गणतंत्र दिवस के दिन किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने काफी पुख्ता इंतजाम किए थे। ताकि किसान दिल्ली के अंदर ना घुस सकें। इसके लिए दिल्ली पुलिस ने बैरिकेंडिग और बसों का इस्तेमाल किया था। पंरतु प्रदर्शनकारियों ने उन बसों को रास्ते से हटा दिया, और दिल्ली के लाल किले तक जा पहुंचे। किसानों को रोकने के लिए जिन बसों का इस्तेमाल किया गया था, वह दिल्ली सरकार के अंतर्गत आती है। किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने डीटीसी की बसों को बैरिकेंडिग लगा दि थी। 26 जनवरी को हुई धटना के दौरान दिल्ली की डीडीसी की 40 बसों और कलस्तर स्कीम के तहत चलाई जाने वाली 5 बसों का नुकसान हुआ।
टाइम ऑफ इंडिया के सूत्रो के हवाले से बताया कि इनमें से कई बसों को दिल्ली पुलिस ने अपने कर्मियों के परिवहन के लिए किराए पर लिया था लेकिन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड के रूप में भी इस्तेमाल किया गया था । नतीजतन, बसों को लगातार नुकसान पहुंचा और उनकी मरम्मत की जा रही है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत जो डीटीसी के अध्यक्ष भी है उन्होंने कहा कि डीटीसी बसों को अब दिल्ली सरकार की अनुमति के बाद ही और ख़ास परिस्थितियों में ही किराये पर लिया जा सकेगा। दिल्ली सरकार ने बसों को हुए नुकसान को देखते हुए दिल्ली पुलिस से कहा है कि उन्हें अपने लिए कोई दूसरा इंतज़ाम तलाश लेना चाहिए।
केंद्र सरकार के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा किसान आंदोलन अब दिल्ली की सरहदों या हरियाणा-पंजाब तक ही सीमित नहीं रह गया है। बुधवार को हरियाणा के जींद और रोहतक, उत्तराखंड के रुड़की और उत्तर प्रदेश के मथुरा में किसानों के मुद्दों को लेकर किसान महापंचायतों का आयोजन हुआ। इन महापंचायतों में बड़ी संख्या में किसान जुटे. किसान नेता राकेश टिकैत ने जींद की महापंचायत में किसानों से ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है।