दिल्ली मेट्रो में इन दिनों हो रहे डांस, रील्स और अश्लील हरकत के चलते सुर्खियों में बना हुआ है। इन घटनाओं से सबसे ज्यादा अन्य यात्री परेशान होते हैं। ऐसी स्थिति में अगर दिल्ली मेट्रो रेल निगम द्वारा सख्ती नहीं दिखाई गई तो वह दिन दूर नहीं जब खुलेपन के नाम पर दिल्ली मेट्रो एक दिन अश्लीलता का आशियाना बन जाएगी। हालांकि दिल्ली मेट्रो रेल निगम द्वारा सख्ती करने की बात भी कही गई थी, लेकिन अभी तक कोई सख्ती देखने को मिल नहीं रही है
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यह तो हम सबको पता है कि भारत पुरुष-प्रधान देश है। लेकिन साथ ही यह शर्म प्रधान देश भी है। यह कोई नई या अजीब बात नहीं है। जगजाहिर है कि भारतीयों को शर्म बहुत आती है और अगर किसी को नहीं आती है तो हम भारतीय सुना-सुनाकर उसे इतना शर्मिंदा कर ही देते हैं कि वह शर्म से पानी-पानी हो जाए। क्या करें हमारे खून में ही मोरल पुलिसिंग कूट-कूट कर भरी हुई है। किसी को शर्मिंदा करने का अवसर हम भारतीय छोड़ना ही नहीं चाहते हैं। फिर मामला एक प्रेमी जोड़ों से जुड़ा हो तो सोने पर सुहागा मानिए। पूरा समाज ही मिलकर नैतिकता का पैमाना और खांचा समझाने लगता है।
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कुछ दिनों से सोशल मीडिया में दिल्ली मेट्रो के ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनको देखकर हर कोई वीडियो में दिख रहे लोगों को नैतिकता के पैमाने बता रहा है। हाल ही में ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हुआ वीडियो देखने पर पता चलता है कि मामला मोरल पुलिसिंग जैसा है। एक लड़का-लड़की के साथ खड़े होने का तरीका कुछ महिलाओं को बिल्कुल नहीं भाया। आंटी ने ‘शर्म नहीं आती!’ जैसा बोलकर उनके साथ खड़े होने पर सवालिया निशान लगा दिया। यही नहीं दूसरी ने तो इस कपल के इरादे तक भांप लिए थे। कहने लगीं, ‘इतनी आग लगी है तो घर चले जाओ।’ जाहिर- सी बात है इस बातचीत से पता चलता है कि इस कपल के खड़े होने का तरीका महिलाओं को अच्छा नहीं लगा।
Yaar Delhi metro is entertainment x 10 !
pic.twitter.com/XooXe2rhnL— Milan Sharma (@Milan_reports) June 27, 2023
इस पूरे बवाल को देखने वाले बाकी यात्रियों को भी शायद। लड़का-लड़की की पाॅजीशन से आंटियां असहज हुईं तो उन्होंने पूरे कोच को ही असहज कर दिया। वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और हर कोई नैतिकता भरे भाषण दे रहा है।
ताजा वीडियो को नजरअंदाज भी करें तो हाल के दिनों में दिल्ली मेट्रो से कई आपत्तिजनक वीडियो आए हैं। कोई एक- दूसरे को चुम्बन करता नजर आया तो कोई मेकआउट में व्यस्त। एक सज्जन तो भरी मेट्रो में हस्तमैथुन करते भी नजर आ रहे हैं। ऐसे ही कई वीडियो सोशल मीडिया पर हैं। अब समझने की बात यह है कि मेट्रो से यात्रा करने वालों के लिए भी अलग-अलग कैटेगरी है। कुछ लोग तमाशबीन होते हैं, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि पड़ोसी क्या कर रहे हैं। वे अपने में ही मस्त रहते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें तमाशा देखने में मजा आता है। ऐसे लोग सीधे तौर पर इसमें शामिल नहीं होते हैं, लेकिन इसका भरपूर आनंद लेते हैं। ज्यादातर वीडियो इन्हीं लोगों द्वारा बनाए जाते हैं। तीसरे वे हैं जिनसे ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाती। वे या तो आपस में भिड़ जाते हैं या सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर करते हैं।
अधिकांश वीडियो पर बहस होती है, जिसके बाद मुद्दा उठता है पसंद का, तर्क दिया जाता है स्वतंत्रता का। लेकिन ऐसी दलील देने वाले भूल जाते हैं कि मेट्रो उनकी निजी जगह नहीं, सार्वजनिक संपत्ति है। अगर आप सार्वजनिक स्थानों पर पर्सनल स्पेस से जुड़ी गतिविधियां करेंगे तो लोग टोकेंगे ही। सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता रोकने के लिए कानून तो बने हैं, लेकिन उनमें स्पष्टता का अभाव है। ऐसे में क्या अश्लील है, क्या नहीं, कहना बड़ा कठिन विषय हो जाता है। ऐसे में मेट्रो में जो बात किसी एक के लिए अपमानजनक हो सकती है, वह किसी दूसरे के लिए नहीं भी हो सकती है।
प्यार की आजादी, लेकिन संयम जरूरी
मोरल पुलिसिंग को एक तरफ रखकर देखा जाए तो अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक स्वतंत्रता का दायरा समझने की जरूरत भी है। इस बात को सबको समझने की आवश्यकता है कि कहां कौन-सी हरकत करने से साथ में खड़े लोग असहज हो सकते हैं? इसके साथ ही थोड़ा कंट्रोल पुरानी पीढ़ी को भी करना होगा जिन्हें इस तरह खुले में प्यार के प्रदर्शन की आदत नहीं है। दोनों पक्षों को ही एक-दूसरे की आपत्तियों को समझने का प्रयास करना होगा तभी इस तरह की खबरें और लड़ाइयां रुक सकेंगी।
Delhi Metro has continued to make headlines for several odd and shocking incidents inside the train coaches, platforms and stations. From witnessing a brawl to seeing couples kissing, has Delhi Metro seen it all?#DelhiMetro #NewsMo pic.twitter.com/QV5PcvzTZ5
— IndiaToday (@IndiaToday) July 1, 2023
अब बर्दाश्त से बाहर
अति हो जाने के बाद अब इसे रोकने के लिए दिल्ली मेट्रो ने सख्त कदम उठाए हैं। दिल्ली मेट्रो के अनुसार, अगर कोई लड़का या लड़की मेट्रो में ऐसी हरकतें करते हुए पाए जाते हैं, जिसे बाकी लोग अच्छा नहीं मानते हैं, तो मेट्रो पुलिस उनके परिवार के सामने उनकी काउंसलिंग कराएगी। अगर ऐसे जोड़े बालिग हैं यानी उनकी उम्र 18 साल से ज्यादा होगी तो भी यही कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। इसके लिए पुलिस की 16 टीमें गठित की गई हैं। सभी मेट्रो स्टेशनों और ट्रेनों में पुलिसकर्मी सादे कपड़ों और वर्दी में गश्त करेंगे।
क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 में प्रावधान है कि यदि कोई पुरुष या महिला किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी भी तरह का अश्लील कार्य करते हैं तो उनके खिलाफ पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इस कानून के अंतर्गत रेलवे स्टेशन, बाजार, स्कूल या फिर किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई प्रेमी जोड़ा चुम्बन करता है तो पुलिस उन्हें इसे अश्लील कृत्य बताकर गिरफ्तार कर सकती है। यहां तक कि सार्वजानिक स्थान पर अगर कोई अपनी कार में भी ऐसा करता है तो भी पुलिस को एक्शन लेने का अधिकार है। कोई आम आदमी भी अश्लीलता देखकर पुलिस से शिकायत कर सकता है।
सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कार्य करने पर 3 महीने जेल की सजा और जुर्माना हो सकता है। साथ ही अश्लील गाने, इशारे और शब्दों के इस्तेमाल पर जिससे किसी अन्य व्यक्ति को असहजता होती है तब भी पुलिस को आईपीसी की धारा 294 के तहत कार्रवाई का अधिकार है।
मेट्रो में सफर कर रही एक महिला सुनैना से जब हमने इस पर उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि मेट्रो को कोई अधिकार नहीं है कि किसी के पेरेंट्स को बुलाकर काउंसलिंग करा सके। रही बात मेट्रो के वायरल वीडियोस की तो कुछ ही लोग है जो इस तरह का माहौल क्रिएट करते हैं। तो ऐसे लोगों के लिए कुछ तो सख्ती होनी ही चाहिए।
यूको बैंक की पूर्व चीफ मैनेजर रंजीता गुप्त: काउंसलिंग से काम नहीं चलेगा। इससे समस्या नहीं सुलझेगी क्योंकि ये जो माहौल है सांस्कृतिक प्रदूषण शहर में फैल रहा है। सोशल मीडिया की संस्कृति के हम सब लोग शिकार हो गए हैं। ऐसे दौर में थोड़ी सख्ती जरुरी है मुझे लगता है इसमें आम नागरिकों की भागीदारी तो होनी ही चाहिए इसे लेकर सख्त कानून सख्त दिशा-निर्देश होने चाहिए कि आप पब्लिक प्लेस में क्या नहीं कर सकते। आपका निजी जीवन जो भी हो उससे किसी को कुछ लेना देना नहीं। आप पब्लिक प्लेस में पब्लिक प्रोपर्टी का मिसयूज न करें। लोगों को समझना होगा कि वे मूकदर्शक न बने गलत कृत्य करने वालों की वे लोग भत्र्सना करें, उन्हें अपमानित करें। किसी सख्त कार्रवाई के बिना यह संभव नहीं होगा। हमें यह समझना होगा कि हम आजादी किस कीमत पर चाहते हैं। आपके कृत्य से कोई असहज न हो इसका ख्याल रखना भी जरूरी है।
साहित्यकार गीताश्री : मोरल पुलिसिंग को कौन उचित ठहराएगा? पूरी दुनिया में इसके खिलाफ आवाजें उठाई जा रही हैं। पश्चिम ने तो अपने को नैतिक पहरेदारी से मुक्त किया। लेकिन आज भी तीसरी दुनिया में ये जारी है। ईरान जैसे देशों में तो मोरल पुलिस एक सरकारी पद है। उनका काम है स्त्रियों पर पहरेदारी करना। उन्होंने अगर हिजाब नहीं पहना तो चेहरे पर ब्लेड मार कर भाग जाते थे। इनसे स्त्रियां बहुत आतंकित रहती थीं। हालांकि
इक्कीसवीं शताब्दी की युवा पीढ़ी ने विरोध जताया तो उनकी पहरेदारी मंद पड़ी। यानी जनता जब आक्रांत होती है, मिल कर आवाज उठाती है तो ये पहरेदारी कम होती या मंद पड़ती है। हर जगह हालात बदल रहे हैं, बदलने ही चाहिए। हम मध्ययुगीन सोच से नई शताब्दी में बन रही नई दुनिया में कैसे सर्वाइव कर पाएंगे? यह नैतिकता के ठेकेदारों को सोचना होगा। एक दिन वे नष्ट होंगे। हमारे यहां भी धार्मिक रूढ़ियों में जकड़े अनपढ़ों की फौज तेजी से उग्र हुई है। जो अपनी ही परंपरा से कटी हुई है। उसे अपनी संस्कृति का ज्ञान नहीं। मूर्खों को कौन समझाए कि वे अपनी परंपरा में झांके जहां एक समय में कितना मुक्त था सब कुछ। स्त्री-पुरुष संबंध भी कितने सहज थे। उनके ऊपर कोई दबाव नहीं और यह गलत हरकत क्या होती है?
अगर कोई अपने पार्टनर या प्रेमी को सरेआम चूम रहा है तो किसी को दिक्कत क्यों? आप आंखें घुमा लीजिए। भावनाओं का उफान क्या एकांत और अंधेरा तलाशेगा? हां, इसके बाद की चीजें जरूर एकांत की होती हैं। उतना ध्यान लोग रखते हैं। दो व्यस्क जानते हैं कि उन्हें पब्लिक में किस हद तक खुलना चाहिए। आप नियम कानून बना कर किसी की भावनाओं पर काबू पा लेंगे? चूमना कब से अश्लील हो गया?
बाकी हरकतें पब्लिक में गलत है। इसका ध्यान नागरिकों को खुद रखना चाहिए। इससे आगे की हरकत अश्लील मानी जाएगी जो वहां मौजूद लोगों को असहज कर दे। भारत का मध्यवर्ग बहुत जजमेंटल है। बहुत जल्दी जज करता है और चरित्र हनन भी। तुरंत फैसले भी देता है। इस वर्ग में मोहब्बत अपराध है और खुलेआम छेड़खानी या गैंगरेप दर्शनीय कृत्य। नैतिकता के ठेकेदारों का खून ऐसे छिछोरों और बलात्कारियों पर क्यों नहीं खौलता? स्त्री हो या युवा, इनकी पहरेदारी, इनके लिए आचार संहिता बनाने से बेहतर है वे समाज के सड़े हुए ऐसे अंगों का इलाज करें।
पंकज शर्मा, प्रोफेसर पटना यूनिवर्सिटी: इन दिनों दिल्ली मेट्रो में कुछ युवक-युवतियां अजीबो-गरीब हरकत करते देखे जा रहे हैं। यह मसला भले अश्लीलता-श्लीलता के प्रश्न के वृत से बाहर हो फिर भी खुलेपन के नाम पर भौड़ी और विकृत मानसिकता को सहन नहीं किया जा सकता है। सार्वजनिक स्थलों पर नियमबद्ध आचरण का प्रावधान होना चाहिए। दिल्ली मेट्रो प्रशासन को इस मसले पर कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
मेट्रो यात्री: मेट्रो में चुम्बन व हस्तमैथुन क्रियाओं को समाज के कुछ लोग आधुनिकता से जोड़ देते हैं। यदि ये क्रियाएं आधुनिकता के लक्षण हैं तो क्या आधुनिक होने में दूसरों के भावनाओं को ठेस पहुंचाना शामिल है? चूंकि इन मामलों में हम पश्चिम के लोगों जैसे खुले भी नहीं हैं। इस नाते हमें यह भी समझना होगा कि मेट्रो में परिवार भी सफर करता है तो क्या कोई भाई-बहन, पिता-पुत्र, मां-बेटी एक साथ अपनी आंखों के सामने ऐसी क्रियाएं होते देख सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसी क्रिया मेट्रो में करता है और कल होकर वह खुद अपने पूरे परिवार के साथ मेट्रो में सफर करे और कोई दूसरा व्यक्ति ऐसा करे तो उस व्यक्ति को कैसा लगेगा। अपने निजी सुख की प्राप्ति हेतु हमें दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों पर ऐसा करना मेरी दृष्टि में उचित नहीं है।