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पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल  

कोरोना महामारी के चलते  पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इस  संकट  के बीच एक बार फिर से कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। खबरों के मुताबिक दुनियाभर में आर्थिक रिकवरी को लेकर घटती उम्मीदों ने कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बनाया है।  साथ ही, कच्चे तेल का उत्पादन और एक्सपोर्ट करने वाले देशों की ओर से लगातार क्रूड की सप्लाई बढ़ाई जा रही है। इसी वजह से कल 21 सितंबर  को ब्रेंट क्रूड 4 फीसदी गिरकर 39.19 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया। इस भारी गिरावट के बाद कच्चा तेल पानी से भी सस्ता हो गया है।

भारत अपनी जरूरत के 83 फीसदी से अधिक कच्चा तेल आयात करता है और इसके लिए इसे हर साल 100 अरब डॉलर चुकाने पड़ते हैं।  कमजोर रुपया भारत का आयात बिल और बढ़ा देता है और सरकार इसकी भरपाई के लिए टैक्स दरें बढ़ाए  रखती है।

मौजूदा समय में  कच्चे तेल के दाम 39 डॉलर प्रति बैरल है।  एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। इस तरह से देखें तो एक डॉलर की कीमत 74 रुपए है।  इस लिहाज से एक बैरल की कीमत 2 हजार 886 रुपए होती है।  वहीं, अब एक लीटर में बदलें तो इसकी कीमत 18.15 रुपए के करीब आती है, जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपए  है।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए दुनिया के ज्यादातर  देशों में लॉकडाउन लगा दिया गया था।  इससे करोड़ों-अरबों लोग अपने घरों में बंद दरवाजों के पीछे कैद होने को मजबूर हो गए थे। वहीं, कारोबारी गतिविधियां  भी ठप हो गई थी।  नतीजा ये निकला कि पेट्रोल-डीजल की मांग और खपत तेजी से गिर  गई।

इस बीच सऊदी अरब , रूस  और अमेरिका  के बीच क्रूड ऑयल का उत्पादन घटाने पर सहमति नहीं बन पाई। सऊदी अरब तेल उत्पादन  करता रहा।  बाद में कच्चे  तेल पर निर्भर सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था चरमराने  लगी तो उसे  तेजी से क्रूड के दाम घटाने पड़े। बाद में ओपेक प्लस देशों के दबाव में तेल उत्पादन  पर अंकुश लगाया गया।

हालांकि, ऐसा हो पाने से पहले क्रूड ऑयल के दाम ऐतिहासिक गिरावट के साथ 16 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गए थे।  वहीं, अमेरिका का डब्लयूटीआई क्रूड ऑयल शून्य  से भी नीचे पहुंच गया था।  अब इसका फायदा भारत समेत उन तमाम देशों को मिला, जो सऊदी अरब या अमेरिका से तेल आयात करते हैं।

हालांकि, मई-जून के दौरान उत्पादन  कम करने से क्रूड की कमतों में सुधार हुआ।  मई में ब्रेंट और डब्लयूटीआई क्रूड 30 डॉलर प्रति बैरल के बैरियर को पार कर गए , वहीं जून में इनका रेट  40 डॉलर को पार कर गया था तो  अगस्त  के आखिरी हफ्ते  में क्रूड 45 के करीब पहुंचा था।

सस्ता कच्चा तेल कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बनेगा वरदान- भारत सरकार ने इस दौरान कम कीमत पर कच्‍चा तेल खरीदा जरूर, लेकिन उसके अनुपात में पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमत  में खास बदलाव नहीं किया। इससे सरकार को दो बड़े फायदे हुए हैं।

पहला देश के चालू खाता घाटा (CAD) में कमी आई और दूसरा सरकार के राजस्व  (Revenue) में इजाफा हुआ।  अर्थव्यवस्था  के लिहाज से हाल में एक और अच्छी  खबर आई कि  डॉलर  के मुकाबले रुपए  की स्थिति में सुधार आया है।  रुपया धीरे-धीरे डॉलर के मुकाबले 77 से  74 पर आ गया है।  डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में 4 रुपये की मजबूती आई है।  इससे सरकार को आयात के लिए भुगतान  कम करना पड़ा और देश के चालू खाता घाटा में कमी आई।  रुपए  के मजबूत होने से कच्चा  तेल, इलेक्‍ट्रॉनिक, जेम्स  एंड ज्वेलरी , फर्टिलाइजर्स, केमिकल्स  सेक्टर  को सीधा फायदा  होता है।

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