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पंजाब में जल रही पराली से दिल्ली की हवा में जहर

सरकर द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बावजूद पराली जलाने के मामले थम नहीं रहे हैं। राजधानी दिल्ली हाल ही में हुए त्योहारों की आतिशबाजी से हुए प्रदूषण से परेशान है। पड़ोसी राज्य में जल रहे पराली से भी दिल्ली में प्रदूषण का दुगना प्रभाव पड़ा है। दरअसल पंजाब में जलने वाली परली का दिल्ली-एनसीआर की हवा पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इसके चलते मंगलवार की सुबह दिल्ली की अधिकांश जगहों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर रहा है जो कि ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के पंजाबी बाग में 424, शादीपुर 457, अशोक विहार 451, मुंडका 441, रोहिणी 455, जहांगीरपुरी 462 AQI रहा है । दिल्ली के साथ -साथ इसके आसपास के इलाकों में भी हवा में काफी जहर घुला हुआ है। दिल्ली एनसीआर नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम के अधिकांश इलाकों में भी AQI 350 से 410 के बीच रहा। पंजाब में पिछले साल से भी ज्यादा इस साल पराली जलाने की घटनाओं में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। सोमवार को ऐसे 2,131 मामले सामने आए।

विफल रहा सरकार का जागरूकता अभियान

 

रिमोट सेंसिंग सेंटर के मुताबिक सोमवार को पराली जलाने की कुल 2,131 घटनाओं में से सबसे ज्यादा 330 मामले संगरूर में सामने आए। वहीं फिरोजपुर में 250, उसके बाद पटियाला में 202, बठिंडा में 178, तरनतारन में 174, बरनाला में 126, मानसा में 123 और जालंधर में 112 घटनाएं हुईं।पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर जागरूक अभियान चलाया जा रहा है। इसके बावजूद किसान अगली फसलों के लिए अपने खेतों को साफ करने की खातिर पराली जला रहे हैं। पिछले महीने पंजाब सरकार के चार मंत्रियों कुलदीप सिंह धालीवाल, गुरमीत सिंह मीत हेयर, अमन अरोड़ा और हरजोत बैंस ने एक बैठक की थी। जिसमें फैसला लिया गया था कि पंजाब के छात्र भी अब किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करेंगे। साथ ही पंजाब सरकार धान के भूसे को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों को प्रोत्साहित भी करेगी। इसके अतिरिक्त पायलट प्रोजेक्ट के तहत 5,000 एकड़ में डी-डीकंपोजर घोल का छिड़काव भी किया जाएगा।

पिछले साल से भी ज्यादा पराली जलाई गई

 

पजाब राज्य सरकार के कृषि विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन ‘पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर’ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पंजाब के संगरूर में पराली जलाने की सबसे ज्यादा 330 घटनाएं हुईं। वहीं सूबे में 15 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 16,004 घटनाएं हुई हैं। गौरतलब है कि 2021 के दौरान पंजाब में 13,124 मामले पराली जलाने के दर्ज किये गए थे। यानि इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा पराली जलाई गई है। जिससे आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

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