संसद में हुई सुरक्षा की चूक को लेकर पिछले कुछ दिनों से इसके पक्ष – विपक्ष में हो रहे तर्कों के कारण लगतार विवाद जारी था। जिसके कारण शीतकालीन सत्र रुकावट की बात कहते हुए अब तक दोनों सदनों से कुल 143 सांसदों को पूरे सत्र निलंबित कर दिया गया है। जिसपर अब लोकसभा सचिवालय ने एक अलग सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि निलंबित सांसदों को संसद चैंबर, लॉबी , गैलरी में जाने की इजाजत भी नहीं होगी।
साथ ही इस दौरान ये सांसद संसदीय गतिविधियों जैसी कि मतदान या अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। सर्कुलर के तहत निलंबित सांसद संसदीय समितियों की बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकते। कार्य सूची में भी इन सांसदों का नाम नहीं रहेगा। इसके अलावा निलंबन खत्म होने की अवधि तक इन सांसदों द्वारा दिया गया कोई भी नोटिस स्वीकार्य नहीं होगा।
गौरतलब है कि 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर विवाद इतना बाद गया कि 14 दिसंबर को 13 सांसदों को निम्बित कर दिया गया इसके बाद 18 दिसंबर 78 सांसदों , 19 दिसंबर को 49 सांसदों और आज यानि 20 दिसंबर 2 लोकसभा सांसदों को सत्र से निलंबित किया जा चुका है। अब कुल मिलाकर निलंबित होने वाले सांसदों की संख्या 141 हो चुकी है। जिसमें लोकसभा के कुल 95 और राज्यसभा के 46 सांसद शामिल हैं।
सदन में सांसदों की स्थिति
लोकसभा और राजयसभा से निलंबित हुए सांसदों के बाद अब सत्र में सांसदों की संख्या में कमी आ गयी है। नियमों के अनुसार लोकसभा में सदस्यों संख्या 543 होनी चाहिए । लेकिन वर्तमान में लोकसभा में 21 सीटों के खाली होने के कारण फिलहाल लोकसभा सांसदों की संख्या 522 है। जिसमें से भाजपा के 290 और उसके सहयोगी दलों के 33 सांसद हैं। वहीं विपक्षी दाल के सांसदों की संख्या 142 है। जिसमें से अब तक 95 सांसद निलंबित हो चुके हैं और सिर्फ 47 विपक्षी सांसद ही बचे हैं।
इसी प्रकार नियमों के अनुसार राज्यसभा सदस्यों की कुल संख्या 245 होनी चाहिए। पर वर्तमान में छह सीटों के खाली होने के कारण राज्यसभा सदस्यों की संख्या 239 है। जिसमें से 46 सांसदों को निलंबित किये जाने के बाद अब सत्र में मौजूद सांसदों की संख्या सिर्फ 193 रह गयी है।
क्या कह रहा विपक्ष
निलंबन के बाद से ही निलंबित किये गए विपक्षियों का गुस्सा चरम पर है और वे सरकार के विरोध में नजर आ रहे हैं उनका कहना है की ये लोकतंत्र की हत्या है। विपक्ष का कहना है की उनके द्वारा में केवल यह मांग की जा रही थी की गृहमंत्री अमित शाह संसद की सुरक्षा में होने वाली चूक पर बयान दें या बात करें। देखा जा रहा है कि इस निलंबन के कारण एक नया विवाद जन्म ले रहा है। इस आदेश का विरोध करते हुए निलंबित सांसदों नें आज (19 दिसंबर ) संसद परिसर में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने संसद के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया।
सत्र से निलंबित किए जाने वाले सांसदों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हैं जिनका कहना है कि, ‘‘हम सिर्फ यही चाहते हैं कि सुरक्षा चूक के विषय पर गृह मंत्री सदन में आकर बयान दें। वह क्यों भाग रहे हैं, मुझे मालूम नहीं है। संसद का सत्र जारी है, लेकिन वह सदन के बाहर बयान दे रहे हैं। ऐसा कभी नहीं होता है। जो बातें सदन में बोलनी हैं, वह बाहर बोली जाती हैं तो इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंचती हैं।” इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि भाजपा के पास सदन चलाने का नैतिक अधिकार नहीं है। तो अगर वे सभी सांसदों को निलंबित कर देंगे तो सांसद अपनी आवाज़ कैसे उठाएंगे? वो तीन महत्वपूर्ण विधेयक पास कर रहे हैं। लोकतंत्र में एक व्यवस्था होती है। लोगों की आवाज़ को दबा दिया गया है। विपक्ष को पूरी तरह निलंबित करने के बाद उन्हें सदन चलाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भाजपा पर आरोप लगते हुए कह रहे हैं कि सांसदों का निलंबन लोकतांत्रिक प्रणाली को खत्म करने का षड्यंत्र है और पहले गुजरात में भी इसी तरह से विधानसभा चलाई जाती थी।
जगदीप धनखड़ का उड़ाया मजाक
निलंबन के बाद निलंबित हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने 19 दिसंबर को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की नकल करते हुए उनका मजाक उड़ाते नजर आये जिसे देख कर कई सांसद ठहाके मारकर हंस रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गाँधी उनकी वीडियो बना रहे हैं। जिसपर नाराजगी जाहिर करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ शर्मनाक बताते हुए कहा कि , “दिग्विजय सिंह जी, एक बात सुनिए मेरी ध्यान से। मैंने कुछ देर पहले एक टीवी चैनल पर देखा. गिरावट की कोई हद नहीं है। आपके एक बड़े नेता एक सांसद के असंसदीय व्यवहार का वीडियो बना रहे थे। आपसे बहुत बड़े नेता हैं वो। मैं तो यही कह सकता हूं कि सदबुद्धि आए. कुछ तो सीमा होती होगी, कुछ जगह तो बख्शो। ’

