अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सर्वर हैकिंग मामले में अब एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,पहले भी कई बार एम्स की वेबसाइट्स और ऑफिशियल ईमेल आईडी हैक हो चुके हैं। पहले जिन वेबसाइट को हैक किया गया था, वे भी बहुत संवेदनशील थीं। जिन सर्वर वेबसाइटों को हैक किया गया था, उनमें डॉक्टरों, मरीजों, एम्स अस्पताल का निजी,पर्सनल और मेडिकल डेटा था। चौंकाने वाली बात यह है कि हैकर एम्स के निदेशक की वेबसाइट का भी सर्वर हैक कर चुके हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक का ऑफिशियल मेल 2017 में हैक हुआ था। हैक किए गए डेटा में ईमेल पता, नाम, संपर्क और पासवर्ड शामिल थे। इसी तरह एम्स के रिसर्च सेक्शन, डीन, सुपरिटेंडेंट का वेबसाइट/मेल डेटा भी पिछले कुछ वर्षों में हैक और लीक हो चुका है। 23 नवंबर को एम्स के 5 प्रमुख सर्वर हैक कर लिए गए थे। इस घटना ने सबको हिलाकर रख दिया था। 11 दिन बाद भी सर्वर रिकवर नहीं हो सकते हैं। हालांकि एम्स का काम दोबारा शुरू हो चुका है,यह हैकिंग चीन से हुई थी। वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने यह भी साफ कर दिया है कि कोई डेटा चोरी नहीं हुआ है लेकिन इस तरह की हैकिंग से साफ हो गया है कि एम्स के सर्वर सुरक्षित नहीं हैं।
इनकी मेल आईडी हो चुकी है हैक
– मई 2022 में डेट ऑफ डीन की ईमेल आईडी हैक हो गई थी,जांच में पता चला था कि डेटा चोरी के लिए सर्वे वेबसाइट QuestionPro टारगेट पर थी। 22 मिलियन ईमेल आईडी वाले 100 GB से ज्यादा का डेटा कथित तौर पर IP पतों, ब्राउजर यूटर एजेंटों और सर्वे से जुड़े परिणामों के जरिए चोरी कर लिए गए थे।
– अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का सर्वर साल 2019 और 2020 में हैक हो चुका है। नवंबर 2020 में Cit0day को कई हैकिंग फोरम पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध करा दिया गया था। Cit0day 23 हजार से ज्यादा ब्रीच्ड वेबसाइट्स का एक कनेक्शन है। इस डाटा में पासवर्ड, ईमेल आईडी थे।
– एम्स की डाटा रिसर्च डिपार्टमेंट की ईमेल आईडी 2018 में हैक हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक,जो डेटा हैक किया गया था, उनमें नाम, ईमेल आईडी के साथ-साथ प्रोफेशनल इंफॉर्मेशन, रोजगार, लोगों की भूमिकाएं और उनकी तैनाती से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारियां थीं।
– अगस्त 2017 में एम्स निदेशक के डायरेक्टर की ईमेल आईडी हैक हो गई थी। सिक्योरिटी रिसर्चर बेनको मोउक ने ऑनलाइन स्पैबोट के नाम से एक स्पैबोट की पहचान की थी,जांच में पता चला था कि नीदरलैंड के आईपी एड्रेस से यह हैकिंग की गई थी।
इस मामले को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन यूनिट ही आधिकारिक तौर पर जांच कर रही है। हालांकि अनौपचारिक तौर पर एनआईए भी मामले की जांच में जुट गई है। जांच एजेंसी की एक टीम एम्स पहुंचकर जांच में शामिल भी हो चुकी है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक एम्स के इन्फेक्टेड सर्वर को जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक लैब भेजा गया है,जहां इसकी जांच चल रही है। इससे पता लग सकेगा कि सर्वर को कहां से हैक किया गया है। इसका सोर्स क्या है? क्या इंडिया के अंदर से ही ये हैकिंग की गई या बाहर से ये जांच के बाद ही साफ हो पाएगा?
सेंट्रल फॉरेंसिक लैब की दिल्ली और अहमदाबाद की टीम इस इन्फेक्टेड सर्वर की जांच कर रही है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन यूनिट भी अपने एक्सपर्ट्स के साथ एक बराबर जांच कर रही है। हैकिंग के सोर्स के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम दिल्ली पुलिस, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन इंटेलिजेंस ब्यूरो और गृह मंत्रालय मामले की जांच कर रहे हैं। एम्स में काम कर रही नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर की टीम ने रैनसमवेयर अटैक की आशंका जताई है। हालांकि,अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की गई है। एम्स का सर्वर नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर की टीम ही संभालती है।