पिछले कई दिनों से साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने इसपर रोक लगाने के लिए आईडी कॉलिंग ऐप ट्रूकॉलर के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया है। इसका उद्देश्य साइबर क्राइम पर रोक लगाना है। पुलिस ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योकि पिछले दिनों फर्जी कॉल करके इसके जरिए फर्जी पुलिस कर्मी बनकर लोगों से ठगी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
पुलिस के इस फैसले के बाद से अगर किसी के पास भी पुलिस का फोन आएगा तो उसका एक स्पेशल बैज दिखाई देगा, ऐसा न होने पर नंबर फर्जी होगा। साथ ही दिल्ली पुलिस डायरेक्ट्री से किसी नंबर पर कॉल की जाएगी तो रिसीवर के फोन पर सरकारी सेवा का टैग हेडलाइन होगा। इसके अलावा नीला टिक मार्क और हरा बैज भी दिखाई देगा। पुलिस ने बताया है कि इसके अलावा कोई भी नंबर पुलिस का नहीं होगा।पुलिस उपायुक्त सुमन नलवा का कहना है कि दिल्ली पुलिस नियमित रूप से फोन नंबरों की एक सूची साझा करेगी, जिसके खिलाफ उन्हें ट्रूकॉलर के साथ उत्पीड़न, घोटाले या उनके खिलाफ पंजीकृत मुद्दों के बारे में शिकायतें मिली हैं, ताकि उन्हें नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्लेटफॉर्म पर स्पैम या धोखाधड़ी के रूप में चिह्न्ति किया जा सके और इन नंबरों के मामले में उन्हें सतर्क किया जा सके। साइबर खतरों को विफल करने के लिए ट्रूकॉलर दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली में नागरिकों को प्रशिक्षित करके साइबर सुरक्षा जागरूकता पैदा करेगा।
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दिल्ली में लगातार बढ़ रहा है साइबर क्राइम
आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में साइबर क्राइम के मामले भी साल 2020 की तुलना में 111फीसदी बढे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रकार के क्राइम के अधिकतर मामले में पाया गया है कि वह यौन शोषण के उद्देश्य से किए गए थे। साल 2021 में साइबर क्राइम के 356 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिसमे से ज्यादातर अपराधियों के खिलाफ यौन संबंधी कंटेंट शेयर करने को लेकर मामला दर्ज किया गया था।
साइबर क्राइम को कंप्यूटर अपराध के नाम से भी जाना जाता है, इस प्रकार के अपराधों में अवैध उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है , जैसे: धोखाधड़ी, बाल पोर्नोग्राफ़ी, बौद्धिक संपदा की तस्करी, गोपनीयता का आक्रमण आदि।