डेंगू के डंक से पूरा उत्तराखंड कराह रहा है। अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। डेंगू पर नियंत्रण करने में उत्तराखंड की त्रिवेद्र सिंह रावत सरकार फेलियर साबित हो रही है। प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग डेंगू से प्रभावित लोगों को समुचित इलाज नही दे पा रहा है। हालात यह हो गए है कि दिल्ली और दूरदाज के लोग डेंगू के डर से उत्तराखंड में नही जा रहे है।
स्वास्थ्य विभाग डेंगू से मरने वालों का आंकड़ा पांच मान रहा है, जबकि कांग्रेस डेंगू के हजारों मरीज और कईयों की मौत का आरोप लगा रही है। त्रिवेंद्र सरकार की शिकायत लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम की टीम राजभवन पहुंची, जबकि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह कहकर कि प्रदेश सरकार खुद बीमार है भाजपा पर कटाक्ष किया है। यही नहीं बल्कि देहरादून में लोगो ने प्रदेश सरकार का पुतला तक फूक डाला है। दूसरी तरफ नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने डेंगू पर साफ सफाई से शहर चमकाने की नसीहत दे डाली।

देहरादून में नेहरू ग्राम निवासी नौवीं कक्षा की छात्रा (17 वर्ष) कई दिन से श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती थी। रविवार सुबह उसकी मौत हो गई। सोमवार को छात्रा के निधन के चलते स्कूल भी बंद रहा। वहीं, 14 सितंबर से अस्पताल में भर्ती शिमला बाईपास निवासी युवती (20 वर्ष) की रविवार को मौत हो गई। जबकि दून अस्पताल में भर्ती ग्रीन फील्ड स्कूल की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भी रविवार को दून अस्पताल में मौत हो गई। यह तो महज देहरादून का आकडा है जिसमें पिछले तीन दिन में डेंगू से तीन लोगों की मौत हो गई। जबकि उत्तराखंड के अन्य जिलो में भी डेंगू का कहर जारी है। बागेश्वर में कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्सवाण को डेंगू हो गया है तो दुसरी तरफ हल्द्वानी नगर पालिका की पूर्व चेयरमैन रेनू अधिकारी को भी डेंगू के चलते मैक्स हास्पिटल में भर्ती कराया गया है।
उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ताजा मामले में प्रदेश में 141 और लोगों को डेंगू का डंक लगा है। इनमें सर्वाधिक 78 मरीज देहरादून से हैं। जबकि नैनीताल में भी 42 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस तरह प्रदेश में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 3016 हो गई है।
आए दिन डेंगू के नए मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ी हुई है। जिस तरह राज्य में डेंगू बेकाबू हो रहा है, उससे यही कहा जा सकता है कि इस बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए किए गए अब तक के सभी इंतजाम धराशायी हो गए हैं।

यही कारण कि इस बार प्रदेश में डेंगू ने पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। बात अगर देहरादून जिले की करें तो यहां पर डेंगू सबसे ज्यादा कहर बरपा रहा है। दून में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 1866 हो गई है।
नैनीताल जनपद में भी 943 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। इसके अलावा हरिद्वार में 104, उधमसिंहनगर में 66, टिहरी में 15, पौड़ी में 12, अल्मोड़ा में आठ और चंपावत व रुद्रप्रयाग में एक-एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है।
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग को मरीजों से संबंधित जो रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं, उसमें बताया गया है कि प्रदेश में 2608 डेंगू पीड़ित मरीज उपचार कर अस्पतालों से डिस्चार्ज हो चुके हैं। वर्तमान में 408 मरीज भर्ती हैं। इनमें दून अस्पताल में 30, कोरोनेशन अस्पताल में 36, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में 53, गांधी शताब्दी अस्पताल में 31, एसपीएस ऋषिकेश में 33, सिनर्जी अस्पताल में 48, कैलाश अस्पताल में 75, मैक्स अस्पताल में 26, बेस अस्पताल हल्द्वानी में 53, सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज अस्पताल में सात, प्राइवेट अस्पताल हल्द्वानी में 14 व एचएमजी अस्पताल हरिद्वार में दो डेंगू के मरीज भर्ती हैं।
गौरतलब है कि राज्य की एक करोड़ से अधिक आबादी के लिये महज 415 स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स ही हैं, जबकि पद 1258 सृजित हैं। यानी 843 एक्सपर्ट डॉक्टर्स के पद खाली हैं। राज्य में दो न्यूरो सर्जन और दो ही चेस्ट सर्जन हैं न गायनेलॉजिस्ट न चाइल्ड स्पेशलिस्ट न पूरे जनरल सर्जन और न ही हार्ट सर्जन। यहां तक कि पुरे कुमाऊं में एकमात्र अल्मोड़ा के हार्ट क्लिनिक तक को सरकार ने बंद करने तक के आदेश दे दिए है। इसके अलावा एक तिहाई रेडियोलॉजिस्ट ही पहाड़ की सेहत को लेकर हाडाहुडी कर रहे है।