16 दिसंबर की तारीख दिल्ली के दिल का वह घाव है, जो तीन साल बाद आज 2020 में भी लगभग नासूर बन चुका है। आठ साल बीत गए, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में कुछ नहीं बदला। हंगामा तब भी हुआ था, शोर अब भी मचता है। एक बेटी तब भी लुटी थी, एक बहन के जिस्म को आज भी नोचा-खसोटा जाता है।
एक मां के कान में आज भी अपनी बेटी की वो चीखें गूंजती हैं, जो उसने कभी सुनी नहीं। वह देश की निर्भया ज्योति सिंह पांडे की मां है। उनकी बेटी के गुनहगारों को तो फांसी की सजा दे दी गयी पर उनका सवाल अभी भी जस का तस है। आखिर यह घिनौना सिलसिला कब खत्म होगा?
दिल्ली पुलिस ने इस घटना के बाद महिलाओं को आठ साल पहले भरोसा दिलाया था कि अब महिलाएं सुरक्षित रहेंगी। रात को बिना किसी डर के घरों से बाहर निकल सकती हैं । लेकिन आज भी महिलाएं दिल्ली में घरों से निकलने पर डरती हैं। मुनीरका के जिस बस स्टैंड पर निर्भया बस में बैठी थी। उसी बस स्टैंड पर खड़ी एक लड़की ने बताया कि उसे आज भी डर लगता है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक
साल 2019 में अब तक दर्ज मामलों के मुताबिक भारत में औसतन रोजाना 87 रेप के मामले सामने आये हैं। 2019 के शुरुआती नौ महीनों में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,05, 861 आपराधिक मामले दर्ज हुए, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक यह 2018 की तुलना में सात फीसदी ज्यादा है ।
“भारत में अपराध -2019” रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले साल के मुकाबले 7.3 प्रतिशत बढ़ गए हैं।
आंकड़े पिछले साल के ही हैं, लेकिन सवाल वही उठता है कि क्या इस वर्ष 2020 ने इस मामले में सुधार किया है?
तीन साल पहले, आज की ही तारीख यानी 16 दिसंबर, 2012 को निर्भया के साथ गैंगेरप हुआ था। चलती बस में 5 लोगों ने एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ दरिंदगी की सारी इंतेहा पार कर दी थी।जख्मी हालत में उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कई दिनों तक वो बिस्तर पर पड़ी जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही और आखिरकार उसकी मौत हो गई।
दिल्ली में महिलाओं के साथ दरिंदगी रुकी है?
निर्भया के साथ हुई इस हैवानियत के विरोध में दिल्ली सहित देश भर में लोग सड़कों पर उतर आए। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी के साथ जमकर तोड़फोड़ हुई। पुलिस ने निर्भया के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन इस घटना से बहुत सवाल खड़े हुए। क्या निर्भया कांड के बाद दिल्ली में महिलाओं के साथ दरिंदगी रुकी है, क्या महिलाएं आज भी सुरक्षित हैं?
हाल ही में महिलाओं के साथ-साथ मासूम बच्चियों के साथ भी दरिंदगी के मामले सामने आए। कहीं दो साल की बच्ची को हैवानों ने अपनी बुरी नीयत का शिकार बनाया, तो कहीं पांच साल की बच्ची का बचपन रौंदा गया। दिल्ली में महिलाओं के साथ ज्यादती कम होने की बजाए लगातार बढ़ी है।इस बात के गवाह खुद रेप से संबंधित दिल्ली पुलिस के आंकड़े हैं।
आंकड़ों से साफ है कि राजधानी में महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं हैं।
उनकी सुरक्षा को लेकर दिल्ली पुलिस ने तमाम नियम कानून बनाएं। निर्भया कांड सुर्खियों में इस तरह आया कि रेप से जुड़े कानून सख्त हुए, रेप मामलों की जल्द सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बने और कड़ी सज़ा के प्रावधान हुए।
नए मोबाइल एप्स लांच किए ताकि महिला किसी मुसीबत में हो तो फौरन उसके जरिए उसकी मदद की जा सके। हर थाने में महिलाओं की सुनवाई के लिए महिला हेल्प डेस्क बनवाई गई, निर्भया फंड का गठन हुआ लेकिन स्थिति आज भी जस की तस है।