योगी सरकार ने प्राइूमरी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने फैसला लिया है कि 12 शोध संस्थान और विश्वविद्यालय बेसिक शिक्षा विभाग के साथ प्राइमरी स्कूलों पर काम करेंगे। सरकार के फैसले अनुसार ये संस्थान विभाग की योजनाओं का आकलन करेंगे। जीबी पंत शोध संस्थान, गिरी शोध संस्थान के साथ कई विश्वविद्यालयों के समाज कार्य विभाग शामिल हैं। राज्य सरकार ने नवम्बर 2022 से एक साल तक के लिए इन संस्थानों के साथ अनुबंध किया है।
इन संस्थाओं की रिपोर्ट पर प्राइमरी स्कूल की नीतियों में बदलाव किया जाएगा, साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग अपने परिषदीय स्कूलों में चल रही डीबीटी योजना का सर्वे पूरे राज्य में कराएगा। खास बात यह है कि यह सर्वे इसी साल के अंत में करवाया जायेगा । इसी योजना के संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग ने 12 संस्थानों को संपर्क किया है। इसमें प्रयागराज स्थित गोविंद बल्लभ पंत ,सामाजिक विज्ञान संस्थान, आगरा स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, लखनऊ स्थित गिरि विकास अध्ययन संस्थान, कानपुर स्थित शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, बुंदेलखण्ड विवि, अलीगढ़ मुस्लिम विवि, ज्योतिबा फूले रूहेलखण्ड विवि, लखनऊ विवि, अयोध्या स्थित राम मनोहर लोहिया विवि के समाज कार्य व समाज शास्त्रत्त् विभागों को समग्र शिक्षा द्वारा नवम्बर 2022 से फरवरी 2023 तक सम्बद्ध किया गया है।
मातृत्व अवकाश का आदेश
“शिक्षक संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन ” (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सहित विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिख कर मातृत्व अवकाश का आदेश जल्द जारी करने की मांग की है। उनके अनुसार परिषदीय और सहायता प्राप्त विद्यालयों में नियुक्त अध्यापिकाओं को दो वर्षों के अंतराल से पहले मातृत्व अवकाश लेने का आदेश बेसिक शिक्षा विभाग जल्द से जल्द करे। वहीं “यूटा” मीडिया प्रभारी सतेंद्र पाल सिंह के अनुसार भी अध्यापिकाओं को दो वर्ष के भीतर मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए। “यूटा” ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि इस आदेश से परिषदीय विद्यालयों की शिक्षिकाओं को राहत मिली है।