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मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक कार्यक्रम के दौरान मशहूर लेखक “सलमान रुश्दी” की गर्दन पर चाकू से वार करके उनकी हत्या करने का प्रयास किया गया। हालांकि वहां मौजूद लोगों ने अपराधी को पकड़ लिया। लेकिन सलमान रुश्दी की हालत गंभीर बानी हुई है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमले के दौरान सलमान को काफी चोटें आई है ।


कौन हैं सलमान रुश्दी

सलमान रुश्दी का पूरा नाम ‘सर अहमद सलमान रुश्दी’ है जो एक ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार हैं। इनका जन्म वर्ष 1947 में मुंबई में हुआ था। इन्होने कई उपन्यास लिखे हैं। इनके दूसरे उपन्यास ‘मिडनाइट चिल्ड्रन’ के लिए वर्ष 1981 में इन्हे बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया। इनके उपन्यासों में इनकी रचना शैली ऐतिहासिक कल्पना के साथ संयोजित जादुई यथार्थवाद है। जिसके तहत सामान्य जगत की चीजों को जादुई व चमत्कारिक रूप में दिखाया जाता है। अपने उपन्यासों के कारण सलमान अधिकतर विवाद में रहते हैं इन्हें जान से मारने की धमकियाँ भी मिलती रहती हैं। सलमान पर हुए इस हमले का कारण भी उनके द्वारा लिखे गए लेख और उपन्यास आदि को माना जा रहा है। इसी तरह के विवादों के कारण इनका एक उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ की बिक्री पर भारत में प्रतिबंध लगाया गया है।

 

क्या है द सैटेनिक वर्सेज उपन्यास

वर्ष 1988 में सलमान ने अपनी एक पुस्तक द सैटेनिक वर्सेज लिखी। जिसमें ‘सैटेनिक वर्सेज’ अर्थात ‘शैतानी आयतें’ हैं। इसके नाम से ही मुस्लिम धर्म के लोगों को आपत्ति थी। इन्होने अपनी इस किताब में एक काल्पनिक किस्सा लिखा है। जिसमें दो फिल्म निर्माता हवाई जहाज द्वार मुंबई से लंदन जा रहे हैं। बीच रास्ते में इस प्लेन को सिख आतंकी हाइजैक कर लेता है। जब विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा होता है, उसी समय पैसेंजर से आतंकियों के बीच बहस शुरू हो जाती है। जिसके कारण आतंकी विमान में बम विस्फोट कर देता है। इस घटना में जिबरील और सलादीन की जान समुद्र में गिरने की वजह से बच जाती है। इस घटना के जबरील को धर्म के संस्थापक को से जुड़े कई सपने आतें हैं जिसके बाद ये दोनों मिलकर एक बार फिर धर्म को नै तरह से स्थापित करने की सोचते हैं। इसके बाद की कहानी को सलमान ने कुछ इस प्रकार गढ़ा है कि इस्लाम धर्म के लोगों को यह उनकी इष्टनिंदा लगता है। जिसे लेकर विवाद खड़ा होने लगा जिसके बाद भारत में इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि भारतीय संविधान हर धर्म की भावनाओं का ध्यान रखता है। वर्ष 1989 में इस किताब के खिलाफ मुंबई में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया जिसमें लगभग 20 लोगों की मृत्यु हो गई। इसी वर्ष ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला खुमैनी ने उनकी मौत का फतवा जारी कर दिया । जिसके बाद उन पर जानलेवा हमला हुआ और हमले के बाद से उन्हें पुलिस की सुरक्षा में रखा गया। फिर 10 वर्षों बाद वर्ष 1998 में ईरान की सरकार ने ऐलान की अब वे सलमान की मौत का किसी भी प्रकार से समर्थन नहीं करते। लेकिन फतवा वही की वही रही।

सलमान की इस किताब को लेकर भारत ही नहीं अन्य कई देशों में भी विरोध हो रहें हैं जो हिंसक रूप भी ले रहे हैं। जिसके कारण आज तक लगभग 59 लोगों की हत्या की की जा चुकी है जिसमें उस किताब के पब्लिशर ,अनुवादक आदि भी शामिल हैं।

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