शिवसेना का मुखपत्र सामना आज महाराष्ट्र की सत्ता पर बैठी शिवसेना का आईना दिखा रहा है । सामना में जो शिवसेना कल तक भाजपा पर तेजाब के तीर मारा करती थी आज वह अपने सुर बदल रही है । सामना के नए अंक में शिवसेना ने भाजपा को अपना भाई बताया है । यानी कि जब तक सत्ता नहीं आई तब तक वह दुश्मन थे । क्योंकि दूसरी पार्टियों से मिलकर सरकार जो बनानी थी । लेकिन जब सरकार बन गई तो भाजपा उनकी भाई बन गई । इसी के साथ सामना में दिल्ली को लेकर भी तीखी बातें कही गयी है।
सामना ने लिखा है कि दिल्ली देश की राजधानी भले ही है, लेकिन महाराष्ट्र दिल्लीश्वरों का अधीन नहीं व यह तेवर दिखानेवाले बालासाहेब ठाकरे के सुपुत्र आज महाराष्ट्र के सीएम पद पर विराजमान हैं। इसलिए महाराष्ट्र का तेवर व सरकार का सीना तना रहेगा, ऐसा विश्वास करने में कोई परेशानी नहीं है।
छत्रपति शिवराय ने महाराष्ट्र को जो कुछ दिया, उसमें स्वाभिमान जरूरी है। महाराष्ट्र दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसा देता है। देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है। देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर देता है। देश की सीमा पर महाराष्ट्र के जवान शहीद हो रहे हैं। देश की सीमा की रक्षा तो महाराष्ट्र की परंपरा रही है। इसलिए अब महाराष्ट्र से अन्याय नहीं होगा व उसका सम्मान किया जाएगा, इसका ध्यान नए सीएम को रखना होगा
दिल्ली के दरबार में महाराष्ट्र चौथी-पांचवीं कतार में नहीं खड़ा रहेगा बल्कि आगे रहकर ही कार्य करेगा, परंपरा यही रही है। इसी परंपरा का भगवा झण्डा महाराष्ट्र के विधानसभा व मंत्रालय पर लहराया है। भगवा झण्डा से दुश्मनी मोल मत लो। दुश्मनी करोगे तो खुद का ही नुकसान करोगे। महाराष्ट्र में सुराज्य का उत्सव प्रारम्भ हो गया है। देखते क्या हो? शामिल हो!
सामना ने लिखा है कि महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में भाजपा-शिवसेना में अन-बन है लेकिन नरेंद्र मोदी व उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है। इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को पीएम के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी श्री मोदी की है। पीएम सारे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते। इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? प्रयत्न व जंग हमारे ज़िंदगी का भाग हैं ।