राज्यसभा में गुरुवार, 11 फरवरी को एक सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, वे अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित संसदीय या विधानसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
आपको बता दें कि जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी सरकार से सवाल पूछा था कि क्या सरकार जन प्रतिनिधित्व कानून और चुनाव नियमों में किसी संशोधन पर विचार कर रही है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो दलित ईसाई या इस्लाम धर्म में परिवर्तित होते हैं, वे आरक्षण का लाभ लेने के योग्य नहीं हैं। इस पर रविशंकर प्रसाद ने जवाब दिया कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।
भाजपा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में, प्रसाद ने स्पष्ट किया कि सिखों, बौद्धों को आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा और वे संसद की आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के योग्य भी होंगे। । प्रसाद ने कहा कि संविधान (अनुसूचित जाति) के पैरा 3 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति, जो हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म को मानता है, उसको अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2015 में अपने एक फैसले में कहा था कि एक बार जब कोई व्यक्ति हिंदू धर्म छोड़ देता है और ईसाई धर्म अपना लेता है, तो इससे सामाजिक और आर्थिक विकलांगता बढ़ जाती है और इसलिए अब उस व्यक्ति को सुरक्षा देना आवश्यक नहीं है और इस कारण से अनुसूचित जाति का नहीं माना जा सकता।