भारत के पड़ोसी देशों में हिंदुओं कीस्थिति काफी दयनीय है। सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज़्म एंड ह्यूमन राइट्स (CDPHR) संगठन ने तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका, इंडोनेशिया और मलेशिया मे हो रहें मानवाधिकारों के उल्लंघनों को लेकर कंस्टीटूशन क्लब ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली मे 2 अप्रैल, 2021 को जारी अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति काफी दयनीय है। कार्यक्रम में केंद्रीय तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन सिकयोंग के अध्यक्ष लोबसांग संगे, भारत पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन, एसआरएम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर परमजीत सिंह जसवाल भी बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहे। इसके अलावा सीडीपीएचआर के सलाहकार रवींद्र कुमार गुप्ता, डॉ प्रेरणा मल्होत्रा अध्यक्ष सीडीपीएचआर और श्रीएम विवेकानंद मोतीराम सीडीएचआर के महासचिव मौजूद थे।
1. पाकिस्तान
सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरलिज़्म एंड ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट में पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई है। रिपोर्ट के अनुसार वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ अल्पसंख्यक शिया और अहमदिया की स्थिति भी काफी खराब है। वहां धारा 298 बी-2 के मुताबिक अहमदिया मुसलमानों द्वारा अजान शब्द का उपयोग भी अपराध है। इसके साथ साथ पाकिस्तान का कानूनी ढांचा भी अंतरराष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकारियों के अनुरूप नहीं है। इसके साथ साथ पाकिस्तान का कानूनी ढांचा भी अंतरराष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकारियों के अनुरूप नहीं है। वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों- हिंदू, सिख और ईसाई धर्म की युवा महिलाओं के साथ अपहरण, बलात्कार, जबरन धर्मपरिवर्तन आदि घटनाएं काफी हैं।
2. बांग्लादेश
बांग्लादेश में भी हिंदुओं की स्थिति बेहतर नहीं है। बांग्लादेश से हिंदू समुदाय अब भी पलायन कर भारत भागने को मजबूर हैं। ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अब्दुल बरकत की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 4 दशकों में बांग्लादेश से 2 लाख 30 हजार 612 लोग हर साल पलायन कर भारत भाग रहे हैं। यानी, बांग्लादेश से हर दिन 632 लोग पलायन करने को मजबूर हैं। प्रोफेसर बरकत की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश से जिस हिसाब से हिंदुओं का पलायन हो रहा है उस हिसाब से अगल 25 सालों के बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1975 में बांग्लादेश के संविधान को बदल दिया गया और वहां सेकुलरिज्म शब्द को हटाकर कुरान की पंक्तियों को रखा गया और फिर साल 1988 में बांग्लादेश को इस्लामिक मुल्क घोषित कर दिया गया। प्रोफेसर बरकत की रिपोर्ट में बताया गया है कि चटगांव पर्वतीय क्षेत्र के डेमोग्राफी को भी पूरी प्लानिंग के साथ बदल दिया गया। साल 1951 में चटगांव में 90 फीसदी आबादी बौद्ध थे और साल 2011 में चटगांव में सिर्फ 55 फीसदी बौद्ध हैं।
3. इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में हिंदुओं की स्थिति सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में इंडोनेशिया के बारे में हालात चिंतापूर्ण ही बताए गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया में पिछले कुछ सालों में मजहब के आधार पर कट्टरता काफी बढ़ गई है और अब अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने लगा है। बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा कट्टर होती जा रही है और असहिष्णुता भी अब काफी बढ़ने लगी है। 2002 में इंडोनेशिया के बाली में धमाका किया गया था जिसमें एक इस्लामिक नेता का नाम आया था। वहीं 2012 में बालीनुर्गा में हिंदुओं पर हमला किया गया था। वहीं, पिछले कुछ सालों में इंडोनेशिया में हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जाने लगा है।
4.श्रीलंका
सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में भी हिंदुओं की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई है। श्रीलंका में भी अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई है और रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका में 26 सालों तक चले गृहयुद्ध का नतीजा ये है कि एक लाख से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 20 हजार से ज्यादा तमिल श्रीलंका से गायब हो गये।
5.अफगानिस्तान
सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में हिंदू अब लुप्त होने के कगार पर हैं। अफगानिस्तान में हिंदुओं के मानवाधिकार को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। रिपोर्ट में में रहने वाले अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताई गई है। अफगानिस्तान का संविधान कहता है कि वहां कोई भी गैर-मुस्लिम शख्स प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में साल 1970 में 7 लाख हिंदू और सिख रहते थे और अब अफगानिस्तान में सिर्फ 200 हिंदू परिवार रहते हैं।
6.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न प्रतिबंधों के माध्यम से चीन तिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति को छुपाने की कोशिश करता रहा है। इसके साथ साथ चीन तिब्बतकी सामाजिक, धार्मिक, संस्कृतिक और भाषाई पहचान भी खत्म करने की कोशिश कर रहा है।
7. मलेशिया
सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरेलिज़्म एंड ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया में भूमिपुत्र के पक्ष में विभेदकारी कानून है। यह सजातीय अल्पसंख्यकों के भी अधिकारों का हनन हो रहा है।
सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों के लिए रहना हर दिन जंग लड़ने जैसा है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में की प्रेसिडेंट प्रेरणा मल्होत्रा के मुताबिक पाकिस्तान में सिर्फ हिंदू अल्पसंख्यकों की ही स्थिति खराब नहीं है, बल्कि वहां शिया अल्पसंख्यकों और अहमदिया मुस्लिमों की भी मानवाधिकारों को कुचला जाता है।