[gtranslate]
Country

सट्टा बाजार में लोकतंत्र

सट्टा बाजार में हर पार्टी और प्रत्याशी की हार-जीत का भाव तय है। शहरों से लेकर गांवों तक हर किसी को सट्टा बाजार ने दांव लगाने का मौका दिया है। आम आदमी से लेकर बड़े पूंजीपति इसमें निवेश कर रहे हैं। आज के हाइटेक समय में इंटरनेट ने सट्टा बाजार को फलने-फूलने का बेहतर विकल्प दिया है

आज के हाइटेक समय में हर व्यक्ति किसी भी चीज को बाजार में तब्दील करने के उपाय सोच लेता है। फिर सट्टा तो हर संभावना में कमाई का जरिया निकाल लेता है। सटोरियों ने चुनाव को भी अपने लपेटे में ले लिया है। सटोरियों के लिए इंटरनेट काफी मुफीद साबित हो रहा है। सट्टा में दांव लगाने के लिए तमाम वेबसाइटें मौजूद हैं। जिसमें तरह-तरह के दांव लगाने के लिए शहरों से लेकर कस्बों में संगठित नेटवर्क सक्रिय है।

सुनने में आ रहा है कि इस बार सट्टा बाजार ने देश के आम चुनाव को अपना निशाना बनाया है। चुनाव को कई वर्गों में बांट कर दांव लगवाए जा रहे हैं। खेलने वालों के लिए दस रुपए से लेकर असीमित पैसा लगाने के ऑप्शन हैं। नेट पर चुनावी स्टंटबाजी के लिए खास सतर्कता बरती गई है। भाषा के लिए विशेष कोडवर्ड का उपयोग किया गया है ताकि मामला पकड़ में न आए। सट्टेबाज बाजी लगाने वालों को एक खास कोडवर्ड देते हैं, वहीं कुछ गोपनीय भाषा में हाथ से लिखी पर्ची दे रहे हैं। अगर आप जीत गए तो रकम का भुगतान नकद कर दिया जाता है। सट्टे का कनेक्शन हवाला कारोबार में लगे लोगों से भी है। देश भर में फैले सट्टा केंद्रों में जमा रकम मुख्य आकाओं तक हर दिन पहुंच ही जाती है। ये पैसा हवाला के जरिये ही जाता है। जीतने वालों को पैसा भी इसी प्रक्रिया से दिया जाता है। चुनावी सट्टे बाजी में कई श्रेणियां रखने की चर्चा हो रही है। इसमें प्रधानमंत्री कौन बनेगा, किस दल का बनेगा। दिग्गज नेताओं की हार जीत, क्षेत्रीय दलों की श्रेणी भी है। देश की सरकार पूरे बहुमत से या अन्य दलों के सहयोग से बनेगी के अलावा आपके इलाके के प्रत्याशियों की हार जीत पर दांव लगाने के विकल्प दिए गए हैं। हर श्रेणी के सट्टे के भाव भी अलगे- अलग बताए जा रहे हैं। सट्टा संचालकों ने हारने वाले दलों व प्रत्याशियों के भाव काफी ऊंचे रखे हैं। जीतने वालों के भाव कम हैं। मसलन अमुक की जीत हर तरह से पक्की है, तो दस के बीस रुपये मिलेंगे। हार की संभावना वाले पर दांव लगाने वाले को दस के पचास से लेकर सौ रुपए तक का भाव है। इतना ही नहीं प्रत्याशी की पचास हजार से एक लाख मतों की जीत पर भी सट्टा लगाने की सुविधा है। इतना ही नहीं गठबंधन वाले दलों को मिलने वाली सीटों तथा किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी। महागठबंधन की सरकार बनती है तो कौन नेता प्रधानमंत्री बनेगा, इसका भी विकल्प है। इसमें संभावित नामों के भाव भी अलग-अलग हैं। सट्टा कारोबारियों ने अपनी वेबसाइटों पर इस तरह के सॉफ्टवेयर तैयार कराए हैं। जिनके कोड, भाषा एवं हैक करना आसान नहीं है। हर वर्ग के नतीजों को घोषित करने का समय भी अलग-अलग है। इस खास सट्टे संचालकों के साथ बड़े-बड़े पूंजीपतियां ने काफी धन निवेश कर रखा है, क्योंकि कम समय में अरबों-खरबों रुपए के वारे-न्यारे हो जायेंगे। चर्चा के अनुसार सट्टा बाजार में भाव इस तरह तय किए हैं कि सब लेन-देन करने के बाद भी सत्तर फीसदी रकम उनके हिस्से में बच जाए। चूंकि सट्टा बाजार पहले से ही नेट पर सक्रिय है और देश भर में इसके एजेंट शहर कस्बों तक सक्रिय हैं। देश का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां सट्टा का नेटवर्क मौजूद न हो। सट्टा बाजार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहा है। सामान्य तौर पर लगने वाले सट्टे का समय पांच मिनट, एक घंटा, एक दिन की सीमा में परिणाम घोषित होते हैं। पूर्व में ये बाजार मोबाइल के जरिए हाइटेक हुआ फिर इंटरनेट पर वेबसाइट में पसर गया। सामान्य सट्टे में हर दिन मोटे धन का खेल हो रहा है। खासकर सामान्य वर्ग एवं मजदूर सबका धन बुरी तरह तबाह हो रहा है। सट्टा की वेसाइटें बिना किसी रुकावट के चल रही हैं। इससे साबित होता है कि स्थानीय से लेकर ऊपर तक के जिम्मेदार सरकारी तंत्र सब कुछ मैनेज हैं। कम्प्यूटर और नेट के जानकारों का कहना है, जुए की साइटों को आसानी से खोला जा सकता है। सरकारी आईटी और खुफिया तथा पुलिस का इस अपराध से अंजान बना रहना तमाम सवालों को जन्म देता है।

मजदूरों, छोटे मोटे कार्य करने वालों तथा इसके नेटवर्क एवं बुकिंग के लिए किसी निश्चित स्थान पर सेंटर खोलने की जरूरत भी नहीं रही, क्योंकि बढ़ती संचार सुविधाओं ने इसके संचालन को बहुत आसान कर दिया है। शहर में अलग-अलग साइटों के एजेंट काफी बुकिंग कैरियर रख लेते हैं। ये कैरियर एंड्राड मोबाइल के जरिये सट्टा खेलने वालों को उनकी ही जगह पर सुविधा उपलब्ध करा देते हैं तथा नतीजे भी बता देते हैं। ये कैरियर दिहाड़ी पर या कलैक्शन के हिसाब से बहुत ही मामूली पैसे पर कार्य करते हैं। इसमें पकड़े जाने का भय भी नहीं रहता है और खेलने वालों को घर बैठे सुविधा भी मिल जाती है। अंदर के जानकारों का कहना है सट्टा खेलना भले ही गलत कार्य हो। इसके संचालक भी अपराधी किस्म के होते हैं, पर इसमें ईमानदारी बहुत है। क्या मजाल है कि जरा भी बेईमानी हो जाए। आज तक किसी के साथ बेईमानी नहीं की गई है। जीत की रकम चाहे जितनी बड़ी हो एक-एक पाई जिम्मेदारी से विजेता को सौंप दी जाती है। सट्टा बाजार साख पर ही चलता है, आज तक इस साख पर बट्टा नहीं लगा है।

सट्टा मार्केट ऐसा है जिसकी अपनी भाषा है अपने नियम कानून हैं। इसको संचालक और खेलने वाले जानते हैं और नियमों का पालन करते हैं। इस दल-दल में जो एक बार धंस गया वो उबरने के बजाय और गहरे में धंसते जाता है। एक सूत्र का कहना है काफी प्रत्याशी सट्टा तो नहीं खेल रहे हैं, लेकिन अपने एवं विरोधी प्रत्याशियों के भाव लगातार घटते-बढ़ते हैं। ये भाव प्रत्याशी की घटती -बढ़ती लोकप्रियता के हिसाब से तय किये जाते हैं। इतना तो तय है सट्टा का काला कारोबार गहरे से जड़ें जमा चुका है। इसका समूलनाश करना बहुत चुनौतीपूर्ण है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD