दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में 23 से 27 फरवरी के बीच भयानक हिंसा हुई। हिंसा में 49 लोग मारे गए जिसमें दोनों तरफ के लोग शामिल हैं। इतना ही नहीं लगभग 200 से अधिक लोग अभी भी जख्मी हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं। इसी दंगे में 22 वर्षीय अशफाक हुसैन की भी मारे गए थे। अशफाक इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे। उनकी शादी 11 दिन पहले ही हुई थी। अशफाक को 5 गोलियां मारी गई। शादी समारोह के बाद अभी गांव से सभी लोग आए भी नहीं थे तब तक उनके मौत की खबर गांव पहुंच गई।
अशफाक के पिता एजाज हुसैन बताते हैं, ” मेरा बेटा लाईट का काम करता था। जब लाईक का काम नहीं होता था तो पर फर्श का काम करता था। धुलाई का काम करता था। उसका नियम था कि जब कहीं से कंप्लेन (काम से संबंधित) आता था तो वहां जा कर ठीक करता था।”
उन्होंने आगे कहा, “जब मैं 25 तारीख को 10-11 बजे के आसपास आया तो मैंने यमुना विहार के गेट इंट्री की। वहां भारी मात्रा में पुलिस की तैनाती थी। मैंने सोचा इलाके में ऐसी कोई बात नहीं होगी। जो होना था हो गया। जो नुकसान होना था जान का माल का वो गया। मैं मुतमईन था कि कुछ नहीं होगा। हालांकि, मैं अपने बच्चों को अपने पास से जाने भी नहीं देता था।”
वे आगे कहते हैं, “कोई माँ-बाप ऐसा नहीं है जो कहीं लड़ाई झगड़ा हो रहा हो वहां अपने बच्चों के जाने दे। वहां भेजे किसी भी हालत में। वह एक काम का कंप्लेन आया था उसी को ठीक करने चाँद बाग की तरफ गया था। शाम को मैं जब नमाज पढ़कर 7 बजे आया तो एक स्थानीय बताया गया कि तुम्हारा बेटा खुन में लतपत है। मैंने कहा खुन में लतपत है से क्या मतलब है। उसके बाद हमने अस्पतालों में जाकर देखना शुरू किया।”
उन्होंने इसके बाद बताया कि उन्हें जानकारी मिली कि वह अल-हिंद अस्पताल में भर्ती है। अशफाक के पिता ने बताया कि उनकी और तसलीन की शादी 14 फरवरी यानी वेलेंटाइन डे के दिन बुलंदशहर में हुई थी। शादी के बाद वे रविवार की रात को मुस्तफाबाद लौट आए थे। तसलीन पूरे परिवार के साथ मंगलवार की सुबह दिल्ली पहुंची थी। तब तक गोकुलपुरी और मुस्तफाबाद में भी तनाव बढ़ गया था।
मंगलवार को दोपहर दो बजे तसलीन ने खाना बनाया। अशफाक ने पूरे परिवार के साथ खाया खाया। उस दिन शादी के बाद तसलीन ने पहली बार खाना बनाया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि रविवार रात से ही मुस्तफाबाद में बंदूकों, लाठियों, पेट्रोल बमों और अन्य हथियारों से लैस मॉब पहुंचना हो गया था। मंगलवार तक चीजें हाथ से निकल चुकी थी।
एजाज हुसैन बताते हैं कि उन्हें पता चला कि अशफाक को न्यू मुस्तफाबाद के अल-हिंद अस्पताल ले जाया गया है। अशफाक ने वहीं अंतिम सांस ली। उसके शव को दिलशाद गार्डन में जीटीबी अस्पताल भेज दिया गया। अशफाक के चाचा मुख्तार ने बताया, “हम पुलिस और फायर ब्रिगेड को बुलाते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। यहां तक की एंबुलेंस को बुधवार तक प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।”
एक स्थानीय मदरसे पढ़ाने वाले अशफाक के शिक्षक मौलाना मेहदी हसन ने कहा कि अगर पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती तो हिंसा को रोका जा सकता था। अशफाक की पत्नी तसलीन ने बताया कि 3 मार्च को अशफाक का जन्मदिन था। तसलीन ने कहा कि जिसमें ये सब किया उन गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।