देश में इन दिनों एक ओर जहां पांच महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है, वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महीने भर में दूसरी बार आईईडी मिलने से हड़कम मचा हुआ है। दरअसल ,दिल्ली के ओल्ड सीमापुरी इलाके में बीते दिन यानी 17 फरवरी को एक बैग से आईईडी बरामद हुआ है। जिसे निष्क्रिय करने के लिए बम निरोधक दस्ते को बुलाया गया और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। इससे पहले गाजीपुर फूल मंडी में 13 जनवरी को एक लावारिस बैग से आईईडी बरामद हुआ था। जिसे निष्क्रिय करने के लिए एनएसजी ने जेसीबी को मौके पर बुलाया गया और गहरा गड्ढा खुदवाकर बम निष्क्रिय किया गया । कहा जा रहा है कि सीमापुरी इलाके से बरामद हुए आईईडी के तार गाजीपुर से जुड़े हुए हैं।

खबरों के मुताबिक गाजीपुर में मिले आईईडी को आरडीएक्स व अमोनियम नाइट्रेट की मदद से तैयार किया गया था। सीमापुरी में मिलने वाले बम को भी इन्हीं सामग्री के मिलने की संभावना जताई जा रही है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सीमापुरी के मकान से मिले आईईडी को एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) की टीम ने निष्क्रिय किया । रात करीब 8.20 बजे जेसीबी की मदद से एक गहरा गड्ढा खोदा। इसके बाद बम को उसमें रखकर विस्फोट कर निष्क्रिय कर दिया गया। एक तेज और दूसरे हल्के धमाके की आवाज करीब एक किलोमीटर दूर तक सुनी गई। इस दौरान मौके पर एफएसएल (विधि विज्ञान प्रयोगशाला) की टीम भी मौजूद रही। विस्फोट करने के बाद एफएसएल की टीम ने मौके से विस्फोटक के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन संदिग्धों की फोटो तो पुलिस को मिल गई हैं, लेकिन यह किन-किन लोगों से मिलते और कौन-कौन इनसे मिलता था उसकी पड़ताल की जा रही है।
क्या होता है आरडीएक्स
आरडीएक्स का फुल फॉर्म ‘रिसर्च डिपार्टमेंट एक्सप्लोसिव या रॉयल डिमोलिशन एक्सप्लोसिव’ होता है। आरडीएक्स एक विस्फोटक यौगिक है जिसे रासायनिक रूप से नाइट्रामाइड के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह नाइट्रामाइन (कार्बनिक नाइट्रेट विस्फोटकों का एक समूह) का हिस्सा माना जाता है। इसका दूसरा नाम हेक्सोजेन, साइक्लोनाइट और टी4 भी है। इसका रासायनिक सूत्र C3H6N6O6 है और रासायनिक नाम साइक्लोट्रिमेथिलीनट्रिनिट्रामा इन है। जर्मनी के जॉर्ज एफ. हेनिंग ने 1899 में आरडीएक्स की खोज की थी और इसका नाम अंग्रेजों द्वारा रखा गया था। इसे प्रभाव, घर्षण और तापमान द्वारा एक्टिव किया जाता है। इसका उपयोग पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध में शक्तिशाली विस्फोटक बनाने के लिए किया गया था और तब से यह सैन्य अनुप्रयोगों में इस्तेमाल किया जाने लगा। यह स्वाद या गंध के बिना एक सफेद ठोस है जो व्यापक रूप से विस्फोटक के रूप में उपयोग किया जाता है। आरडीएक्स रासायनिक रूप से एचएमएक्स (टीएनटी से अधिक ऊर्जावान विस्फोटक) के समान है। यह अक्सर अन्य प्लास्टिसाइज़र, विस्फोटक, और फ्लेगमेटाइज़र (डिसेंसिटाइज़र) के साथ मिश्रण इस्तेमाल किया जाता है। यह सी-4 प्लास्टिक विस्फोटक में विस्फोटक एजेंट है। इसे सैन्य उच्च विस्फोटकों के सबसे तेज और ऊर्जावान में से एक माना जाता है। आरडीएक्स का उपयोग सैन्य अनुप्रयोगों के बाहर संरचनाओं को नष्ट करने के लिए नियंत्रित विध्वंस में भी किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के रोड आइलैंड राज्य में जैम्सटाउन ब्रिज विध्वंस उन उदाहरणों में से एक था जहां अवधि को हटाने के लिए आरडीएक्स आकार के आरोपों का इस्तेमाल किया गया था।
क्या है आई ई डी
आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) यानी तात्कालिक या कामचलाऊ विस्फोटक उपकरण। यह पारंपरिक सैन्य कार्रवाई की तुलना में अलग ढंग से बनाया और लगाया जाने वाला बम (विस्फोटक) होता है। अगर इसे जुगाड़ू बम भी कहें तो कुछ गलत नहीं होगा क्योंकि इसे बनाने के लिए विस्फोटक, घातक, जहरीले, आतिशबाजी या आग लगाने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है ताकि किसी व्यक्ति या वाहनों को खत्म या निष्क्रिय किया जा सके। आईईडी के पांच हिस्से होते हैं, जिनमें स्विच (सक्रिय करने वाला बटन), फ्यूज, कंटेनर (बॉडी), विस्फोटक और बैटरी होती है। आईईडी डिजाइन और निर्माण के मामले में काफी विविधता वाले होते हैं और इन्हें कई तरह के विस्फोटकों और तरीकों से बनाया जा सकता है।