पिछले कुछ दिनों से राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से लगातार हालात खराब हो रही है। हालांकि, हवा में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण अब भी ‘बेहद खराब’ स्थिति में बना हुआ है। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि धीमी हवा और पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने से स्थिति बदल रही है।
दरअसल, 30 अक्टूबर को सुबह 9 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI का स्तर 367 पर था, जो शाम आते -आते पहुंच 352 पर आ गया था। लेकिन दिल्ली कई इलाकों में हालत खरब रहे है। 29 अक्टूबर को AQI का स्तर 397 पर था, जो जनवरी के बाद सबसे खराब था। दिवाली यानी 24 अक्टूबर के दिन AQI का स्तर 312 पर था। अगले दिन ये 302 और 26 अक्टूबर को 271 पर आ गया था। जिस पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कहना था कि, AQI का स्तर जब 401 से 500 के बीच रहता है, तो उसे सबसे ज्यादा ख़राब माना जाता है। इससे दिल्ली दिल्ली वासियों के तबीयत भी खराब हो सकती है और जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उनपर गंभीर असर हो सकता है।
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी कहा है कि,दिल्ली के आनंद विहार और विवेक विहार में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।यहां पर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के कंस्ट्रक्शन का काम भी हो रहा है। जिसके वजह से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। इस दौरान उन्होंने कंस्ट्रक्शन का काम करने वाली एजेंसी को डस्ट पॉल्यूशन कंट्रोल नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है इन इलाकों में पानी छिड़कने की 7 मशीनों के अलावा 15 एंटी-स्मॉग गन को भी लगाया गया है। आनंद विहार और विवेक विहार के अलावा नरेला, मुंडका, द्वारका, पंजाबी बाग, आरके पुरम, बवाना, रोहिणी सेक्टर-16, ओखला, जहांगीरपुरी, वजीरपुर और माया पुरी भी प्रदूषण का हॉटस्पॉट बने हुए हैं।
प्रदूषण बढ़ने की वजह क्या?
दिल्ली में प्रदूषण पढ़ने के की बजह है। इसमें सबसे प्रमुख वजह आस पास के राज्यों में पराली जलाना है। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 30 अक्टूबर पंजाब में पराली जलाने की 1,761 घटनाएं सामने आई है। इससे पहले 29 अक्टूबर 1,898 और 28 अक्टूबर को 2,067 जलाने के घटनाएं सामने आये थे। पंजाब के अलावा हरियाणा में 112 और उत्तर प्रदेश में 43 मामले पराली जलने के मामले सामने आए है।कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने 27 अक्टूबर को कहा था कि पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं ‘गंभीर चिंता का विषय’ है।दिल्ली के PM2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी 26% हो गई, जो इस साल अब तक सबसे ज्यादा है। PM2.5 सबसे खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है। PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रोन का कण,माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाख वां हिस्सा है। हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है। ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं। इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है।
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ भी है। इसको लेकर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पहले ही कहा था कि दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डीजल पर चलने वाली बसें प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही हैं।इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से अपील किया था कि दिल्ली एनसीआर जिलों में डीजल की बजाय सीएनजी बसें चलाई जाएंगी, ताकि प्रदूषण के स्तर में कमी लाई जा सके।
गौरतलब है,दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दिल्ली सरकार पानी छिड़कने वालीं 521 मशीनें और 223 एंटी-स्मॉग गन और 150 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन को लगाया है। इसके अलावा, प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान की तीसरी स्टेज को लागू कर दिया गया है। इसके तहत दिल्ली में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है,हालांकि, जरूरी प्रोजेक्ट्स पर ये रोक नहीं है।