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पुण्यतिथि विशेष : इंदिरा गाँधी के एक फैसले ने पूरी बैंकिंग प्रणाली बदल दी थी  

देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 102वीं जयंती है।  इस अवसर पर पूरा देश उनको याद कर रहा है,साथ ही जयंती पर सोनिया गाधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिहं समेत कई नेताओं ने इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी। 19 नवंबर 1917 को इंदिरा गाँधी का जन्म  उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में  हुआ था।  इनके पिता जवाहर लाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। उनके बचपन का नाम प्रियदर्शिनी था। 

राजनीति के क्षेत्र में
 
इंदिरा गांधी ने सक्रिय राजनीति में अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद कदम रखा। उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद संभाला था   

 वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 बार  भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। साहसी और निडर होकर फैसले लेने  वाली देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आयरन लेडी के खिताब से नवाजा गया था। 
  1969 में  किया था बैंको का  राष्ट्रीयकरण
 आज से करीब 50 साल पहले 19 जुलाई 1969  तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एक फैसले ने देश की पूरी बैंकिंग प्रणाली बदल दी थी।सबसे बड़े पैमाने पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण 1969 में इंदिरा गांधी ने किया। इंदिरा गांधी ने 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। आज भी वह फैसला बैंकों को प्रभावित कर रहा है। 
 
   सेना भेजने का दिखाया था साहस 
 
 इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान के दो टुकड़े करने और पंजाब में फैले उग्रवाद को उखाड़ फेंकने के लिए कड़ा फैसला लेते हुए जून, 1984 स्‍वर्ण मंदिर में सेना भेजने का साहस दिखाया था।  1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उनका कार्यकाल घटनाविहीन था।  

राजभत्ता  को खत्म किया था  प्रियदर्शिनी ने 

आजादी के पहले हिंदुस्तान में लगभग 500 से ज्यादा छोटी बड़ी रियासतें थीं। हर राजा-महाराजा को अपनी रियासत का भारत में एकीकरण करने के एवज में भारत सरकार द्वारा हर साल राजभत्ता बांध दी गई थी। यह समझौता सरदार पटेल द्वारा देसी रियासतों के एकीकरण के समय हुआ था। इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स (राजभत्ता) को खत्म करने का फैसला किया था। उन्होंने 1971 में संविधान में संशोधन करके इसे बंद करवा दिया गया था। इस तरह राजा-महाराजाओं के सारे अधिकार और सहूलियतें वापस ले ली गईं थीं।  
  31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी गई। 

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