करती है। उसी तरह अवसाद भी अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग तरह से रिएक्ट करता है। यह उसकी अमानसिक और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है।
विशेष रूप से, नया अध्ययन ब्राजील में एकत्र किए गए सर्वेक्षण के आंकड़ों पर आधारित है, जो अपने मांस-भारी आहार के लिए प्रसिद्ध देश है। कुछ सर्वेक्षण आंकड़ों ने हाल के वर्षों में ब्राजील में शाकाहार में तेज वृद्धि की ओर इशारा किया है, जो 2012 में 8% से बढ़कर 2018 में 16% हो गया है। हालांकि, हाल के पेपर में 14,000 से अधिक ब्राजीलियाई लोगों का सर्वेक्षण किया गया और केवल 82 शाकाहारी पाए गए हैं।