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दिल्ली-एनसीआर: अधर में 1.2 लाख करोड़ कीमत की 1,90,000 आवास इकाइयां

एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर के रियल स्टेट बाजार में लगभग 1.9 लाख आवास इकाइयाँ अधर में अटकीं हुईं हैं, जिनकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है।

नोएडा स्थित सम्पत्ति सलाहकार कंपनी ‘अनारॉक’ की माने तो यह आवास इकाइयां पिछले सात वर्षों से ऐसे ही लंबित पड़े थे। दिल्ली-एनसीआर में वर्ष 2020 के अंत तक कुल 1,90,120 आवास इकाइयाँ, जिनकी कीमत 1,19,291 करोड़ रुपये है,उनका कार्य पूरा नहीं हुआ और ग्राहकों के पैसे भी इसी वजह से अटकें पड़े हैं।

‘दिल्ली-एनसीआर’ अटकें पड़े आवास इकाइयों की सूची में ‘शीर्ष’ पर

ये सभी फ्लैट वर्ष 2013 और कुछ उससे पहले ही लॉन्च किए गए थे। फिलहाल इतनी बड़ी संख्या में अटकी हाउसिंग यूनिट्स की वजह से दिल्ली-एनसीआर देश की उस सूची में शीर्ष स्थान पर है जहां घर खरीदने वाले ग्राहकों के बड़ी संख्या में पैसे फंसे हुए हैं।

दूसरे स्थान पर है मुंबई मेट्रोपोलिटन क्षेत्र जहां 1,80,250 की संख्या में हाउसिंग यूनिट्स अटकी हुईं हैं, जिनकी कीमत 2,02,145 करोड़ रुपये है।

इस रिपोर्ट के अनुसार सात प्रमुख शहरों में ऐसे लगभग 5,02,340 आवास इकाइयाँ हैं जहां ग्राहकों के पैसे अटके हुए हैं और कार्य अभी भी पूरा नहीं हुआ है। इन इकाइयों की कीमत 4,07,005 करोड़ रुपये है और बिल्डरों द्वारा पिछले साल के अंत तक इन्हें पूरा करने की योजना थी। वर्ष 2019 के अंत तक, 5.76 लाख इकाइयों वाली 1,322 परियोजनाएं विभिन्न चरणों में अटकी हुई पड़ी हैं।

कई संख्या में ऐसी परियोजनाएं हैं जो पिछले एक दशक से लंबित हैं : अनुज पुरी

 

जिन पर कोई कार्य प्रगति में नहीं है। इस रिपोर्ट पर बात करते हुए , ‘अनारॉक’ के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा कि, “भारत के रियल स्टेट में यह सबसे बड़ी समस्या है कि कई संख्या में ऐसी परियोजनाएं हैं जो पिछले एक दशक से लंबित हैं।”उन्होंने आगे कहा कि,’RERA (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट)  2016 की वजह से इन लंबित परियोजनओं पर जो फर्क पड़ा है उसका प्रभाव बहुत ही कम है।’यही वजह है कि सरकार ने वर्ष 2019 में 25,000 करोड़ रुपये के कॉर्पस के साथ वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के निर्माण में हस्तक्षेप किया।

अनुज पुरी ने बताया कि,’अब यह प्राथमिकता में है कि इन अटके हुए हाउसिंग यूनिट्स को जल्द से जल्द पूरा किया जाये इसके लिए स्पेशल विंडो फॉर अफोर्डेबल एंड मिड-इनकम हाउसिंग यानी कि (SWAMIH) के तहत फंड्स को प्रमाणित कर इस प्रोजेक्ट में लगाया जायेगा। ‘आंकड़ों के अनुसार, बेंगलुरु में 22,276 करोड़ रुपये की 29,850 आवास इकाइयां फंसी हुई थीं।

पुणे में 49,667 करोड़ रुपये की 80,480 इकाइयां हैं जो 2020 के अंत तक विलंबित थीं। कोलकाता में 5,436 करोड़ रुपये की 9,180 आवास इकाइयाँ देरी से चल रही थीं।हैदराबाद में 4,305 करोड़ रुपये की 6,520 अटकी हाउसिंग इकाइयाँ हैं, जबकि चेन्नई 5,940 हाउसिंग यूनिट्स की कीमत 3,886 करोड़ रुपये है।

क्या है RERA?

रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट – 2016 (RERA) एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था।  RERA का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है।  10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल को पास किया था।  इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया। 1 मई 2016 को इसे लागू किया गया।

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