हर साल की तरह दिवाली और नए साल के उत्सव के जश्न से पहले दिल्ली सरकार ने एक बार फिर पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी और डिलीवरी 1 जनवरी 2023 तक प्रतिबंध लगा दिया है।
गौरतलब है कि सामान्य स्तर पर पटखों की खरीद फरोख्त पर पिछले कुछ सालों से पटाखों पर ऑफलाइन प्रतिबन्ध था । वर्तमान में लिए गए फैसले पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ट्वीट करते हुए कहा है कि “दिल्ली में लोगों को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए पिछले साल की तरह ही इस बार भी सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जा रहा है, ताकि लोगों की जिंदगी बचाई जा सके। साथ ही उन्होंने यह जानकारी भी दी, कि इस बार दिल्ली में पटाखों की ऑनलाइन बिक्री और डिलीवरी पर 1 जनवरी 2023 तक प्रतिबन्ध लागू रहेगा। बैन को कड़ाई से लागू करने को लेकर दिल्ली पुलिस, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति है और राजस्व विभाग के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई जाएगी। ”
पटाखों पर प्रतिबंध के कारण
हर वर्ष दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने का महत्वपूर्ण कारण प्रदूषण का बढ़ता स्तर है। गौरतलब है की प्रदूषण दिल्ली ही नहीं पुरे भारत में दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा जो न केवल मानव के लिए ही हानिकारक है बल्कि पशु – पक्षियों के लिए भी जानलेवा है। प्रदूषण के कई प्रकार है जिनमे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण , मिट्टी प्रदूषण और जल प्रदूषण आदि शामिल हैं। लेकिन पटाखों के कारण सबसे तेज गति से ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलता है। जिसके कारण दूषित हवा में लेना मुश्किल और आँखों में जलन होने लगती है। सांस के मरीजों और बच्चों के लिए ये सबसे ज्यादा खतरनाक है। जिस कारण हर वर्ष पटाखों पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है। वहीं दूसरी और कुछ विषेशज्ञों का दावा है कि पटाखों से प्रदूषण सिर्फ 4% होता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली ने एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सर्दियों में प्रदूषण की वजह पटाखों से अधिक पराली है। वहीं, ठंड से बचने के लिए किए जाने वाले उपाय यानी जैव ईंधन जलाने से भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है।
क्या होगा प्रतिबंध का असर
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि दिल्ली सरकार ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया हो। हर साल दिवाली आने से कुछ महीने पहले ही सरकार पटाखों पर प्रतिबंध की घोषणा कर देती हैं। लेकिन पटाखों पर प्रतिबंध और इससे सम्बंधित नियमों का हर साल उल्लंघन होता है और दिवाली , नए साल , दशहरा आदि जैसे त्योहारों पर सारी दिल्ली पटाखों की गड़गड़ाहट से गूंज उठती है। हर साल पटाखों की कलबाज़ारी होती है दुकानों में छिपा कर पटाख़े बेचे जाते हैं। पटखों के अवैध रूप से बेचे जाने का एक कारण पटाखे बनाने वाले कारोबारी भी हैं। सरकार पटाखे का व्यापर सीजनल होता है जिसके कारण प्रतिबन्ध लगाए जाने से उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो जाता है। जिस कारन हर वर्ष ये कारोबारी सरकार का विरोध करते हैं।
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