उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई घटना से पूरे देश में जमकर बवाल हो रहा है। देश भर की विपक्षी पार्टियों के नेता भाजपा, केंद्र एवं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमलावर हैं। साफ नजर आ रहा है कि लखीमपुर में हुई किसान हिंसा ने विपक्ष में जान फूंक दी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हैं। भाजपा किसान आंदोलन से खासी परेशान हैं। इस आंदोलन के वजह से भाजपा के वोट बैंक पर असर पड़ेगा। इस असर को कम करने के लिए भाजपा ने हर संभव कोशिश की। लेकिन लखीमपुर खीरी की घटना ने भाजपा को बैकफुट पर ला खड़ा किया है तो दूसरी तरफ लंबे अर्से से ठंडे पड़े विपक्ष को बैठे बिठाए एक ऐसा मुद्दा हाथ आ गया जिसके सहारे वह
हिंदुत्व के नाम पर एकजुट वोट बैंक में दरार डालने की कवायद कर सकता है। इस हिंसा की खबर मिलते ही 4 अक्टूबर को आधी रात से देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीके से किसानों के समर्थन में उतर आई हैं। स्पष्ट है कि सभी विपक्षी पार्टी किसान हिंसा के इस मुद्दे को अपने लिए संजीवनी समझ रही है।
उत्तर प्रदेश में अपना जमीनी आधार दोबारा जमाने में जुटी कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी 4 अक्टूबर रात में ही दिल्ली से लखीमपुर खीरी के लिए रवाना हो गईं। प्रियंका को उत्तर प्रदेश पुलिस ने घटनास्थल पर जाने से रोका तो उन्होंने आक्रमक तेवर अपना लिए। सोशल मीडिया में जबरदस्त वायरल हुए एक वीडियो में प्रियंका उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसरों को हड़काती नजर आ रही हैं। प्रियंका गांधी वीडियो में पुलिस से कहती हैं कि ‘तुम मेरा अपहरण करोगे, ये है लीगल स्टेटस तुम्हारा। मत समझो कि मैं नहीं समझती। अरेस्ट करो, हम खुशी से जाएंगे तुम्हारे साथ। तुम जो जबरदस्ती ढकेल रहे हो न, इसमें आप फिजिकल असाल्ट, किडनैप और छेड़छाड़ करने की कोशिश ़ ़ ़समझती हूं मैं सब कुछ। छूकर देखो मुझे ़ ़जाकर अपने अफसरों और मंत्रियों से वारंट लाओ।’ इस अंदाज से प्रियंका ने निराशा में बैठी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की फौज को जान फूंकने की कोशिश की है। इससे पहले भी प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हत्या और बलात्कार कांड के पीड़ितों से मिलने गई थीं। उस समय उनके इस कदम को उनकी दादी इंदिरा गांधी से जोड़कर देखा गया था। जिस तरीके से प्रियंका गांधी ने लखीमपुर हिंसा पर अपने तेवर दिखाए हैं उससे कांग्रेसी कार्यकर्ता काफी जोश में आ गए हैं।
यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के प्रभारी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फौरन रायपुर से और पंजाब के उप मुख्यमंत्री रंधावा को चंडीगढ़ से लखनऊ के लिए आने को कहा गया। यह बात अलग है कि दोनों नेताओं को भाजपा सरकार ने लखनऊ में फ्लाइट लैंड करने की परमिशन नहीं दी। कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि जनता और मीडिया का फोकस लखीमपुर खीरी और किसानों के मुद्दों पर केंद्रित रखा जाए इसके लिए भूपेश बघेल लखनऊ एयर पोर्ट पर ही धरने पर बैठ गए। राहुल गांधी को भी लखनऊ हवाई अड्डे में पहले रोका गया फिर कांग्रेस को मिल रहे पालिटिकल माइलेज से घबरा उन्हें व अन्य कांग्रेसी नेताओं को लखीमपुर जाने दिया गया। कांग्रेस इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा एग्रेसिव है। उसके दो-दो मुख्यमंत्रियों ने न केवल धरना स्थल का दौरा किया बल्कि भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से मृतकों को दिए मुआवजे की राशि 45 लाख से बढ़ाकर प्रति मृतक 50 लाख दे दिया। इस दौरान उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी भाजपा सरकार पर लगातार हमले करते रहे। उनके लखीमपुर जाने की आहट मिलते ही पुलिस प्रशासन ने उन्हें और दूसरे सपा नेताओं को नजरबंद कर लिया। अखिलेश यादव अपने घर के बाहर सड़क पर आकर कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गए। अखिलेश यादव ने भाजपा से मांग की है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा दें और पीड़ितों के परिजनों को 2 करोड़ रुपये की मदद दी जाय।
उत्तर प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी को तो मानो इस घटना से संजीवनी मिल गई हो। आप के नेता दिल्ली के मॉडल को उत्तर प्रदेश में लागू करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में उनके नेताओं के लिए लखीमपुर कांड में खुद को जनता के करीब ले जाने का बेहतर मौका मिल गया है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह एक्टिव हो गए। उन्हें भी पहले घटनास्थल पर जाने से रोका गया। बाद में अन्य विपक्षी नेताओं के साथ वे भी घटनास्थल पहुंचे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव भाजपा के हाथ से निकल जाए। बसपा सुप्रीमो मायावती भी लगातार ट्वीट कर भाजपा पर निशाना साध रही हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने की अपील की। लखीमपुर खीरी जा रहे बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद एससी मिश्र को लखनऊ में उनके निवास पर नजरबंद कर लिया गया था जिससे नाराज मायावती अब किसानों के सहारे सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही हैं।
केवल विपक्षी ही नहीं कुछ अपने भी योगी सरकार के लिए मुश्किल बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं। इनमें से एक हैं बीजेपी सांसद वरुण गांधी। उन्होंने एक लंबा पत्र लिखकर योगी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने लेटर में साफ लिखा कि एक दिन पहले अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की जयंती मनाई गई और दूसरे दिन लखीमपुर खीरी में जिस तरह से हमारे अन्नदाताओं की हत्या की गई वह सभ्य समाज में अक्षम्य है। इससे बीजेपी पर प्रेशर बढ़ रहा है। पार्टी इस मुद्दे को ज्यादा खींचना नहीं चाहती। लेकिन विपक्ष मामले को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और इस घटना से लाभ के लिए प्रयासरत है। वरुण के ट्विटर से नाराज पार्टी आलाकमान ने भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उन्हें और पूर्व कैबिनेट मंत्री मेनका गांधी को बाहर कर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी के खिलाफ जाने वालों को बक्शा नहीं जाएगा।
लखीमपुर खीरी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट की सख्ती के बाद उत्तर प्रदेश सरकार एक्शन लेने की बात कर रही है लेकिन इस प्रकरण में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का नाम आने से सरकार और
भाजपा का संकट गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट सरकार से मामले की स्टेट्स रिपोर्ट पहले ही ले चुकी है अब कोर्ट का निर्णय तय करेगा कि यह आग बुझती है या फिर भाजपा के लिए बड़ा संकट बन उभरती है।