राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों हुए साक्षी हत्याकांड ने एक बार फिर शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोपी युवक साहिल ने जिस तरह साक्षी को सरेआम चाकुओं से गोदा और लोग देखते रहे, यह अपने आप में संवेदनहीनता को भी प्रकट करता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल उस दिल्ली पुलिस पर है जिसे देश की सबसे सक्रिय पुलिस कहा जाता है। पुलिस की निष्क्रियता से देश की राजधानी में दिनों-दिन महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। खुद दिल्ली पुलिस के आंकड़ों को देखें तो यहां महिलाएं इतनी असुरक्षित हैं कि प्रत्येक दिन छह महिलाएं बलात्कार का शिकार हो रही हैं
दिल्ली में नहीं मिलती हिफाजत अब भी ख्वातीनों को,
वजीर-ए-आजम ने किए थे जो वायदे ताज-ओ-तख्त पाने के लिए।
दिल्ली के लिए कही गई इन पंक्तियों में शायर ने सरकार की हालत को बखूबी बयां किया है। पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली सरकार, अपने ही गढ़ में महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन अपराध, दहेज हत्या, एसिड हमले, अपहरण और पीछा करने जैसे अपराधों को रोकने में नाकामयाब होती दिखाई दे रही है। आलम यह है कि देश भर में सबसे असुरक्षित बन चुकी राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के मामले थमने के बजाय लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। हर दिन महिलाओं के प्रति बढ़ती क्रूरता को अखबारों के पन्नों, न्यूज चैनल और यहां तक कि दिल्ली की सड़कों पर सरेआम देखा जा सकता है। हाल ही में हुई राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नाबालिग लड़की साक्षी की बेरहमी से बीच सड़क में चाकू गोदकर हत्या के मामले से एक बार फिर देश की राजधानी में महिलाओं की हत्याओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि वर्ष 2012 यानी लगभग 11 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी में जो निर्भया कांड हुआ, इस घटना ने देशव्यापी आक्रोश पैदा कर दिया था। आक्रोश को देखते हुए राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व ने इसे गंभीरता से लिया, और सख्त कानून बनाने का संकल्प भी लिया गया था, लेकिन इतने वर्षों के बाद भी इस तरह के हादसों में कोई गिरावट नहीं देखी गई, बल्कि यह लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जिस शहर में केंद्रीय गृह मंत्रालय है, उसका हाल अपराध के मामले में इतना भयावह क्यों होता जा रहा है? क्यों जनता से तमाम वायदे करने वाली सरकार अपराधियों के आगे बेबस नजर आ रही है? क्यों निर्भया के बाद भी महिलाओं की क्रूरता से हत्या की जा रही है?
पिछले साल जारी एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश के महानगरों में महिलाओं के खिलाफ सभी अपराधों में, सबसे अधिक अपराध दिल्ली में हुए हैं। पिछले साल दिल्ली में होने वाले रेप और हत्या के आंकड़ों में 2 मामले प्रतिदिन दर्शाये गए थे। लेकिन कुछ ही महीनों में ये आंकड़े दोगुने हो गए हैं। हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा आंकड़े जारी किए गए हैं जिससे पता चलता है कि दिल्ली में प्रतिदिन 6 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं छेड़छाड़ के 7 मामले प्रतिदिन दर्ज किए हैं, इन आंकड़ों के चलते वर्ष 2023 के शुरुआती 5 महीनों में ही दिल्ली में 1 हजार 100 से अधिक रेप के मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जो दर्शाते हैं कि इन मामलों में 16 प्रतिशत वृद्धि और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ एवं मारपीट के मामलों में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2022 तक दिल्ली में छेड़खानी व मारपीट के 1 हजार 480 मामले दर्ज किए गए, लेकिन ये आंकड़े इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस साल के कुछ ही महीनों में 1 हजार 244 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
दिल्ली पुलिस के द्वारा दिए गए बलात्कार के आंकड़ों में पिछले कुछ महीनों के भीतर लगभग 6 बलात्कार के मामले रोजाना दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी के द्वारा दिए गए पिछले कुछ सालों के आंकड़ों के मुकाबले दिल्ली में इन मामलों में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई है। वर्ष 2019 से महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों में काफी तेजी देखी गई है। वर्ष 2022 तक दिल्ली में बलात्कार के रोजाना दो मामलों की शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन इस वर्ष यह संख्या तीन गुना बढ़ गई है जो बेहद गंभीर और चिंताजनक है।
19 महानगरों के सर्वेक्षण में बलात्कार के साथ अपहरण के मामलों में भी दिल्ली पहले स्थान पर है। सभी महानगरों को मिलाकर जहां 8 हजार 664 आंकड़े दर्ज किए गए थे, वहीं अकेले दिल्ली में अपहरण के 3 हजार 948 मामले सामने आए हैं। जबकि घरेलू हिंसा के 4 हजार 674 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में से पुलिस 5 हजार 274 अपहरण किए गए लोगों को बचा पाई, जिनमें 3 हजार 689 महिलाएं शामिल हैं। मृत पाए गए 17 लोगों में आठ महिलाएं थीं। अपहरण और बलात्कार के मामलों में वृद्धि के बाद दिल्ली में हत्या के आंकड़े यह प्रदर्शित करते हैं कि पिछले वर्षों की तुलना में हत्या के मामलों में कुछ हद तक गिरावट देखी गई है। वर्ष 2021 में ऐसे 454 मामले, जबकि 2020 में 461 और 2019 में 500 मामले सामने आए थे। आंकड़ों के अनुसार 2021 में की गई हत्याओं में संपत्ति और परिवार से जुड़े विवाद , प्रेम प्रसंग के कारण खून-खराबा, अवैध संबंधों के कारण, निजी दुश्मनी एवं निजी फायदे के कारण की गई थी। जबकि दिल्ली में दहेज हत्या के 136 मामले दर्ज किए गए, लेकिन वर्ष 2023 की शुरुआत से ही दिल्ली में हत्याओं के आंकड़े भी दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। महिलाओं की बढ़ती हत्या के पीछे अधिकतर उनके किसी परिचित के होने का दावा किया गया है। जैसे कुछ दिन पहले श्रद्धा और आफताब हत्याकांड में आफताब ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा की हत्या कर उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर फ्रिज में रखकर धीरे-धीरे शव को जंगल में ठिकाने लगा दिया था। इस हत्याकांड के बाद 25 मई 2023 को दिल्ली में फिर से दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई जिसमें 20 साल के युवक साहिल ने 16 साल की साक्षी को 25 बार चाकू से गोदकर सरेआम हत्या कर दी। इन घटनाओं ने दिल्ली पुलिस और सरकार दोनों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काफी सवाल खड़े कर दिए हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में साइबर क्राइम के मामले भी साल 2020 की तुलना में 111फीसदी बढे़ हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रकार के क्राइम के अधिकतर क्राइम यौन शोषण के उद्देश्य से किए गए थे। साल 2021 में साइबर क्राइम के 356 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें से ज्यादातर अपराधियों के खिलाफ यौन संबंधी कंटेंट शेयर करने को लेकर मामला दर्ज किया गया था। साइबर क्राइम को कंप्यूटर अपराध के नाम से भी जाना जाता है, इस प्रकार के अपराधों में अवैध उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है, जैसे कि धोखाधड़ी, बाल पोर्नोग्राफी, बौद्धिक संपदा की तस्करी, आदि। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में पिछले साल की तुलना में इस साल मानसिक बीमारियों के कारण आत्महत्या से मरने वालों की संख्या ढाई गुना से ज्यादा बढ़ी है। हालांकि विभिन्न स्वास्थ्य कारणों के चलते कुल मिलाकर आत्महत्याओं में काफी गिरावट आई है। आत्महत्याओं से मरने वालों की संख्या 2 हजार 526 कई सालों से लगभग स्थिर रही, जिनमें ज्यादातर आत्महत्याओं में पारिवारिक कारण बताया गया। दिल्ली में आत्महत्या से औसतन रोज 7 लोग रोजाना मरते हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में आत्महत्या से मरने वाले 47 लोगों में मानसिक बीमारी को जिम्मेदार ठहराया गया। पिछले साल आत्महत्या कर मरने वालों की संख्या कुल 18 थी और एक साल में बढ़कर 47 हो गई यानी इन घटनाओं में 161 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2021 में दिल्ली में दर्ज हत्या के ज्यादातर मामले संपत्ति और पारिवारिक विवाद से जुड़े थे। 23 मामलों में प्रेम-प्रसंग और 12 हत्याएं अवैध संबंधों के कारण हुई थीं। इनमें 87 हत्याओं की निजी दुश्मनी थी जबकि 10 हत्याएं निजी फायदे के कारण की गईं, दिल्ली में दहेज, जादू टोने, बाल/नर बलि तथा साम्प्रदायिक, धार्मिक या जाति की वजहों से कोई हत्या नहीं हुई। इस साल अपहरण के मामलों में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है। दिल्ली पुलिस के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल अपहरण के मामलों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। जनवरी 2022 से 15 जुलाई के बीच दिल्ली में अपहरण के 2 हजार 197 मामले दर्ज किए गए हैं। ये मामले वर्ष 2016 और 2017 में 3.36 और 3.37 थे जिनमें अजनबी लोगों की गिरफ्तारी की गई। बाकी मामलों में परिचितों को अपराधी पाया गया। वहीं 15 जुलाई तक 1 हजार 589 मामलों की तुलना में छेड़खानी के 1 हजार 780 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 के पूरे साल भर में 3 हजार 422 मामले दर्ज हुए थे।
कोरोना के बाद बढ़ी घरेलू हिंसा
कोरोना महामारी के बाद पूरे देश में ही घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिल्ली में कोरोना महामारी के बाद घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। इस साल दिल्ली में घरेलू हिंसा के 2 हजार 704 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले साल कुल 2 हजार 96 मामले दर्ज हुए थे। राजधानी दिल्ली में महिलाओं की बढ़ती असुरक्षा को देखते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष, स्वाति मालीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2021 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध 41फीसदी बढ़ गए। बच्चों के खिलाफ अपराध 32 फीसदी बढ़ गए। यह गहरी चिंता का विषय है, आज देश की हर पार्टी हर सरकार को महिला सुरक्षा को चुनावी घोषणापत्र से निकालकर जमीन पर मिलकर कठोर कदम उठाने चाहिए।’ दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा का कहना है कि ‘रेप एवं यौन शोषण के मामले आपराधिक होने के साथ-साथ एक सामाजिक समस्या भी हैं। हम यह बताते हैं कि बच्चे, महिलाएं इस बात से अवगत रहें कि वे हमारे हेल्पलाइन नंबर के जरिए पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस इन अपराधों को बहुत गंभीरता से लेती है, जिसमें हमारे द्वारा यह पूरी तरह से सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि पीड़ितों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाए।’ बकौल नलवा की डेटा के अनुसार इस तरह के मामलों में लगभग 99.5 फीसदी मामलों में आरोपी पीड़िता का परिचित होता है।
चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं महिला हेल्प डेस्क
दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा का कहना है कि पुलिस में अधिक से अधिक अधिकारियों की तैनाती की गई है। वहीं महिलाओं की सहायता के लिए गुलाबी बूथ भी स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही हमारे द्वारा ऐसे संदिग्ध स्थानों की भी पहचान की गई है, जहां पुलिस लगातार गश्त करती रहती है। पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और महिलाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। महिला आयोग ने अपराध बढ़ने और शारीरिक प्रताड़ना की शिकार महिलाओं द्वारा झेली जाने वाली मानसिक प्रताड़ना पर चिंता जाहिर की है। आयोग ने कहा कि ऐसी पीड़िताओं के सपोर्ट के लिए बनाए गए सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। इसके साथ ही आयोग ने सरकारी अस्पतालों में वन-स्टाम्प सेंटर्स (ओएससी) के सही ढंग से काम नहीं करने पर चिंता जताते हुए कहा है कि इसकी वजह से ‘मेडिकल लीगल केस’ यानी एमएलसी में अप्रत्याशित देर होती है। इससे पहले दिल्ली महिला आयोग ने सरकारी अस्पतालों में रेप पीड़िताओं को आने वाली दिक्कतों को लेकर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि गुरु गोविंद सिंह अस्पताल, स्वामी दयानंद अस्पताल और हेडगेवार अस्पताल में ओएससी की सुविधा नहीं है।