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बढ़ोतरी के बावजूद सबसे कम वेतन पाएंगे दिल्ली के विधायक 

दो दिन पहले केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने विधायकों का दस साल बाद वेतन बेशक बढ़ा दिया गया है। लेकिन अभी भी यह राज्य देश के उन राज्यों में से एक है, जो अपने विधायकों को सबसे कम वेतन और भत्ते देता है। हालांकि वेतन बढ़ने के कैबिनेट के प्रस्ताव पर अभी केंद्र सरकार की मुहर लगनी बाकी है। केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही वेतन बढ़ोतरी विधेयक अमल में आ सकेगा। आकड़ों की अगर हम बात करें तो देश में भाजपा सहित कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा शासित राज्य अपने विधायकों को बहुत अधिक वेतन प्रदान करते हैं।

 

देश के अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली में रहने का खर्च बहुत अधिक है। इसके अलावा कई राज्य ऐसे भी हैं जो अपने विधायकों को कई अन्य सुविधाएं और भत्ते प्रदान करते हैं, जबकि इस मामले में दिल्ली पिछड़ी है। उदाहरण के तौर पर भवन किराया भत्ता, ऑफिस किराया और कर्मचारियों के खर्च। इसके साथ ही कार्यालय उपकरणों को खरीदने के लिए भत्ता, उपयोग के लिए वाहन, चालक भत्ता आदि भी दिल्ली सरकार प्रदान नहीं करती है।

 

गौरतलब है कि आज से छह साल पहले भी केजरीवाल सरकार ने दिसंबर 2015 में दिल्ली विधानसभा में एक बिल पास कराया था। जिसमें विधायकों का वेतन चार गुना बढ़ाने का प्रस्ताव था। तब इसे बढ़ाकर 2.10 लाख रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव बनाया गया था। तब कहा गया कि इसे विधानसभा में पेश करने से पहले संबंधित अधिकारियों की परमिशन नहीं ली गई थी। इसके चलते वह बिल निरस्त हो गया।

फ़िलहाल जो वेतन बढ़ाया गया है इससे पूर्व में प्रत्येक विधायक को 53 हजार रुपये मिलते थे। इन 53 हजार में वेतन के रूप में 12 हजार रुपये और भत्ते के रूप में शेष राशि शामिल थी। इसके अलावा, उन्हें दो स्टाफ सदस्यों को भुगतान करने के लिए 30,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं, जिन्हें वे काम पर रख सकते हैं। फ़िलहाल, वेतन बढ़ोतरी होने के बाद दिल्ली के विधायकों को अब वेतन और भत्ते के रूप में 90 हजार रुपये प्रत्येक महीने मिला करेंगे।

 

याद रहे कि दिल्ली के विधायकों का वेतन पिछले दस सालों में नहीं बढ़ा है।  इसके बाद केजरीवाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांग की थी कि उनका वेतन और भत्ते अन्य राज्यों के विधायकों के बराबर किए जाएं। इसके बाद से ही अब प्रत्येक विधायक को 30 हजार रुपये वेतन और भत्ते के रूप में कुल 60 हजार रुपये मिलेंगे। इस तरह दोनों मिलकर कुल 90 हजार  रुपये प्रत्येक विधायक को मिला करेंगे। इस बढ़ोतरी के बावजूद दिल्ली के विधायक देश में सबसे कम वेतन पाने वाले विधायकों में बने रहेंगे।

 

यहां यह बताना भी जरूरी है कि देश में सबसे ज्यादा वेतन तेलंगाना के विधायकों को मिलता है। यहां के हर विधायक को प्रत्येक महीने 2.5 लाख रुपए मिलते हैं। दिल्ली सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में एक विधायक को हर महीने करीब 95 हजार, गुजरात में 1 लाख 5 हजार, बिहार में 1.30 लाख, राजस्थान में 1.425 लाख, हरियाणा में 55 हजार, उत्तराखंड में 1.98 लाख, हिमाचल में 1.90 लाख मिलते हैं। हालांकि कई तरह के भत्तों की वजह से इसमें काफी अंतर हो सकता है। अगर हम उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो यहां सभी तरह के भत्तों को मिलाने के बाद एक विधायक को करीब 1.87 लाख रुपए मिलते हैं। जबकि एक से ज्यादा बार विधायक रह चुके विधायकों का वेतन इससे भी ज्यादा होता है।

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