दिल्ली कैबिनेट ने एक नया शिक्षा बोर्ड बनाने के फैसले को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में दिल्ली में केवल CBSE और ICSE बोर्ड हैं। केजरीवाल ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में नए बोर्ड के तहत कुछ स्कूलों में शिक्षा शुरू की जाएगी।
दिल्ली सीएम केजरीवाल ने कहा कि कुछ साल पहले, दिल्ली के सरकारी स्कूलों को कम करके आंका गया था। लेकिन, जब हमने शिक्षा पर बजट का 25 फीसदी खर्च करना शुरू किया, तो चीजें अपने आप बदल गईं। केजरीवाल ने कहा, “इसके माध्यम से हमने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ शिक्षकों और छात्रों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने पर जोर दिया है।”
'दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन' की स्थापना दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन को नई ऊंचाइयों की तरफ़ लेकर जाएगा | LIVE https://t.co/sTjII0xNdP
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 6, 2021
इससे पहले शिक्षा निदेशक हस्तक्षेप कर रहे थे। छोटी-छोटी चीजों के लिए निदेशालय की मंजूरी लेनी पड़ती थी। केजरीवाल ने यह भी उल्लेख किया कि 50,000 रुपये तक खर्च करने का अधिकार बढ़ा दिया गया है और 50,000 रुपये तक खर्च करने का अधिकार हेडमास्टर को दिया गया है।
दिल्ली का नया स्कूल बोर्ड, शिक्षा में सुधार के एक बहुत बड़े सपने को पूरा करने का आधार बनेगा.
इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर बच्चा अच्छा नागरिक बने, कट्टर देशभक्त बनकर देश की ज़िम्मेदारी ले और अच्छा इंसान बने. यह बोर्ड शिक्षा को 'रटकर पास होने की परीक्षा' से मुक्त करेगा. https://t.co/zSjs0Ag1LW— Manish Sisodia (@msisodia) March 6, 2021
नई दिल्ली बोर्ड के तीन उद्देश्य
हमारे स्कूलों में क्या पढ़ाया जाता है और क्यों? यह उसे डंप करने और आगे बढ़ने का समय है। नई दिल्ली बोर्ड की स्थापना में हमारे तीन उद्देश्य हैं।
- – हमें देशभक्त बच्चों का निर्माण करना होगा। बच्चों को भविष्य में किसी भी क्षेत्र की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना होगा।
- – आपके बच्चे अच्छे ‘इंसान’ बनें। इसलिए, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों, अमीर हों या गरीब … सभी को एक-दूसरे को इंसान समझना चाहिए। उसे अपने परिवार की देखभाल करते हुए समाज का भी ध्यान रखना चाहिए।
- – बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी बच्चों को नौकरी नहीं मिलती है, लेकिन यह बोर्ड एक शिक्षा प्रणाली स्थापित करेगा, ताकि बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो सकें और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें भटकना न पड़े। रोजगार उनके पास हो ।
फिर भी, केजरीवाल ने कहा कि AAP सरकार ने पिछले छह वर्षों में कई सफल प्रयोग किए हैं। परिणामस्वरूप, सरकारी स्कूल का परिणाम 98 प्रतिशत रहा। सरकारी स्कूल के छात्रों ने मेडिकल, इंजीनियरिंग और प्रमुख कॉलेजों में प्रवेश प्राप्त करना शुरू कर दिया। अभिभावक भी मान रहे हैं कि उनके बच्चों का भविष्य सरकारी स्कूलों में सुरक्षित है।