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हर साल 29 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से अचानक हार्ट अटैक से हो रही मौत ने लोगों में भय का महौल पैदा कर दिया है। पहले ये मामले ज्यादातर अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलते थे। लेकिन कोरोना महामारी के बाद से सभी उम्र के लोगों का दिल खतरों से घिर गया है। इससे बचाव के उपायों को जानने के लिए ‘दि संडे पोस्ट’ की संवाददाता आयशा की ‘नक्षत्र हार्ट एंड मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल’ इंदौर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निरंजन गर्ग से खास बातचीत के मुख्य अंश

आजकल दिल की बीमारियों की वजह से कई सारी जानें जा रही हैं। पहले यह मामले ज्यादातर अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलते थे। लेकिन कोरोना महामारी के बाद से सभी उम्र के लोग इससे घिर गए हैं। ऐसे में हेल्थ के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 29 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व हृदय दिवस मानाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से अचानक हार्ट अटैक से लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया है।

दरअसल मनुष्य अपनी उत्साह और उल्लास को व्यक्त करने के लिए तरह-तरह की प्रतिक्रिया देता है। जिसमें नृत्य को भी शामिल किया गया है। जिसके द्वारा लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। उत्साह को व्यक्त करने वाली यह क्रिया अब मातम का दृश्य बनती जा रही है। तेज आवाज में गानों के साथ डांस के कारण मरने वालों के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। डांस करते हुए मौत की वीडियो सोशल मीडिया, इंटरनेट पर वायरल हो रही है जिसमें लोगों को डांस करते-करते हार्ट अटैक पड़ रहा है जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो जा रही है।

बीते 2 अक्टूबर 2022 को गुजरात के आनंद जिले में गरबा खेलते हुए 21 साल के सराबोर वीरेंद्र सिंह नामक एक व्यक्ति के दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जांच के बाद डॉक्टर ने हार्ट अटैक को मौत का कारण बताया है। ऐसा ही एक मामला पिछले महीने उत्तर प्रदेश से सामने आया था। जिसमें बरेली में 45 साल के प्रभात कुमार की दोस्त के बर्थडे पार्टी में डांस के दौरान मौत हो गई थी। जानकारी के अनुसार प्रभात स्वस्थ और तंदरुस्त थे, लेकिन अचानक डांस करते-करते बेहोश होकर फ्लोर पर गिर गए जिसके बाद उनको हॉस्पिटल ले जाया गया। हॉस्पिटल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। इसी महीने मैनपुरी में भी गणेश उत्सव के दौरान चल रहे समारोह में स्टेज पर 35 साल के रवि शर्मा हनुमान का रोल निभा रहे थे। स्टेज पर अचानक वह डांस करते-करते बेहोश होकर गिर गए। यह दृश्य इतना अचंभित करने वाला था कि पहले लोगों को लगा कि वह अपने किरदार को भली-भांति निभा रहे थे, लेकिन जब कुछ मिनट तक वह नहीं उठे तो उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

पिछले कई दिनों से ऐसे कई वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। एक ऐसा ही मामला जम्मू से सामने आया है, जहां बिश्नेह तहसील में जागरण का आयोजन किया गया था। इस दौरान योगेश गुप्ता नाम का शख्स मां पार्वती के रोल में डांस कर रहा था। डांस के दौरान हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई। पांच महीने पहले 31 मई 2022 को देश के नामी-ग्रामी सिगर केके कोलकाता में स्टेज पर परफॉर्म करते हुए असहज महसूस कर रहे थे। जिसके बाद उन्हें होटल ले जाया गया, होटल पहुंचने के बाद उनकी कार्डियक अरेस्ट से उनकी मौत हो गई। इससे पहले मशहूर टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की भी पिछले साल अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।

फेमस मलयालम सिंगर एडवा बशीर मई 2022 में स्टेज पर गिर पड़े थे। उन्हें भी फौरन अस्पताल पहुंचाया गया मगर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बशीर के स्टेज से गिरने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। मई में ही तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में एक आईबी अधिकारी की स्टेज पर मौत हो गई थी। वह तत्कालीन उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के दौरे को लेकर सुरक्षा जांच कर रहे थे।

अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर में रामलीला मंचन के दौरान एक अभिनेता ने स्टेज पर दम तोड़ दिया। राजा दशरथ का रोल निभा रहे राजेंद्र कश्यप मंच पर गिर गए। लोगों को लगा कि वह अभिनय कर रहे हैं। लेकिन पर्दा गिरने के बावजूद जब शरीर में हरकत नहीं हुई तो हकीकत सबको समझ में आई। आम लोग भी इस तरह की घटनाओं का शिकार होते जा रहे हैं। अमूमन फिट समझे जाने वाले लोग अचानक दम तोड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि हाल के दिनों में कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी आई है। पहले 2015-16 के दौर में भारत में सालाना 7 लाख कार्डियक अरेस्ट के मामले रिपोर्ट होते थे, मगर अब इनकी संख्या करीब 12 लाख हो गई है। एक और चिंता का विषय यह भी है कि भारत में कार्डियक अरेस्ट के केस में सर्वाइवल रेट महज 1 फीसदी के करीब है। हमें क्यूरेटिव मेजर के अलावा प्रीवेंटिव मेजर पर भी ध्यान देने के जरूरत है। ‘स्वीडन बेस्ड भारतीय मूल के मेडिसिनल साइंटिस्ट प्रो ़राम उपाध्याय के मुताबिक दुनिया भर से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि हार्ट अटैक से 4 गुना ज्यादा मौतें कार्डियक अरेस्ट से हो रही हैं। यूरोप और अमेरिका में अब इसको लेकर बहुत अवेयरनेस है, पर भारत के लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।’

 

डॉ ़ निरंजन गर्ग, कॉर्डियोलॉजिस्ट

ऐसा क्या कारण है कि पहले के मुकाबले हार्ट अटैक के मामले अब ज्यादा आ रहे हैं?
‘हमारी बिजी लाइफस्टाइल और खान-पान की आदतों के कारण हार्ट में कई तरह की बीमारियां समय से पहले ही उत्पन्न होने लगती हैं। खुद पर ध्यान न दे पाने के कारण हमें इस तरह की बीमारियों का पता नहीं चलता। जिस कारण यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जब कभी हम अपने नॉर्मल क्रियाओं से बढ़कर कुछ भी फिजिकल वर्क करते हैं तो ब्लड फ्लो अधिक हो जाता है। क्योंकि हार्ट की कंडीशन पहले से ही खराब है इसलिए वह अधिक ब्लड फ्लो को कंट्रोल नहीं कर पाता और अचानक व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाता है। हार्ट अटैक आने की भी कई कंडीशंस हो सकती हैं, जैसा कि ‘कभी-कभी व्यक्ति का हार्ट फैल हो जाता है तो कभी-कभी व्यक्ति को हार्ट में तेज दर्द महसूस होता है, कभी व्यक्ति सिर्फ बेहोश हो जाता है तो कभी पसीने के साथ बॉडी को ठंडा महसूस करने लगता है। अलग- अलग तरह की कंडीशन हर व्यक्ति की शारीरिक कंडीशन पर निर्भर करती है और हार्ट में अलग-अलग परेशानियों के कारण भी हार्ट अलग-अलग तरह से रिएक्ट कर सकता है।

वैसे तो वृद्धावस्था में हार्ट की बीमारी होना नॉर्मल माना जाता है लेकिन आज के समय में युवाओं में हार्ट के क्या कारण हैं?
भ्लचमतजतवचीपब बंतकपवउलवचंजील कंडीशन भी इस तरह की संभावनाओं को जन्म देती है। यह कंडीशन हार्ट में उपस्थित आर्टरीज की परत को मोटा कर देती है जिस कारण हार्ट का ब्लड फ्लो होने में रुकावट होने लगती हैं। यह कंडीशन पहले वयस्कों में पाई जाती थी लेकिन अब युवाओं में भी बढ़ती ही जा रही है। युवाओं का सबसे ज्यादा जंक फूड का सेवन करना, उन्हें इस बीमारी के नजदीक लाता है। युवाओं में सबसे ज्यादा जंक फूड खाने की आदत शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और हार्ट से संबंधित बीमारियों को जन्म देता है। युवावस्था में लोग अपनी फिजिकल हेल्थ पर ध्यान नहीं देते हैं और इरेटिक वर्किंग टाइम शेड्यूल, नॉट गुड स्लीप यानी नींद पूरी न होना, भोजन की थाली में पौष्टिक खाना कम खाना, फ्रूट्स खाने में लापरवाही, हरी सब्जियां कम खाना आदि। इस तरह की आदतों के कारण उनके शरीर को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाते और शरीरिक कमजोरी होने लगती है, अधिक फिजिकल एक्सरसाइज की आदत न होना भी इसका मुख्य कारण है। आदत न होने के कारण यदि अचानक बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी करते हैं या अधिक इमोशनली स्ट्रेस में रहते हैं। तो इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। जिससे हार्ट संबंधित बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं।

आज के समय में हर आयु के व्यक्तियों की लाइफस्टाइल बेहद तनावपूर्ण रहती है जिसके कारण हार्ट तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। जिनका समय रहते पता नहीं चल पाता और जब कोई ऐसी स्थिति आती है जिसमें हमारा हार्ट अत्यधिक गतिविधि करता है तो लोगों को हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी से गुजरना पड़ता है और क्षण भर में उनकी मृत्यु हो जाती है।

क्या कारण हैं कि डांस या एक्सरसाइज करते हुए लोगों की मृत्यु हो रही है?
डांस या एक्सरसाइज करते समय दो तरह की गतिविधियां मानव शरीर में तेजी से होती हैं। 1 फिजिकल एक्सेशन, 2
इमोशनल फैक्टर। यह दोनों फैक्टर ही हार्ट के ऊपर लोड पैदा करते हैं, हार्ट की एक्टिविटी बढ़ने के कारण हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ने लगता है। जिसके बाद हार्ट में छोटे ब्लॉकेज अनस्टेबल हो जाते हैं जिससे अत्यधिक फ्लोटिंग होने लगती है। जब बॉडी में मेंटली और फिजिकली लोड ज्यादा होता है तो हार्ट की रेट ज्यादा होने लगती है जिससे ब्लड रेट भी बढ़ता है और हार्ट में ब्लड का बहाव ज्यादा हो जाता है लेकिन हार्ट के पास इतनी क्षमता नहीं होती कि वह अत्यधिक ब्लड को आगे पंप आउट कर पाए जिस कारण हार्ट फैल और हार्ट अटैक होता है।

इस तरह की कंडीशन से किस तरह बचा जा सकता है? ऐसा क्या- क्या प्रावधान है जिनके जरिए हम अपने हार्ट को इन बीमारियों से बचा सकते हैं?
हार्ट को स्वस्थ रखने और इस तरह की गंभीर बीमारियों से बचने के लिए हमें रेगुलर बेसिस पर एरोबिक एक्सरसाइज जैसे- वार्किंग, जागिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, मेडिटेशन जैसी एक्टिविटी को करना चाहिए। हमें अधिक बेड कोलेस्ट्रॉल फूड को अवायड करना चाहिए। मेंटल स्ट्रेस को कम रखना चाहिए। इसको कम करने के लिए स्वयं प्रयास करने की आवश्यकता है। योग जैसी क्रियाएं भी हमें काफी बीमारियों से प्रोटेक्ट करती हैं। समय-समय पर फुल बॉडी चेक-अप कराएं ताकि समय रहते शरीर में मौजूद बीमारियों का पता चल सके। जिससे समय रहते व्यक्ति को ठीक किया जा सके और अधिक सावधानी बरती जा सके। अपने शरीर में हो रही गतिविधियों और बदलाव को ध्यान में रखें और डॉ ़ से संपर्क करें। अगर चलने में थकान महसूस होना, सांस फूलना, हर समय थकान महसूस करना, चेस्ट पैन होना, हार्ट में चुभन महसूस होने जैसी परेशानियों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।

 

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