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डाटा का दुरूपयोग पड़ेगा महंगा

केंद्र सरकार ने निजी डाटा के दुरूपयोग को रोकने के लिए डिजिटल पर्सनल डाटा संरक्षण विधेयक 2022 के मसौदे को सार्वजनिक कर दिया है। विधेयक के अनुसार यदि कोई किसी व्यक्ति के निजी डाटा का दुरुपयोग करता है तो उस व्यक्ति या संस्था आदि को 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना होगा।

 

साल 2019 में बनाये गए इस कानून के अनुसार वर्तमान में जुर्माने की यह रकम 15 करोड़ है। प्रस्तावित कानून के मुताबिक लोगों के निजी डाटा एकत्र करने से पहले उस व्यक्ति से सहमति के बिना उसके पर्सनल डाटा के साथ किसी भी प्रकार की छेड़-छाड़ नहीं की जा सकेगी। मसौदे में यह भी कहा गया है कि कंपनियां एक निश्चित समय तक निजी डाटा स्टोर कर पाएंगी। केंद्र इस विधेयक को अगले बजट सत्र तक संसद में पेश करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यह मसौदा इसी कारण सार्वजनिक कर दिया गया है कि यदि मसौदे से किसी को कोई आपत्ति हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो 17 दिसंबर तक दिए जा सकें।

हालांकि इस बार पेश किये गए मसौदे में एमाजॉन और फेसबुक जैसी वैश्विक कंपनियों को कुछ हद तक भारतीयों का डाटा देश से बाहर ले जाने की छूट दी गई है। गौरतलब है कि साल 2019 में पेश किये गए मसौदे में बड़ी तकनीकी वैश्विक कंपनियों को भी डाटा भारत से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं थी जिसके कारण कंपनियों ने आपत्ति जताई थी।

 

बोर्ड का गठन कर सकेगी सरकार

 

प्रस्तावित कानून के अनुसार केंद्र सरकार ‘डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया’ भी नियुक्त कर सकते हैं, जो डिजिटल ऑफिस के रूप में काम करने वाले एक स्वतंत्र निकाय के रूप में काम करेगा। बोर्ड डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) बिल के नियमों का पालन न करने वालों का निर्धारण करेगा और नियमों के उल्लंघन पर दिए जाने वाले दंड का फैसला करेगा। मसौदे में ये भी कहा गया है कि ‘यदि बोर्ड जांच के निष्कर्ष पर यह निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति द्वारा गैर-अनुपालन महत्वपूर्ण है, तो वह व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, अनुसूची 1 में निर्दिष्ट ऐसा वित्तीय दंड लगा सकता है, जो प्रत्येक मामले में पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा।’

 

डाटा को करना होगा डिलीट

 

विधेयक के अनुसार एक व्यक्ति का डाटा केवल तब तक ही सेव रखना है जब तक उसकी जरूरत हो ,जैसे अगर कोई व्यक्ति अपना बचत बैंक अकाउंट बंद करवाता है, तो बैंक को उस व्यक्ति का पूरा डेटा अपने रिकॉर्ड से खत्म करना होगा। वैसे ही अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट बनता है और बाद में अकाउंट डिलीट कर देता है तो कम्पनी को उसका डेटा हटाना होगा।

 

पहले 250 करोड़ रुपए का लगेगा जुर्माना

 

यह विधेयक सभी तरह के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए लाया गया है। उपभोक्ता की मर्जी के बगैर डाटा का इस्तेमाल नहीं हो सकता। कंपनियों को हर डिजिटल नागरिक को आसान भाषा में सारी जानकारी देनी होगी। जब ग्राहक चाहे वह अपनी मर्जी से उस डिजिटल प्लेटफोर्म को छोड़ सकता है। जिसके बाद उसके डाटा को कम्पनी की तरफ से भी डिलीट करना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करती है तो उनपर 250 करोड़ का जुर्माना लगेगा। इसपर बोर्ड द्वारा जाँच की जाएगी अगर जाँच के दौरान इस बात की जानकारी मिलती है की नियमों का उल्लंघन अधिक किया है तो कंपनी पर 500 करोड़ का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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