दुनिया भर में डेटिंग ऐप के ज़रिये लाखों लोगों के रोजाना रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं। डेटिंग ऐप एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ युवाओं की संख्या अधिक है और आसानी से लड़के लड़कियां एक दूसरे के कांटेक्ट में आ जाते हैं। इसके लिए डेटिंग ऐप पर अपना अकाउंट बनाते हैं और जिसे चाहें उससे डायरेक्ट डेट फिक्स कर लेते हैं। यह तरीका इतना आसान होता है कि जैन-जी के तमाम लड़के और लड़कियां इन्ही ऐप का सहारे ले रहे हैं और आगे की जर्नी शुरू कर देते हैं। इसी कारण डेटिंग ऐप के साथ-साथ प्रचलन में आये लिव-इन रिलेशनशिप का भी चलन काफी तेजी से बढ़ रहा हैं। जिसके फलस्वरूप रोजाना लिव-इन से जुड़े हादसे देखने को मिल रहे हैं।
डेटिंग ऐप वाला प्यार
लिव इन रिलेशनशिप और फिर हत्या, के लगातार कई मामले सामने आ रहे हैं। जिनमे एक मामला दिल्ली में सामने आया है जिसमे आफताब नाम के शख्स ने लिव-इन में तीन साल से रह रही अपनी पार्टनर श्रद्धा के शरीर के टुकड़े करके जंगल में फेक दिया। इस हत्याकांड की पूरी कहानी की शुरुआत भी डेटिंग ऐप से हुई थी। डेटिंग ऐप का प्रचलन युवाओं में बहुत फेमस हैं। लड़का और लड़की एक दूसरे से मिलने के लिए डेटिंग ऐप्स का बहुत इस्तेमाल करने लगे हैं। पुराने जमाने में शादी का फंक्शन, कोई बड़ा समारोह, त्योहार या स्कूल कॉलेज, ऐसी जगह थीं, जहां पर युवा लड़के-लड़कियां एक-दूसरे से मिलते थे, दोस्ती करते थे। लेकिन अब जमाना बदल गया है। अब मार्केट में ऐसे सैकड़ों डेटिंग ऐप्स हैं, जिसमें लॉगिन करने के बाद, ऐप यूज करने वाले लड़के-लड़कियां, एक दूसरे की प्रोफाइल देखकर, दोस्ती और मुलाकात का समय तय कर लेते हैं। स्थिति ये है कि आजकल कई युवा लड़के-लड़कियों की जिंदगी का अकेलापन, राइट स्वाइप और लेफ्ट स्वाइप में ही बीत रहा है। श्रद्धा और आफताब भी एक डेटिंग ऐप ‘बंबल’ के जरिए मिले थे। दोनों की प्रोफाइल इस डेटिंग ऐप पर थी। आफताब इस ऐप के जरिए लड़की से दोस्ती करना चाहता था, और श्रद्धा भी इस ऐप के जरिए किसी लड़के से दोस्ती करना चाहती थी। वहां दोनों मिले और सिलसिला प्यार से हत्या तक पहुंच गया।
भारत में डेटिंग ऐप का आंकड़ा
देश में 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। इनमें 67 प्रतिशत यूजर्स पुरुष हैं और 33 प्रतिशत यूजर्स महिलाएं हैं। एक डेटिंग ऐप के सर्वे में ये भी पता चला है कि Gen Z यानी जिनका जन्म वर्ष 2000 के बाद हुआ है, वह लोग ऐसे हर 10 में से 9 युवा डेटिंग ऐप के जरिए दोस्त तलाशते हैं। कोरोना महामारी के बाद से डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल, युवाओं में ज्यादा बढ़ गया है। यही वजह है कि भारत में डेटिंग ऐप्स के सब्सक्रिप्शन से सालाना कमाई 515 करोड़ रुपये होती है। सब्सक्रिप्शन के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। भारत में डेटिंग ऐप्स के 2 करोड़ से ज्यादा पेड सब्सक्राइबर हैं। भारत में वर्ष 2017 में 25 से 34 वर्ष के बीच के 52 प्रतिशत युवा, डेटिंग ऐप पर थे। यानी देश के ज्यादातर युवा, दोस्ती के लिए डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।
डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल सही है या गलत?
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘हम डेटिंग ऐप्स के इस्तेमाल को सही या गलत नहीं कह सकते, इसके बारे में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि डेटिंग ऐप्स से होने वाली दोस्ती में जल्दबाजी ठीक नहीं होती है। श्रद्धा और आफताब की दोस्ती भी डेटिंग ऐप के जरिए ही हुई थी। 20-25 दिन में ही दोनों ने एक दूसरे के साथ रहने का मन बना लिया था, जबकि दोनों एक दूसरे को ठीक से जानते भी नहीं थे। युवाओं के मन में इस तरह से बैठा है कि चंद दिनों की मुलाकातों और दोस्ती को ही वो सच्चा प्यार समझने लगते हैं। दोस्ती के बाद प्रेम और प्रेम की परिपक्वता की समझ, युवाओं को फिल्मों और टीवी सीरियलों से मिल रही है। ये एक बड़ी वजह है कि आजकल के प्रेमी या प्रेमिका, अपने प्रेम को अपने विवेक से ज्यादा किसी रोमांटिक फिल्म के क्लाइमैक्स से तौलते हैं। डेटिंग ऐप ने युवा लड़के-लड़कियों को दोस्ती करने का साधन तो दे दिया है। लेकिन दोस्ती से आगे बढ़ने का फैसला, युवाओं पर ही छोड़ दिया है। डेटिंग ऐप्स पर कई तरह के लोग आ गए हैं, कुछ अच्छे मकसद से हैं, तो कुछ आपराधिक मानसिकता के लोग हैं। इनकी पहचान करना ही सबसे बड़ा टास्क है।’
विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
जो भी युवा डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें समझदारी का परिचय देते हुए खुद की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए। दोस्ती में आगे बढ़ने से पहले पूरा भरोसा करना बहुत जरूरी है। डेटिंग ऐप से हुई दोस्ती में व्यक्ति और उसके व्यक्तित्व की पहचान कर लेना बहुत जरूरी है। यहां एक बात हम आपको जरूर कहना चाहेंगे कि किसी भी संबंध में परिपक्वता समय के साथ-साथ आती है। जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर गलत हो जाते हैं।