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सोच विचार कर लिया गया था नोटबंदी का फैसला ;केंद्र सरकार

केंद्र सरकार द्वारा साल 2016 में नोटबंदी की गई थी जिसने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया था। इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अब तक करीब 50 से ज्यादा याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सवाल किया है कि क्या सरकार के पास RBI अधिनियम की धारा 26 के तहत 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को बंद करने का अधिकार है? क्या नोटबंदी करने की प्रक्रिया उचित थी ?
कोर्ट के इन्हीं सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा देते हुए कहा है कि ‘नोटबंदी करना जाली करेंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और टैक्स चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा प्रभावी उपाय था। यह फैसला आरबीआई एक्ट के अंतर्गत आने वाले सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए उसके साथ गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया था।’

 

केंद्र ने अपने पक्ष में दिए तर्क

 

केंद्र सरकार ने नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई के बाद नोटबंदी के फैसले के पक्ष में तर्क देते हुए कहा है कि नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लेने का आदेश एक आर्थिक नीतिगत निर्णय था, जो काफी सोच-विचार करके लिया गया था । यह केवल इतने तक सीमित नहीं था, बल्कि परिवर्तनकारी आर्थिक नीतिगत कदमों की कड़ी में अहम था।’ केंद्र ने इस बात की भी जानकारी दी की साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में कुल वर्कफोर्स 48.10 करोड़ है। इसमें से अनुमानित 40 करोड़ लोग गैर-संगठित क्षेत्र से जुड़े हैं। यह क्षेत्र पूरी तरह से नकदी पर आश्रित था। इसके साथ टेरर फंडिंग, नकली नोट, काला धन और टैक्स चोरी की समस्या बड़े पैमाने पर थी। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने इन वजहों के चलते केंद्र सरकार से 500 और हजार रुपये का नोट बंद करने की सिफारिश की थी, जिस पर विचार करने के बाद फैसला लिया गया।

 

कब हुई थी नोटबंदी

 

देश की मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 के दिन एक बड़ा फैसला लिया जिसके बाद पूरे देश में अफरा – तफरी मच गई। इस दिन रात के ठीक 8 बजे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि तत्कालीन समय में प्रयोग में लाये जा रहे 1000 और 500 के नोटों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। जिसमें यह तर्क दिया गया था कि यह फैसला देश से काले धन, भ्रष्टाचार, जाली नोटों आदि को खत्म करने के लिए लिया गया है। यह नियम उसी दिन आधी रात को लागू भी हो गया था । रात में ही लोगों ने अपने पैसों को बाजार में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अगले दिन सुबह 1000 और 500 की नोटों को बदलवाने के लिए बैंकों के बाहर लम्बी -लम्बी कतारें लगी और यह सिलसिला काफी दिनों तक जारी रहा।

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