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बेटी को हर हाल में पिता की संपत्ति पर बराबरी का अधिकार -सुप्रीम कोर्ट 

बेटियों के हित में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि  अब अपने  पिता की पैतृक संपत्ति  पर बेटी का भी उतना ही अधिकार होगा जितना कि बेटे का होता है। यह  बड़ा फैसला आज 11 अगस्त को  सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है । कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बेटी को भी अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है, भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005  के लागू होने के पहले ही उसके पिता की मृत्यु क्यों न हो गई हो। अदालत ने कहा कि 2005 में संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत यह बेटियों का अधिकार है। बेटी हमेशा बेटी ही रहती है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू महिला को अपने पिता की संपत्ति में भाई के समान ही हिस्सा मिलेगा।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हिन्दू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि कानून संशोधन से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तब भी उसकी बेटियों को पिता की सम्पत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा।कोर्ट ने कहा, 9 सितंबर 2005 से पहले और बाद से बेटियों के हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्तियों में हिस्सा मिलेगा। अगर बेटी जिंदा नहीं है तो उसके बच्चे संपत्ति में हिस्सेदारी पाने के योग्य समझे जाएंगे। कोर्ट ने कहा, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बेटी जिंदा है या नहीं। यह हर हाल में लागू होगा।

इससे पहले वर्ष 2005 में कानून बना था कि बेटा और बेटी दोनों के पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होगा। लेकिन, इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई है तो यह कानून ऐसे परिवार पर लागू होगा या नहीं। अब न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया है कि यह कानून हर परिस्थिति में लागू होगा। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1965 में साल 2005 में संशोधन किया गया था। इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने का प्रावधान है। इसके अनुसार कानूनी वारिस होने के नाते पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का। विवाह से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

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