लगभग 40 वर्षों बाद हुई इस भयंकर बारिश ने दिल्ली वासियों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। पिछले दिनों हरियाणा के हथिनीकुंड बाँध से लगतार छोड़े गए पानी के कारण यमुना का जलस्तर खतरे के निसान से ऊपर गया था जिसके कारण यमुना के आसपास के इलाकों में रहने वाले वाले कई लोगों के घर तो जलमग्न हो गए थे।
ऐसे में दिल्लीवालों पर बारिश के साथ बाढ़ का खतरा भी बताया गया। जिसके कारण यमुना के आस-पास के इलाकों के लोगों को अपने घरों से निकलकर रहत शिविरों में रेहने पर मजबूर होना पड़ा। हालांकि धीरे – धीरे यमुना के जल स्तर में कमी देखने को मिल रही है लेकिन अभी भी लोगों के सामने एक बड़ी चुनौती मुँह खोले खड़ी है। एक और बाढ़ के कारण सड़कों व घरों में आया मलबा और गंदगी तो वहीं दूसरी और इस गंदगी के कारण बीअमरियों का खतरा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
सड़कों की नाले जैसी स्थिति
यमुना के पानी का जल जैसे – जैसे सड़कों व नालों से खली हो रहा है वैसे-वैसे सड़कों पर गंदगी का जमा होती जा रही है। सड़कों की स्थिति अब एक छोटे नाले के सामान हो गई है , जहाँ चारों ओर कूड़ा-कचरा और सीवर की गंदगी बह रही है। जिसके देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में कई तरह की बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। वहीं बारिश का दौर भी अभी थम नहीं रहा है। जिसे देखते हुए दिल्ली सरकार का कहना है कि अगर अब बारिश नहीं रुकी तो फिर से हालात बिगड़ सकते हैं, क्योंकि अगर फिरसे बारिश हुई तो एक बार फिर यमुना का जलस्तर बढ़ सकता है और जिन इलाकों में पहले से ही जलभराव की समस्या से छाई हुई है उन इलाकों की स्थिति और खराब हो जाएगी। साथ ही इससे लेप्टोस्पाइरोसिस, डेंगू-मलेरिया और हैजा जैसी बिमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जायगा।
सड़कों पर मलबा और जानवरों के शव
यमुना बाजार इलाके में राजघाट को आईएसबीटी, कश्मीरी गेट से जोड़ने वाली अंडर-ब्रिज सड़क मलबे और गायों के शवों के कारण बंद हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार वहां रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि, करीब पिछले तीन दिनों से प्रशासन की ओर से कोई भी इन शवों को उठाने व सफाई के लिए नहीं आया है। जिसके कारण ऐसे ही पड़े रहने के कारण गायों के शव संक्रमित होने लगे हैं और इससे आस-पास क्षेत्र में दुर्गंध आ रही है। इन शवों के संक्रमित होने से कई प्रकार के इन्फेक्शन हो सकते हैं।