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तेजी से बढ़ रही साइबर धोखाधड़ी

त्योहारों के दिनों में खासकर दिवाली के दौरान साइबर धोखाधड़ी बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि इन दिनों में लोग जमकर खरीदारी करते हैं। लेकिन इस बीच कई तरह की छूट और बैंक जानकारी (केवाईसी) अपडेट करने के बहाने धोखाधड़ी बड़े पैमाने पर हो रही है। इससे भी गंभीर बात यह है कि आरोपी को ओटीपी की जानकारी दिए बिना क्रेडिट कार्ड से लेनदेन किए जाने की शिकायतें पुलिस में दर्ज की जा रही हैं। इसलिए यदि आप जानते हैं कि इस तरह की साइबर धोखाधड़ी कैसे की जाती है, तो आप इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार नहीं होंगे।

त्योहारों के दिनों में क्यों बढ़ जाती है साइबर धोखाधड़ी?

दिवाली पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दौरान कई वस्तुओं और कपड़ों की खरीदारी बड़े पैमाने पर की जाती है। इसलिए दिवाली के दौरान खरीदारी और बिक्री का लेनदेन बढ़ जाता है। हाल ही में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ा है। इसलिए व्यापारी भी अपना कारोबार बढ़ाने के लिए ग्राहकों के लिए छूट, और सेल जैसी योजनाओं का एलान करते हैं। साइबर जालसाज इस स्थिति का फायदा उठाते हैं और धोखाधड़ी करने की कोशिश करते हैं। इस तरह की ठगी के लिए साइबर बदमाश हर साल नई-नई तरकीबें अपनाते हैं। इस साल दिवाली के मौके पर देखा जा रहा है कि डिस्काउंट के नाम पर लिंक भेजकर धोखाधड़ी की जा रही है।

 

धोखाधड़ी कैसे होती है?

छूट या विभिन्न योजनाओं के नाम पर संदेश भेजे जाते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में क्रेडिट कार्ड की जानकारी (केवाईसी) अपडेट करने के नाम पर भी मैसेज भेजे जा रहे हैं। ऐसे लिंक पर क्लिक करने के बाद मोबाइल में एंट्री की जा सकती है, यानी आरोपी को मोबाइल का रिमोट एक्सेस मिल जाता है। इसलिए आरोपी मोबाइल में होने वाले लेनदेन को देख सकता है। साथ ही आरोपी मैसेज के जरिए भेजे गए ओटीपी को भी देख सकता है। बहुत से लोग बिना OTP की जानकारी दिए क्रेडिट कार्ड से ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। दहिसर में धोखाधड़ी के मामले में शिकायतकर्ता ने संबंधित क्रेडिट कार्ड का उपयोग केवल मोबाइल खरीदारी के लिए किया था। अधिकारियों ने बताया कि आरोपी ने उसी की जासूसी की और उस क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर मोबाइल खरीदा।

जनवरी 2023 से सितंबर 2023 तक मुंबई में क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के 887 मामले सामने आए हैं। उनमें से केवल 76 का ही समाधान हो सका है। उन मामलों में अब तक 138 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आंकड़े बताते हैं कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय गिरोह सक्रिय होने के कारण उन तक पहुंचना मुश्किल है। इसलिए विशेषज्ञों की राय है कि क्रेडिट कार्ड धारकों को सतर्क रहना चाहिए और इस तरह के तरीकों से बचना चाहिए।

सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को अगर तुरंत इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। उस अवधि को ”गोल्डन आवर्स” कहा जाता है। उसी तरह अगर अगर फ्रॉड होते ही तुरंत करवाई की जाए तो रकम वापस हो सकती है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, साइबर अपराधों में भी धोखा मिलने के बाद जल्द से जल्द साइबर पुलिस से संपर्क करके पैसे बचाना संभव है। पहले साइबर अपराध में केस दर्ज करने से लेकर बैंक के सत्यापन और रिपोर्ट तक में एक सप्ताह का समय लग जाता था। इसका फायदा उठाकर आरोपी खाते से रकम निकाल लेते थे। अब पुलिस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके धोखाधड़ी की रकम को तुरंत रुकवाना संभव है। इसके लिए आपको साइबर पुलिस हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करना होगा या तुरंत ऑनलाइन शिकायत दर्ज करनी होगी। इसके अलावा स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने से धोखाधड़ी से पैसे बचाए जा सकते हैं।

क्या 100 प्रतिशत धोखाधड़ी से बचना संभव है?

दहिसर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक हालिया मामले में शिकायतकर्ता को एक लिंक भेजा गया और उसके क्रेडिट कार्ड से 3 लाख रुपये की खरीदारी की गई। पुलिस 100 फीसदी रकम इस वजह से वसूलने में सफल रही क्योंकि ठगे गए व्यक्ति ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी। ई-वॉलेट कंपनियों, बैंकों को ऑनलाइन शॉपिंग ट्रांजैक्शन में रकम 24 घंटे बाद फॉरवर्ड करने के निर्देश दिए गए हैं। इसलिए लेनदेन 24 घंटे के बाद पूरा हो जाता है। ऐसे में अगर 24 घंटे के अंदर कार्रवाई की जाए तो पैसा बचाया जा सकता है। कुछ ई-वॉलेट प्रदाता 24 घंटे से पहले लेनदेन पूरा कर लेते हैं। उस समय इतनी रकम बचा पाना संभव नहीं होता है। एक अधिकारी ने कहा, लेकिन ऐसी कंपनियों को भी 24 घंटे के बाद लेनदेन पूरा करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही कई मामलों में 80 से 90 प्रतिशत राशि की वसूली भी की जा चुकी है

  • किसी अज्ञात मोबाइल नंबर से एसएमएस के माध्यम से भेजे गए किसी भी व्हाट्सएप संदेश या छूट योजना का जवाब न दें, चाहे वह कितना भी लाभदायक या आकर्षक क्यों न लगे।
    अज्ञात नंबरों से आए संदेशों के लिंक पर क्लिक न करें।
    वेबसाइट के माध्यम से लेनदेन करते समय प्रामाणिकता को सत्यापित किया जाना चाहिए।
    अजनबियों को क्रेडिट कार्ड की कोई भी जानकारी न देने के नियम का पालन करके धोखाधड़ी से बचना संभव है।

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